अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर 18 दिन के गहन वैज्ञानिक प्रयोगों के बाद शुभांशु शुक्ला की पृथ्वी पर सकुशल वापसी हो गई, जिसके लिए लखनऊ में उनके पिता अपने परिवार समेत लगातार पूजा अर्चना करते रहे।
शुक्ला की वापसी मंगलवार को हो गई। इसके पहले परिजनों ने हवन-पूजन और रुद्राभिषेक कर प्रार्थना की कि शुभांशु बिना किसी परेशानी के पृथ्वी पर वापस लौट आएं।
राजधानी के त्रिवेणी नगर इलाके में स्थित शुभांशु के पैतृक घर को रोशनी से सजाया गया है और घर के बाहर उनके उपनाम "शक्स" के पोस्टर लगे हैं। घर में शुभांशु के आने पर जश्न की तैयारी हो रही है।
उनकी माँ आशा शुक्ला और बहन सुचि शुक्ला शुभांशु की अंतरिक्ष यात्रा पर बधाई देने वाले फ़ोन कॉल्स का लगातार जवाब दे रही हैं।
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मंगलवार को पीटीआई-वीडियोज़ से बात करते हुए, शुभांशु के पिता शंभू दयाल शुक्ला ने कहा, "आज हमारे लिए बहुत खुशी का दिन है। हम ईश्वर से उसकी सुरक्षित “लैंडिंग” के लिए प्रार्थना करते रहे हैं। यह बहुत खुशी की बात है कि वह अपना मिशन सफलतापूर्वक पूरा करके वापस लौटा है।"
उन्होंने परिवार की गहरी सम्मान और संतुष्टि की भावना व्यक्त करते हुए कहा, "यह हमारे और देश के लिए बेहद गर्व का क्षण है कि उसने इतना महत्वपूर्ण मिशन पूरा किया है। अब हम अपने परिवार, रिश्तेदारों और शुभचिंतकों के साथ यहां उत्सव मनाएँगे।"
शुभांशु की पत्नी कामना अभी लखनऊ में नहीं हैं। उनके बारे में शंभू दयाल ने कहा "अभी कामना फ्लोरिडा में हैं।” उन्होंने कहा कि “दोनों लखनऊ में एक साथ पढ़ते थे और परिवार की सहमति से दोनों का विवाह हुआ। उनका छह साल का बेटा कियाश हैं।”
शुभांशु इस अक्टूबर में 40 साल के हो जाएँगे। उनकी बहन, सुचि ने बताया कि शुभांशु अपने साथ अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर 'गाजर का हलवा और मूंग दाल का हलवा' जैसी भारतीय मिठाइयाँ ले गए थे क्योंकि उन्हें ये बहुत पसंद हैं। सुचि ने कहा कि वह चाहते थे कि उनकी अंतरिक्ष यात्रा पर उनके सह-यात्री भी इसका स्वाद चखें।
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उन्होंने कहा, "वीडियो और पोस्ट के ज़रिए हमें जो कुछ भी पता चला है, उससे लगता है कि उन सभी को यह बहुत पसंद आया।"
शुक्ला ड्रैगन 'ग्रेस' अंतरिक्ष यान से लौटे हैं, जो सोमवार को शाम 4:45 बजे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से अलग हुआ। उनके साथ मिशन कमांडर पैगी व्हिटसन, पोलैंड के स्लावोज़ उज़्नान्स्की-विस्नीव्स्की और हंगरी के टिबोर कापू भी हैं। ये सभी वाणिज्यिक एक्सिओम-4 मिशन का हिस्सा हैं।
राकेश शर्मा के 1984 के मिशन के बाद अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले दूसरे भारतीय अंतरिक्ष यात्री के रूप में शुक्ला ने इतिहास रच दिया, जिससे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की बढ़ती उपस्थिति में एक और उपलब्धि जुड़ गयी।
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