दुनिया

कौन हैं सुशीला कार्की? जिन्होंने हिंसा और अव्यवस्था के बीच संभाली नेपाल की कमान

कार्की का कार्यकाल विवादों से अछूता नहीं रहा। अप्रैल 2017 में तत्कालीन सरकार ने पक्षपात का आरोप लगाते हुए संसद में उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया और उन्हें पद से निलंबित कर दिया गया। हालांकि, जनता के दबाव के चलते यह प्रस्ताव वापस लेना पड़ा।

कौन हैं सुशीला कार्की? जिन्होंने हिंसा और अव्यवस्था के बीच संभाली नेपाल की कमान
कौन हैं सुशीला कार्की? जिन्होंने हिंसा और अव्यवस्था के बीच संभाली नेपाल की कमान फोटोः सोशल मीडिया

नेपाल इन दिनों जेन जी आंदोलन और विरोध प्रदर्शनों के कारण उथल-पुथल से गुजर रहा है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद हालात और भी तनावपूर्ण हो गए हैं। इस बीच प्रदर्शनकारियों ने नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में चुना है। 73 वर्षीय सुशीला कार्की ने शुक्रवार देर शाम नेपाल के अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने उन्हें प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई।

Published: undefined

सुशीला कार्की का जन्म 7 जून 1952 को नेपाल के बिराटनगर में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा यहीं से प्राप्त की और 1972 में बिराटनगर से स्नातक की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने भारत का रुख किया और 1975 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की। भारत से जुड़ाव को लेकर कार्की हमेशा भावुक रही हैं। वे बताती हैं कि उनका घर भारत-नेपाल सीमा से मात्र 25 मील दूर है। बचपन में वे नियमित रूप से बॉर्डर मार्केट जाया करती थीं।

Published: undefined

1978 में सुशीला कार्की ने त्रिभुवन विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी की। अगले ही साल उन्होंने बिराटनगर में वकालत की शुरुआत की। 1985 में वे धरान स्थित महेंद्र मल्टीपल कैंपस में सहायक अध्यापिका भी रहीं। उनके करियर का अहम मोड़ 2009 में आया जब उन्हें नेपाल सुप्रीम कोर्ट में अस्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया। एक साल बाद, 2010 में, वे स्थायी न्यायाधीश बनीं। उनकी कड़ी मेहनत, ईमानदारी और निडर छवि ने उन्हें न्यायपालिका में अलग पहचान दिलाई। 2016 में वे कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश बनीं और 11 जुलाई 2016 से 6 जून 2017 तक नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश के रूप में पद संभाला। यह उपलब्धि न सिर्फ उनके लिए, बल्कि नेपाल की न्यायिक व्यवस्था के लिए भी ऐतिहासिक मानी गई।

Published: undefined

हालांकि, उनका कार्यकाल विवादों से भी अछूता नहीं रहा। अप्रैल 2017 में तत्कालीन सरकार ने संसद में उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया। उन पर पक्षपात और सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप के आरोप लगाए गए। प्रस्ताव आते ही उन्हें पद से निलंबित कर दिया गया। लेकिन इस घटना ने उनकी छवि को और मजबूत किया। जनता ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता के समर्थन में आवाज उठाई और सुप्रीम कोर्ट ने संसद को आगे की कार्रवाई से रोक दिया। बढ़ते दबाव के चलते संसद को कुछ ही हफ्तों में प्रस्ताव वापस लेना पड़ा।

Published: undefined

इस पूरे प्रकरण ने सुशीला कार्की को एक ऐसी निडर न्यायाधीश के रूप में स्थापित किया, जो सत्ता के दबाव के आगे नहीं झुकतीं। आज, जब नेपाल एक गहरे राजनीतिक संकट से गुजर रहा है, तो सुशीला कार्की को देश संभालने की जिम्मेदारी दी गई है। अंतरिम सरकार की प्रमुख के तौर पर शपथ लेने के साथ ही सुशीला कार्की ने नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री बनने का इतिहास भी रच दिया है। हालांकि, इतिहास रचने के साथ ही उनके सामने हिंसा ग्रस्त देश को पटरी पर लाने की गंभीर चुनौती भी है।

Published: undefined

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: undefined