कराची विश्वविद्यालय में आत्मघाती बम विस्फोट की घटना सिर्फ इसलिए चर्चा का विषय नहीं बन रही है, क्योंकि इसने विदेशियों को निशाना बनाया है, बल्कि इस तथ्य से भी यह ध्यान आकर्षित कर रहा है कि हमलावर एक महिला थी।
Published: 27 Apr 2022, 6:12 PM IST
कराची विश्वविद्यालय में मंगलवार को हुए आत्मघाती बम विस्फोट में चार लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें तीन चीनी नागरिक और एक पाकिस्तानी नागरिक शामिल था। एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि खुद को बम से उड़ाने वाले कोई और नहीं, बल्कि एक महिला थी।
इससे भी अधिक आश्चर्य की बात यह है कि हमलावर एक अच्छी शैक्षणिक और मजबूत पारिवारिक पृष्ठभूमि से आती थी। एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, जब शैरी बलूच उर्फ बरमश ने हमले से करीब 10 घंटे पहले अपने ट्विटर हैंडल पर एक अलविदा संदेश पोस्ट किया, तो किसी को भी इस बात की जानकारी नहीं थी कि वह आगे क्या करने जा रही है।
Published: 27 Apr 2022, 6:12 PM IST
मंगलवार को पाकिस्तान को उस समय झटका लगा, जब पता चला कि पाकिस्तान में जिन तीन चीनी नागरिकों की मौत हुई है, दरअसल वे एक टारगेट थे। अशांत बलूचिस्तान प्रांत में उग्रवाद को बढ़ावा देने वालों के बारे में लोग जानते हैं, लेकिन हमलावर की पृष्ठभूमि कुछ सवालों के घेरे में है।
यह एक रात भर का उपदेश या अचानक उठाया गया कदम नहीं था, बल्कि हर संभव तरीके से एक सुविचारित कार्य था। शैरी बलूचिस्तान में अपने पैतृक केच जिले में एक प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका थी। उसने 2014 में बी. एड और 2018 में एम. एड की पढ़ाई पूरी की। उसने बलूचिस्तान विश्वविद्यालय से जूलॉजी में मास्टर्स और अल्लामा इकबाल ओपन यूनिवर्सिटी से एमफिल किया।
Published: 27 Apr 2022, 6:12 PM IST
वह अपने पीछे एक बेटी महरोश और पांच साल का एक बेटा मीर हसन छोड़ गई है। उसका पति एक दंत चिकित्सक है, जबकि उसके पिता एक सरकारी एजेंसी में निदेशक के रूप में कार्यरत थे। बाद में, उसके पिता ने तीन साल तक जिला परिषद के सदस्य के रूप में भी काम किया। उसका देवर लेक्चरर हैं।
परिवार अच्छी तरह से शिक्षित और शांतिपूर्ण स्वभाव के लिए जाना जाता है। एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, उसके एक चाचा लेखक, पूर्व प्रोफेसर और मानवाधिकार प्रचारक हैं।
यह जानना मुश्किल हो सकता है कि बलूच सशस्त्र संघर्ष में शामिल होने के लिए उसे किस बात ने उकसाया, लेकिन वह अपने छात्र जीवन में बलूच छात्र संगठन (बीएसओ-आजाद) की सदस्य बनी रही थी।
Published: 27 Apr 2022, 6:12 PM IST
महत्वपूर्ण बात यह है कि केच में 2018 में एक सैन्य अभियान के दौरान मारे गए पांचवें चचेरे भाई को छोड़कर उसके परिवार का कोई भी सदस्य लापता नहीं है या जबरन गायब नहीं हुआ है।
एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने बताया कि आत्मघाती बम धमाकों में एक महिला को काम पर रखने की रणनीति ने कुछ सवाल खड़े किए हैं। सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या बलूच विद्रोह खुद को फिर से परिभाषित कर रहा है? इस तरह के हमलों में अब महिलाओं का इस्तेमाल क्यों किया गया और पहले ऐसा क्यों नहीं किया गया था? क्या इन महिलाओं का ब्रेनवॉश किया गया या फिर जबरदस्ती ऐसा कराया गया?
आईएएनएस के इनपुट के साथ
Published: 27 Apr 2022, 6:12 PM IST
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Published: 27 Apr 2022, 6:12 PM IST