अमेरिका और चीन के बीच लंबे व्यापारित गतिरोध के बाद टैरिफ करार हो गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को ऐलान किया कि नए व्यापार समझौते के तहत अमेरिका को चीन से दुर्लभ खनिज चुंबक (मैग्नेट) और अन्य दुर्लभ खनिज मिलेंगे जबकि चीनी वस्तुओं पर सीमा शुल्क 55 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा। ट्रंप ने कहा कि इसके बदले में अमेरिका भी चीन को वह सब प्रदान करेगा जिस पर सहमति बनी है। इसमें चीनी छात्रों को अमेरिकी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में जाने की अनुमति देना भी शामिल है।
Published: undefined
दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं अमेरिका और चीन ने एक दिन पहले ही लंदन में व्यापार वार्ता को पटरी पर लाने के लिए एक रूपरेखा पर सहमति जताई थी। यह दो-दिवसीय बैठक खनिज और प्रौद्योगिकी निर्यात से जुड़े विवादों के समाधान पर केंद्रित थी। अप्रैल में ट्रंप द्वारा चीनी आयात पर उच्च शुल्क लगाने की घोषणा के बाद चीन ने भी जवाबी शुल्क लगा दिया था। हालांकि, बाद में दोनों देश इस पर व्यापक बातचीत करने के लिए सहमत हो गए थे।
Published: undefined
इस बीच, नीदरलैंड स्थित अंतरराष्ट्रीय अधिकार समूह ‘ग्लोबल राइट्स कंप्लायंस’ ने एक रिपोर्ट जारी कर चिंता जताई है कि कई वैश्विक ब्रांड अपनी चीनी आपूर्ति शृंखलाओं के माध्यम से जबरन श्रम का उपयोग करने के जोखिम में हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, एवन, वॉलमार्ट, नेस्कैफे, कोका-कोला और पेंट आपूर्तिकर्ता शेरविन-विलियम्स जैसी कंपनियां चीन के सुदूर-पश्चिमी क्षेत्र झिंजियांग से प्राप्त खनिजों, विशेष रूप से टाइटेनियम से संबंधित हो सकती हैं।
Published: undefined
अधिकार समूहों का आरोप है कि चीनी सरकार झिंजियांग में मुख्य रूप से मुस्लिम समुदाय उइगर और अन्य तुर्क अल्पसंख्यकों को निशाना बनाकर जबरन श्रम प्रथाएं चला रही है। इस रिपोर्ट में झिंजियांग में टाइटेनियम, लिथियम, बेरिलियम और मैग्नीशियम उद्योगों में 77 चीनी आपूर्तिकर्ताओं का उल्लेख है। इन आपूर्तिकर्ताओं पर चीनी सरकार के 'श्रम हस्तांतरण कार्यक्रमों' में भाग लेने का खतरा है, जिसके तहत उइगरों को कारखानों में काम करने के लिए मजबूर किया जाता है।
Published: undefined
रिपोर्ट ने कंपनियों से अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं की समीक्षा करने का आग्रह किया है, क्योंकि झिंजियांग में खनिज खनन और प्रसंस्करण आंशिक रूप से उइगरों और अन्य तुर्क लोगों के लिए राज्य के जबरन श्रम कार्यक्रमों पर निर्भर करता है। चीन के विदेश मंत्रालय ने इस रिपोर्ट में लगाए आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि चीन के झिंजियांग में कभी भी किसी को भी काम के कार्यक्रमों के तहत जबरन स्थानांतरित नहीं किया गया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इसे ‘कुछ चीन विरोधी ताकतों द्वारा गढ़ा गया झूठ’ बताया।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined