बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हिंदू आध्यात्मिक नेता चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए तुरंत उनकी रिहाई की मांग की है। साथ ही उन्होंने देश की अंतरिम सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वह लोगों को सुरक्षा देने में नाकाम रही। दास को इस सप्ताह के शुरू में देशद्रोह के आरोप में हिरासत में लिया गया था, जिसके बाद से विवाद खड़ा हो गया है।
शेख हसीना ने एक बयान में कहा, ‘‘सनातन धर्म के एक शीर्ष आध्यात्मिक नेता को अन्यायपूर्ण तरीके से गिरफ्तार किया गया है, उन्हें तुरंत रिहा किया जाना चाहिए।’’ अवामी लीग की ओर से 'एक्स' पर किए गए एक पोस्ट में हसीना ने कहा, ‘‘चटगांव में एक मंदिर को जला दिया गया है। इससे पहले, अहमदिया समुदाय की मस्जिदों, दरगाहों, चर्चों, मठों और घरों पर हमला किया गया, तोड़फोड़ की गई, लूटपाट की गई और आग लगा दी गई। सभी समुदायों के लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता और जीवन एवं संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए।’’
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पूर्व पीएम ने बांग्लादेश की कार्यवाहक सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, "वर्तमान सत्ताधारी दल सभी क्षेत्रों में नाकाम दिख रहे हैं। वे दैनिक जरूरतों की कीमतों को नियंत्रित करने, लोगों के जीवन की सुरक्षा करने में विफल रहे हैं। आम लोगों पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हो रहे इन अत्याचारों की कड़ी निंदा करती हूं।"
शेख हसीना ने कहा, "चटगांव में एक वकील की हत्या कर दी गई। इस अपराध में शामिल लोगों को जल्द से जल्द पकड़ा जाना चाहिए और उन्हें सजा दी जानी चाहिए। इस घटना से मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन हुआ है। एक वकील अपने पेशेवर कर्तव्यों का पालन करने गया था और उसे पीट-पीटकर मार डालने वाले 'आतंकवादी' हैं उन्हें सजा मिलनी चाहिए।"
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पूर्व पीएम ने कहा, "अगर असंवैधानिक तरीके से सत्ता हथियाने वाली यूनुस सरकार इन आतंकवादियों को दंडित करने में नाकाम रहती है, तो उसे मानवाधिकार उल्लंघन के लिए भी सजा भुगतनी होगी।" पूर्व पीएम मने कहा, "मैं देश के लोगों से अपील करती हूं कि वे इस तरह के आतंकवाद और कट्टरवाद के खिलाफ एकजुट हों। आम लोगों की जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है।"
चिन्मय कृष्ण दास को सोमवार को शाम 4:30 बजे हजरत शाहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की डिटेक्टिव ब्रांच (डीबी) द्वारा हिरासत में लिया गया। मंगलवार को उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच चटगांव के छठे मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट काजी शरीफुल इस्लाम के समक्ष पेश किया गया। उनकी जमानत याचिका का खारिज कर दिया गया और उन्हें जेल भेज दिया गया। यह गिरफ्तारी ऐसे समय में हुई जब मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार पर बांग्लादेश के हिंदू समुदाय पर अत्याचार करने के कई आरोप लगे हैं।
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बांग्लादेश में विवादास्पद नौकरी आरक्षण प्रणाली को लेकर अवामी लीग के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ व्यापक स्तर पर विरोध प्रदर्शन के बाद हसीना ने पांच अगस्त को भारत में शरण ली थी। इसके तीन दिन बाद, नोबेल पुरस्कार विजेता यूनुस सलीम ने अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार का पदभार संभाला था। यूनुस के सत्ता संभालने के बाद भी बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों में हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों के खिलाफ अत्याचार की लगातार खबरें आ रही हैं। जमात-ए-इस्लामी जैसे चरमपंथी समूहों और इसी तरह के वैचारिक चरमपंथी समूहों के बढ़ने की भी खबरें हैं।
इसी बीच हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास को इस सप्ताह गिरफ्तार कर लिया गया। दास को पहले इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) से निष्कासित कर दिया गया था। उनकी गिरफ्तारी के बाद मंगलवार को झड़पें हुईं, जिसमें सहायक सरकारी वकील सैफुल इस्लाम की हत्या कर दी गई थी। इस बीच बांग्लादेश उच्चतम न्यायालय के वकीलों के एक समूह ने बुधवार को बांग्लादेश सरकार को एक कानूनी नोटिस भेजकर ‘इस्कॉन’ पर प्रतिबंध लगाने की मांग की और इसे एक ‘‘कट्टरपंथी संगठन’’ बताया। हालांकि, बांग्लादेश हाईकोर्ट ने गुरुवार को देश में इस्कॉन की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली एक याचिका खारिज कर दी।
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