
अमेरिका और भारत के बीच रिश्तों में नरमी के संकेत मिलने के बीच चीन ने वॉशिंगटन से सहयोग बढ़ाने की अपील की है। एक दिन पहले ही बीजिंग ने पेंटागन की एक हालिया रिपोर्ट पर अमेरिका पर चीन की रक्षा नीति को गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगाया था। इसी क्रम में चीन के सरकारी नियंत्रण वाले समाचार पोर्टल पीपुल्स डेली ऑनलाइन में प्रकाशित एक लेख में अमेरिका-चीन द्विपक्षीय संबंधों, खासकर आर्थिक और व्यापारिक क्षेत्र में सहयोग के महत्व पर जोर दिया गया है।
लेख में कहा गया, “अंतरराष्ट्रीय संबंध कभी भी पूरी तरह सुगम नहीं रहे हैं। अशांत परिस्थितियों में दिशा को स्थिर रखने और समग्र स्थिति को संभालने के लिए बुद्धिमत्ता और जिम्मेदारी की आवश्यकता होती है।”
आगे कहा गया, “इतिहास की ओर देखें तो सबक स्पष्ट हैं। साझा जिम्मेदारी और भविष्य के हित में चीन और अमेरिका को सहयोग करना चाहिए और वे ऐसा कर भी सकते हैं।”
लेख में इस वर्ष को “विश्व फासीवाद-विरोधी युद्ध में विजय की 80वीं वर्षगांठ” बताते हुए कहा गया कि उस समय चीन और अमेरिका ने कंधे से कंधा मिलाकर लड़ाई लड़ी थी और शांति, न्याय तथा मानव सभ्यता की रक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
इससे पहले वर्ष की शुरुआत में अमेरिका-चीन व्यापार तनाव उस समय बढ़ गया था, जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने व्यापार असंतुलन, फेंटेनाइल की अवैध तस्करी और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण से जुड़े राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों का हवाला देते हुए चीनी आयात पर शुल्क दोबारा लगाए और बढ़ाए। इसके जवाब में चीन ने अमेरिकी कृषि उत्पादों, औद्योगिक मशीनरी और दुर्लभ खनिजों सहित प्रमुख निर्यात वस्तुओं पर प्रतिशोधात्मक शुल्क लगाए।
वैश्विक व्यापार में बाधाओं और आर्थिक अनिश्चितता के बीच कूटनीतिक प्रयासों के तहत कई दौर की बातचीत हुई। पिछले महीने दक्षिण कोरिया में राष्ट्रपति ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बैठक से तनाव में कुछ कमी आई। हालांकि, कोई व्यापक औपचारिक व्यापार समझौता नहीं हो सका।
इस बैठक का उल्लेख करते हुए लेख में कहा गया कि “चीन और अमेरिका के बीच शीर्ष नेतृत्व की कूटनीति द्विपक्षीय संबंधों की दिशा तय करने में एक मजबूत आधार का काम करती है।”
गौरतलब है कि गुरुवार को चीन ने पेंटागन की रिपोर्ट की कड़ी आलोचना करते हुए कहा था कि यह चीन की रक्षा नीतियों को तोड़-मरोड़ कर पेश करती है और अमेरिका को अन्य देशों के साथ चीन के कूटनीतिक संबंधों में हस्तक्षेप से बचना चाहिए।
Published: undefined
पाकिस्तान वर्षों से एक के बाद एक आर्थिक संकट में फंसता जा रहा है और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के बेलआउट पैकेजों पर उसकी निर्भरता लगातार बढ़ती जा रही है। हैरानी की बात यह है कि आईएमएफ की शर्तों का बार-बार उल्लंघन करने के बावजूद पाकिस्तान को लगातार कर्ज मिलता रहा है। अब पाकिस्तान अपने 25वें आईएमएफ ऋण कार्यक्रम की ओर बढ़ चुका है।
ताजा समझौते के तहत पाकिस्तान को 7 अरब डॉलर का एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (ईएफएफ) पैकेज 37 महीनों के लिए मिला है, साथ ही 1.4 अरब डॉलर का रेज़िलिएंस एंड सस्टेनेबिलिटी फंड (आरएसएफ) भी शामिल है। अक्टूबर में हुए स्टाफ-लेवल एग्रीमेंट के अनुसार, पाकिस्तान को ईएफएफ के तहत 1 अरब डॉलर और आरएसएफ के तहत 20 करोड़ डॉलर मिलेंगे। इस तरह दोनों व्यवस्थाओं के तहत अब तक कुल 3.3 अरब डॉलर का वितरण हो चुका है।
एशियन लाइट अखबार में प्रकाशित एक लेख के अनुसार, यह वित्तीय मदद अस्थायी राहत जरूर देती है, लेकिन यह पाकिस्तान की बाहरी बेलआउट पर बढ़ती निर्भरता को भी उजागर करती है। आईएमएफ के कार्यक्रमों का उद्देश्य आर्थिक स्थिरता और अनुशासन लाना होता है, लेकिन पाकिस्तान अब तक दीर्घकालिक सुधार लागू करने में असफल रहा है।
आईएमएफ का काम घरेलू नीतियों का सूक्ष्म प्रबंधन करना नहीं, बल्कि राजकोषीय घाटा कम करना, राजस्व बढ़ाना और सब्सिडी को तर्कसंगत बनाना है। इसके बावजूद, पाकिस्तान की सरकारें राजनीतिक रूप से सुविधाजनक लेकिन सामाजिक रूप से प्रतिगामी फैसले लेती रही हैं। इसका नतीजा यह है कि वेतनभोगी वर्ग और आम उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ता गया, जबकि कृषि, रियल एस्टेट और रिटेल जैसे शक्तिशाली क्षेत्रों को कर के दायरे से बाहर रखा गया। रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में केवल करीब 2 प्रतिशत लोग ही आयकर देते हैं, जो कर व्यवस्था की गंभीर असमानता को दर्शाता है।
नवंबर 2025 में जारी आईएमएफ की एक रिपोर्ट में पाकिस्तान में भ्रष्टाचार की लगातार बनी हुई समस्या को रेखांकित करते हुए पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए 15-सूत्रीय सुधार एजेंडा तुरंत लागू करने की मांग की गई थी। आईएमएफ की गवर्नेंस एंड करप्शन डायग्नोस्टिक असेसमेंट रिपोर्ट में कहा गया कि पाकिस्तान का बजट विश्वसनीय नहीं है। कई परियोजनाओं को स्वीकृति मिलने के बावजूद उन्हें पूरे कार्यकाल में पर्याप्त धन नहीं मिल पाता, जिससे देरी और लागत में भारी वृद्धि होती है।
वर्ष 2024-25 में पाकिस्तान की नेशनल असेंबली ने 9.4 ट्रिलियन रुपये के अतिरिक्त खर्च को मंजूरी दी, जो पिछले वर्ष की तुलना में पांच गुना अधिक है। सांसदों के प्रत्यक्ष नियंत्रण वाले निर्वाचन क्षेत्र विकास कोष भी पूंजी निवेश को प्रभावित करते हैं और निगरानी को कमजोर बनाते हैं, जिससे सार्वजनिक संसाधनों के दुरुपयोग की आशंका बढ़ जाती है।
आईएमएफ भले ही वित्तीय अनुशासन पर जोर देता हो, लेकिन असली समस्या पाकिस्तान के शासक वर्ग की राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है। सरकारी संस्थानों के विलासितापूर्ण खर्च जारी हैं, सब्सिडी का गलत दिशा में इस्तेमाल हो रहा है और अभिजात वर्ग के विशेषाधिकार बने हुए हैं। वहीं पेंशनरों को कटौती झेलनी पड़ रही है और गरीब उपभोक्ताओं पर गैस के फिक्स्ड चार्ज का बोझ डाला जा रहा है।
Published: undefined
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने लाहौर में आंदोलन करने का ऐलान किया है। स्थानीय मीडिया की ओर से साझा जानकारी के अनुसार, पीटीआई ने शुक्रवार को घोषणा की है कि वह लाहौर में खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री सोहेल अफरीदी के नेतृत्व में लिबर्टी राउंडअबाउट पर आंदोलन शुरू करेगी।
बता दें कि पीटीआई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पहले ही ऐलान कर दिया था कि वह पाकिस्तान में बड़ा आंदोलन करेगी। पीटीआई ने यह ऐलान तोशाखाना-2 केस में कोर्ट के फैसले के बाद लिया था। पंजाब की मुख्य आयोजक आलिया हमजा मलिक ने कहा कि पीटीआई के संस्थापक इमरान खान द्वारा दिए गए निर्देशों के मुताबिक, खैबर पख्तूनख्वा में एक बड़ा विरोध आंदोलन होगा।
पाकिस्तानी मीडिया डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने लाहौर में पीटीआई के टिकट होल्डर्स, ऑफिस-बेयरर्स, वर्करों, और वकीलों को अफरीदी के स्वागत के लिए लिबर्टी राउंडअबाउट पर मौजूद रहने का आदेश दिया है।
आलिया हमजा मलिक ने पीटीआई सदस्यों से देश में संविधान, कानून और लोकतंत्र को फिर से बहाल करने में अपनी भूमिका निभाने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि इमरान खान की रिहाई के लिए लाहौर के मेन रास्ते को मार्च में बदलना एक ऐतिहासिक पल होगा।
बता दें कि इमरान खान 190 मिलियन पाउंड के भ्रष्टाचार मामले में अगस्त, 2023 से जेल में हैं। वह रावलपिंडी की अदियाला जेल में 14 साल की जेल की सजा काट रहे हैं। इसके अलावा 9 मई, 2023 को हुए विरोध से जुड़े आतंकवाद विरोधी अधिनियम के तहत पीटीआई चीफ पर ट्रायल चल रहा है। इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी भी इसी केस में सात साल की सजा काट रही हैं।
पीटीआई चीफ के पास जेल में अपने सोशल मीडिया हैंडल का एक्सेस नहीं है। ऐसे में इससे पहले उनके अकाउंट पर इमरान और उनके वकील के बीच हुई बातचीत का जिक्र करते हुए लिखा गया था, "मैंने खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री सोहेल अफरीदी को सड़क पर आंदोलन की तैयारी करने का मैसेज भेजा है। पूरे देश को अपने अधिकारों के लिए खड़ा होना होगा।"
इमरान खान के हवाले से पोस्ट में कहा गया कि इस केस में उन्हें मिली सजा कोई हैरानी की बात नहीं है, लेकिन उन्होंने अपनी लीगल टीम से इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाने को कहा है। उन्होंने कहा, "पिछले तीन सालों के बेबुनियाद फैसलों और सजाओं की तरह तोशखाना-2 केस का फैसला भी मेरे लिए कोई नई बात नहीं है। यह फैसला जज ने बिना किसी सबूत और कानूनी जरूरतों को पूरा किए जल्दबाजी में दिया था।"
Published: undefined
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की हालत दयनीय है। अल्पसंख्यक हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की नृशंस हत्या को अभी एक महीना भी नहीं हुआ था कि दूसरा मामला सामने आ गया। ताजा जानकारी के अनुसार अमृत मंडोल नाम के एक हिंदू युवक की भीड़ ने हत्या कर दी। हालांकि, यूनुस सरकार का कहना है कि इसका सांप्रदायिक हिंसा से कोई संबंध नहीं है।
सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि भीड़ ने एक और हिंदू युवक की हत्या कर दी है। ऐसे में बांग्लादेशी मीडिया बीएसएस की ओर से साझा जानकारी के अनुसार, अंतरिम सरकार ने राजबाड़ी मॉब लिंचिंग में हुए शख्स की हत्या की कड़ी निंदा की। इसके साथ ही यूनुस सरकार ने सोशल मीडिया और कुछ मीडिया आउटलेट्स पर चल रहे इस दावे को खारिज कर दिया कि यह घटना सांप्रदायिक थी। यूनुस सरकार ने अपराधियों को कानून के दायरे में लाने का वादा किया।
सीए के प्रेस विंग की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया, “सरकार के संज्ञान में आया है कि राजबाड़ी जिले के पंग्शा पुलिस स्टेशन इलाके में बुधवार की रात को हुई दुखद हत्या के बारे में सोशल मीडिया और अलग-अलग मीडिया आउटलेट्स पर गुमराह करने वाली जानकारी फैलाई जा रही है।”
बीएसएस ने बताया कि पुलिस की जानकारी और शुरुआती जांच के अनुसार, यह घटना बिल्कुल भी सांप्रदायिक हमला नहीं थी, बल्कि यह जबरन वसूली और आतंकवादी गतिविधियों से पैदा हुई हिंसक स्थिति से उपजी थी।
बयान में कहा गया है कि मरने वाले की पहचान अपराधी अमृत मंडोल उर्फ सम्राट के तौर पर हुई है। वह जबरन वसूली के पैसे मांगने इलाके में गया था और गुस्साए स्थानीय लोगों के साथ झड़प के दौरान मारा गया।
बयान के अनुसार, सम्राट पहले भी 2023 में दर्ज मर्डर और वसूली समेत कई गंभीर मामलों में आरोपी था। सभी मामलों में उसके खिलाफ अरेस्ट वारंट हैं। पुलिस ने उसके एक साथी सलीम को मौके से एक विदेशी पिस्टल और एक पाइपगन के साथ हिरासत में लिया और कहा कि इस घटना के संबंध में पहले ही तीन मामले दर्ज किए जा चुके हैं।
सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया, “सरकार इस हत्या की कड़ी निंदा करती है। सरकार यह साफ करना चाहती है कि सरकार किसी भी तरह की गैर-कानूनी गतिविधियों, सामूहिक मारपीट या हिंसा का समर्थन नहीं करती है। इस घटना में सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल सभी लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। कानून लागू करने वाली एजेंसियों ने इस घटना की जांच जारी रखी है।”
यूनुस सरकार ने इसे सांप्रदायिक हिंसा मानने से इनकार करते हुए कहा, “सरकार इस बात पर गहरी चिंता जता रही है कि एक खास समूह मरने वाले की धार्मिक पहचान को हाईलाइट करके इस घटना को सांप्रदायिक हमला बताने की कोशिश कर रहा है, जो पूरी तरह से बेबुनियाद है और गलत इरादों से किया गया है।”
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined