दुनिया भर के देश कोरोना वायरस से जंग लड़ रहे हैं और इस बीच इस्लामिक स्टेट इसका इस्तेमाल अपने आतंक को फैलाने के लिए करना चाह रहा है। अपने साप्ताहिक न्यूजलेटर में इस्लामिक स्टेट ने इसे पश्चिमी देशों के लिए एक दर्दनाक यातना बताया है। इस न्यूजलेटर में लिखा गया है कि पश्चिमी देशों के लिए कोरोना वायरस का खौफ उसके असर से ज्यादा खतरनाक साबित हो रहा है। कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए दुनिया भर के देश दूसरों से अपने तार तक काट रहे हॉं। अधिकतर अंतरराष्ट्रीय उड़ानें रद्द कर दी गई हैं, बहुत से शहर लॉकडाउन की स्तिथि का सामना कर रहे हैं, बाजारें बंद हैं।
Published: 24 Mar 2020, 11:40 AM IST
चीन के बाद कोरोना का सबसे ज्यादा असर अमेरिका और यूरोप के देशों में देखा जा रहा है। आईएस ने कहा है कि पश्चिमी देश इस वक्त एक ‘आर्थिक तबाही की कगार’ पर हैं। आईएस ने लिखा है, “हम चाहते हैं कि अल्लाह इस यातना को और बढ़ाए और अल्लाह पर विश्वास करने वालों को इससे बचाए।”
Published: 24 Mar 2020, 11:40 AM IST
नाटो ने कहा है कि कोरोना महामारी के मद्देनजर वह इराक में 60 दिन के लिए ट्रेनिंग को रद्द कर रहा है। अमेरिका के सामने अपने सैनिकों को कोरोना से बचाने की चुनौती है। हालांकि अमेरिका ने दावा किया है कि उसके कदम इलाके में उसके ऑपरेशन पर असर नहीं करेंगे लेकिन इस्लामिक स्टेट से सामना करना अमेरिका के लिए मुश्किल हो सकता है।
Published: 24 Mar 2020, 11:40 AM IST
न्यूयॉर्क के सूफन सेंटर के रिसर्चर और "आफ्टर द कैलिफेट" किताब के लेखक कॉलिन पी क्लार्क ने कहा, “इसमें कोई शक नहीं कि कोरोना महामारी के कारण इस्लामिक स्टेट के खिलाफ जंग से ध्यान भटकेगा। लेकिन आईएस के लड़ाकों पर भी वायरस का खतरा है। वे वायरस से बचे नहीं रह सकते और अगर वे स्वास्थ्य और चिकित्सा से जुड़ी गलत जानकारी पर भरोसा कर रहे हैं तो उनके लड़के बहुत आसानी से इसका शिकार हो सकते हैं।”
Published: 24 Mar 2020, 11:40 AM IST
जहां कोरोना से बचने के लिए जगह जगह ट्रैवल एडवाइजरी जारी हो रही हैं और लोगों को यात्रा ना करने की हिदायत दी जा रही है, वहीं इस्लामिक स्टेट की एडवाइजरी अलग ही तरह की है। इसमें कहा गया है कि जिहाद करने वालों को दैव्य शक्ति बीमार होने से बचाएगी। इतना ही नहीं, जिहाद करने के तरीकों का भी खुल कर जिक्र किया गया है। इसमें जेल तोड़ दूसरे लड़ाकों और उनके परिवारों को छुड़वाना शामिल है। अक्टूबर 2019 में सीरिया की एक जेल से इस्लामिक स्टेट से नाता रखने वाले करीब 750 कैदी भाग निकले थे।
Published: 24 Mar 2020, 11:40 AM IST
कॉलिन क्लार्क का कहना है, “अगर वायरस जेलों और डिटेंशन सेंटरों में फैलने लगा और मुमकिन है कि ऐसा शुरू भी हो गया हो, तो उन्हें चलाने वालों का ध्यान भी अपने मिशन से भटक जाएगा।” आईएस को भी इस बात का अहसास है और वह अपने लड़ाकों को इसी स्तिथि के लिए तैयार कर रहा है कि जैसे ही जेल अधिकारियों का ध्यान भटके जेलों पर हमला बोल दिया जाए और वहां कैद लड़ाकों को भागने में मदद की जाए। इराक में देश भर में अलग अलग जेलों में कुछ 20,000 ऐसे कैदी हैं जिनका आईएस से नाता है। इनमें से कुछ के भी रिहा होने का मतलब होगा आईएस को काबू करने की सालों की मेहनत पर पानी फिर जाना।
Published: 24 Mar 2020, 11:40 AM IST
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Published: 24 Mar 2020, 11:40 AM IST