ईरान के विदेश मंत्री सईद अब्बास अराघची ने दावा किया है कि अमेरिका के साथ वार्ता फिर से शुरू करने के लिए कोई व्यवस्था या प्रतिबद्धता नहीं की गई है। सिन्हुआ समाचार एजेंसी ने सरकारी प्रसारक आईआरआईबी के हवाले से इसकी जानकारी दी है। गुरुवार को प्रसारक के साथ हुए साक्षात्कार में अराघची ने कहा कि वार्ता फिर से शुरू करने की संभावना पर विचार किया जा रहा है, लेकिन यह इस बात पर निर्भर करेगा कि तेहरान के राष्ट्रीय हितों की रक्षा की जाती है या नहीं।
उन्होंने कहा, "हमारे निर्णय पूरी तरह से ईरान के हितों पर आधारित होंगे। अगर हमारे हितों के लिए वार्ता की वापसी की आवश्यकता है, तो हम इस पर विचार करेंगे। लेकिन इस स्तर पर, कोई समझौता या वादा नहीं किया गया है और कोई बातचीत नहीं हुई है।"
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अराघची ने वाशिंगटन पर 2015 के परमाणु समझौते को पुनर्जीवित करने और अमेरिकी प्रतिबंधों को हटाने पर वार्ता के पिछले दौर के दौरान ईरान को धोखा देने का आरोप लगाया। ईरानी राजनयिक ने यह भी पुष्टि की कि संसद ने शीर्ष संवैधानिक निरीक्षण निकाय 'गार्जियन काउंसिल' के अनुमोदन के बाद संयुक्त राष्ट्र परमाणु निगरानी संस्था से सहयोग को निलंबित करने वाला कानून बाध्यकारी हो गया है। उन्होंने कहा, "यह कानून अब अनिवार्य है और इसे लागू किया जाएगा। आईएईए के साथ हमारा सहयोग एक नया आकार लेगा।"
अराघची ने यह भी कहा कि इजरायल के साथ 12 दिवसीय युद्ध से हुई क्षति "गंभीर" थी और ईरान के परमाणु ऊर्जा संगठन के विशेषज्ञ विस्तृत आकलन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि क्षतिपूर्ति की मांग करने का सवाल सरकार के एजेंडे में सबसे ऊपर था। यह संघर्ष 13 जून को शुरू हुआ जब इजरायल ने ईरान में सैन्य और परमाणु सुविधाओं सहित कई ठिकानों पर हवाई हमले किए, जिसमें कई वरिष्ठ कमांडर, परमाणु वैज्ञानिक और नागरिक मारे गए। ये हमले ईरान और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा 15 जून को मस्कट, ओमान में अप्रत्यक्ष परमाणु वार्ता फिर से शुरू करने से कुछ दिन पहले हुए।
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इसके जवाब में, ईरान ने इजरायल पर मिसाइल और ड्रोन हमलों की लहरें चलाईं, जिससे हताहत हुए और नुकसान हुआ। शनिवार को अमेरिकी वायुसेना ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर हमला किया। जवाबी कार्रवाई में ईरान ने सोमवार को कतर में अमेरिका के अल उदीद एयर बेस पर मिसाइलें दागीं। 12 दिनों तक चले संघर्ष का अंत मंगलवार को ईरान और इजरायल के बीच युद्धविराम के साथ हुआ।
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