श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के भाई व पूर्व रक्षा मंत्री गोताबेया राजपक्षे ने श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में रविवार को जीत हासिल कर ली लेकिन लगभग सभी तमिल और मुस्लिम अल्पसंख्यक वाले प्रांतों में हार गए। दोपहर 12 बजे तक घोषित परिणामों के अनुसार, गोताबेया राजपक्षे ने अधिकांश सिंहल बहुल वाले दक्षिणी जिलों में जीत हासिल की है। हालांकि, वह तमिल बहुसंख्यक वाले गृह युद्ध से प्रभावित उत्तरी प्रांत और मुस्लिम बहुल पूर्वी प्रांत में 65 से 70 प्रतिशत वोट के साथ हार गए।
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राजपक्षे को उत्तरी प्रांत के सभी पांच जिलों जाफना, किलिनोच्चि, मुलैतिवु, ववुनिया, मन्नार और पूर्वी प्रांत के तीन जिलों-त्रिंकोमाली, बट्टिकलोवा, अंपारा में हार का मुंह देखना पड़ा। लगभग ये सभी तीन दशक तक चले लंबे गृह युद्ध से प्रभावित रहे हैं।
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बता दें कि गोतबेया राजपक्षे को 4,940,849 मतों के साथ 51.41 प्रतिशत वोट मिले, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी, न्यू डेमोक्रेटिक फ्रंट (एनडीएफ) व यूनाइडेट नेशनल पार्टी (यूएनपी) के उपनेता साजित प्रेमदासा को 4,106,293 मतों के साथ 42.72 प्रतिशत वोट से संतोष करना पड़ा।
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देश के कानून के अनुसार, राष्ट्रपति के दावेदार को चुनाव जीतने के लिए 50 फीसदी या उससे अधिक वोट प्राप्त करने होते हैं। साजित प्रेमदासा ने एक बयान में गोताबेया को बधाई देते हुए कहा कि वह तत्काल प्रभाव से सत्तारूढ़ यूनाइटेड नेशनल पार्टी के उपनेता का पद छोड़ देंगे।
प्रेमदासा ने कहा, “कड़ी लड़ाई और उत्साह से भरपूर चुनाव अभियान के समापन पर, जनता के निर्णय का सम्मान करना और श्रीलंका के राष्ट्रपति के रूप में गोताबेया राजपक्षे को निर्वाचित होने की बधाई देना मेरा सौभाग्य है।”
उन्होंने कहा, “मैं अपने उन सभी नागरिकों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं, जिन्होंने द्वीप के सभी कोनों में मेरे लिए मतदान किया। मुझ पर अपना भरोसा जताने के लिए मैं आपका आभारी हूं। आपका समर्थन मेरे 26 साल के लंबे राजनीतिक करियर में ताकत का स्रोत रहा है।”
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गौरतलब है कि लगभग 1.6 करोड़ मतदान करने के पात्र श्रीलंकाई जनता में से 80 प्रतिशत ने शनिवार को देश के नए राष्ट्रपति का चुनाव करने के लिए मतदान किया। गोताबेया राजपक्षे एक सेवानिवृत्त सैनिक हैं, जिन्होंने उस दौरान श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय का कार्यभार संभाला था, जब उनके बड़े भाई, महिंद्रा राजपक्षे राष्ट्रपति (2005-2015) थे और जब श्रीलंका ने 2009 में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के साथ अपना युद्ध समाप्त किया था।
वहीं दूसरी ओर, साजित प्रेमदासा, राणासिंघे प्रेमदासा के पुत्र हैं, जिन्होंने 1989 से मई 1993 में कोलंबो में लिट्टे द्वारा आत्मघाती बम विस्फोट में मारे जाने तक राष्ट्रपति के रूप में सेवा दी, उन्होंने मुस्लिम और तमिल अल्पसंख्यकों के लिए लड़ने का संकल्प लिया था।
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वहीं भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोटबाया राजपक्षे को जीत की बधाई दी। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि राष्ट्रपति चुनावों में जीत के लिये आपको बधाई गोटबाया। मैं, हमारे दोनों देशों और नागरिकों के बीच घनिष्ठ और भाइचारे वाले संबंधों को और अधिक मजबूत करने, शांति, समृद्धि और क्षेत्र में सुरक्षा के लिये आपके साथ मिलकर काम करने की आशा करता हूं।
(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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