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दुनिया की खबरें: पाकिस्तान में भारी बारिश से तबाही, 154 लोगों की मौत और एयर कनाडा ने कई उड़ानें रद्द कीं

खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में अधिकांश मौतें हुईं, जहां मूसलाधार बारिश के कारण विभिन्न जिलों में अचानक बाढ़ आ गई। बाढ़ से कई इमारतें क्षतिग्रस्त हो गईं और पीओके के गिलगित-बाल्टिस्तान में काराकोरम राजमार्ग और बाल्टिस्तान राजमार्ग सहित प्रमुख सड़कें अवरुद्ध हो गईं।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में भारी बारिश से तबाही हुई है। बीते 24 घंटे के दौरान भारी बारिश से जुड़ी घटनाओं में कम से कम 154 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य लापता हैं। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में अधिकांश मौतें हुईं, जहां मूसलाधार बारिश के कारण विभिन्न जिलों में अचानक बाढ़ आ गई। बाढ़ से कई इमारतें क्षतिग्रस्त हो गईं और पीओके के गिलगित-बाल्टिस्तान में काराकोरम राजमार्ग और बाल्टिस्तान राजमार्ग सहित प्रमुख सड़कें अवरुद्ध हो गईं।

स्थानीय सरकारी अधिकारियों ने बताया कि बुनेर जिले में कुल 75 लोग मारे गए, मनसेहरा में 17 और खैबर पख्तूनख्वा के बाजौर और बटाग्राम जिलों में 18-18 लोग मारे गए।

प्रांतीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (पीडीएमए) के प्रवक्ता फैजी ने शुक्रवार को बताया, "प्रांत के कुछ हिस्सों में बृहस्पतिवार रात से बादल फटने और उसके बाद अचानक आई बाढ़ के कारण बच्चों सहित 125 से अधिक लोगों की मौत हो गई।" उन्होंने बताया कि बचाव दल और स्थानीय निवासियों ने शव बरामद कर लिए हैं।

हालांकि, फैजी ने कहा कि मृतकों की संख्या में वृद्धि होने की आशंका है क्योंकि प्रभावित क्षेत्रों में अभी भी बड़ी संख्या में लोग लापता हैं।

लोअर दीर में पांच लोग मारे गए और चार घायल हो गए। स्वात में चार लोगों की मौत हुई, जबकि प्रांत के शांगला में एक व्यक्ति के हताहत होने की सूचना है। फैजी ने बताया कि बाजौर जिला आपातकालीन अधिकारी (डीईओ) अमजद खान की देखरेख में खोज एवं बचाव अभियान जारी है।

स्वात और बाजौर के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पाकिस्तानी सेना का राहत अभियान जारी है तथा सेना की टीम बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों से निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर रही हैं।

खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अमीन अली गंडापुर ने बचाव और राहत कार्यों के लिए सभी उपलब्ध संसाधनों को तैनात करने का निर्देश दिया तथा मलकंद के आयुक्त और बाजौर के उपायुक्त को व्यक्तिगत रूप से कार्यों की निगरानी करने का निर्देश दिया।

अधिकारियों ने बताया कि गिलगित-बाल्टिस्तान के घिजर जिले में अचानक आई बाढ़ के कारण आठ लोगों की मौत हो गई और दो अन्य लापता हो गए। इस दौरान कई मकान, वाहन, स्कूल और स्वास्थ्य केंद्र क्षतिग्रस्त हो गए तथा कराकोरम राजमार्ग और बाल्टिस्तान राजमार्ग कई स्थानों पर बंद हो गए।

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एयर कनाडा ने कई उड़ानें रद्द कीं, लाखों यात्रियों के प्रभावित होने की आशंका

एयर कनाडा ने अपनी विमान परिचारिकाओं के संभावित कार्य बहिष्कार के मद्देनजर बृहस्पतिवार से उड़ानें रद्द करना शुरू कर दीं, जिससे लाखों यात्री के प्रभावित होने की आशंका है।

एयर कनाडा देश की सबसे बड़ी विमानन कंपनी है। इसका परिचालन ठप पड़ने से रोजाना औसतन 1.30 लाख यात्रियों पर असर पड़ने की आशंका है।

एयर कनाडा की 10,000 विमान परिचारिकाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले यूनियन ने बुधवार को 72 घंटे की हड़ताल का नोटिस जारी किया। जवाब में, विमानन कंपनी ने भी उन्हें काम पर नहीं लौटने देने का नोटिस जारी कर दिया।

एयर कनाडा के मुख्य परिचालन अधिकारी मार्क नासर ने कहा कि विमानन कंपनी ने एयर कनाडा और एयर कनाडा रूज की उड़ानों को धीरे-धीरे स्थगित करना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा, “शनिवार सुबह तक सभी उड़ानें रोक दी जाएंगी।”

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तालिबान के चार साल के दमनकारी शासन के बाद अफगान चुपचाप कष्ट झेल रहे हैं

अफगानिस्तान का लोकतांत्रिक गणराज्य 15 अगस्त, 2021 को ध्वस्त हो गया। जैसे ही अमेरिका और नाटो के सभी सैनिक देश छोड़कर गए, तालिबान फिर से सत्ता में आ गया और अफगान लोगों का भविष्य अनिश्चितता में घिर गया।

संतुलित शासन और समावेशिता के वादों के बावजूद चार साल बाद तालिबान ने एक दमनकारी शासन स्थापित कर लिया है, जिसने कानून, न्याय और नागरिक अधिकारों की संस्थाओं को निर्ममता से कुचल दिया गया है।

जैसे-जैसे तालिबान शासन ने अपनी पकड़ मजबूत की है, अंतरराष्ट्रीय ध्यान इस देश की तरफ कम होता गया है। यूक्रेन, गाजा और अन्य जगहों पर संकट वैश्विक एजेंडे पर हावी हो गए हैं, जिससे अफगानिस्तान सुर्खियों से बाहर हो गया है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ा तालिबान इस समस्या को समाप्त करने और वैधता हासिल करने की कोशिश कर रहा है, क्या अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय वास्तविक दबाव डालने की इच्छाशक्ति दिखा सकेगा?

तालिबान का दमनकारी साम्राज्य : सत्ता में वापस आने के बाद, तालिबान ने देश के 2004 के संविधान को त्याग दिया, जिससे पारदर्शी कानून के बिना शासन किया जा रहा है। तालिबान नेता मुल्ला हिबतुल्लाह अखुंदजादा, कंधार स्थित अपने ठिकाने से मनमाने आदेशों से शासन चला रहे हैं।

महिलाओं और लड़कियों पर तालिबान का दमन इतना गंभीर है कि मानवाधिकार समूह अब इसे ‘‘लैंगिक रंगभेद’’ कहते हैं और इस बात पर जोर देते हैं कि इसे एक नया अंतरराष्ट्रीय अपराध घोषित किया जाना चाहिए।

इन आदेशों ने महिलाओं को सार्वजनिक जीवन से पूरी तरह से अलग-थलग कर दिया है, उन्हें प्राथमिक विद्यालय (धार्मिक शिक्षा को छोड़कर) के बाद की शिक्षा, रोजगार और सार्वजनिक स्थानों पर जाने से रोक दिया गया है। महिलाएं बिना महरम या पुरुष अभिभावक के सार्वजनिक स्थानों पर स्वतंत्र रूप से नहीं घूम सकतीं।

तालिबान ने महिला मामलों के मंत्रालय को भी भंग कर दिया और उसकी जगह सद्गुण प्रचार एवं दुराचार निवारण मंत्रालय स्थापित कर दिया। दमन के एक प्रमुख साधन के रूप में, यह मंत्रालय नियमित छापेमारी और गिरफ्तारियों तथा सार्वजनिक स्थलों की निगरानी के माध्यम से संस्थागत लैंगिक भेदभाव को मजबूत करता है।

तालिबान शासन के कारण अल्पसंख्यक जातीय और धार्मिक समूहों जैसे हजारा, शिया, सिख और ईसाइयों का बहिष्कार और उत्पीड़न भी हुआ है।

तालिबान के प्रतिरोध के केंद्र बिंदु पंजशीर प्रांत में मानवाधिकार समूहों ने स्थानीय आबादी पर तालिबान के गंभीर दमन का दस्तावेजीकरण किया है, जिसमें सामूहिक गिरफ्तारी, यातना और न्यायेतर हत्याएं शामिल हैं।

व्यापक रूप से, तालिबान ने देश में नागरिकों की अभिव्यक्ति पर अंकुश लगा दिया है। पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को हिंसा और मनमानी गिरफ्तारियों के जरिए चुप करा दिया गया है।

हालांकि, अधिकतर देश तालिबान को देश की औपचारिक और वैध सरकार के रूप में मान्यता नहीं देते हैं, फिर भी कुछ क्षेत्रीय देशों ने इसके अंतरराष्ट्रीय अलगाव को कम करने का आह्वान किया है।

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इजरायल-भारत साझेदारी के सर्वश्रेष्ठ अध्याय अभी बाकी हैं : नेतन्याहू

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भारत और इजरायल को "दो गौरवशाली लोकतंत्र" बताया। उन्होंने भारत के 79वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत के लोगों को शुभकामनाएं दीं।

अपने संदेश में प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने कहा कि भारत और इजरायल ने साथ मिलकर अब तक कई उपलब्धियां हासिल की हैं। उन्होंने भरोसा जताया कि दोनों देशों की साझेदारी के सबसे अच्छे दिन अभी आने बाकी हैं।

प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने अपने संदेश में कहा, "मेरे प्रिय मित्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत की जनता को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं। इजरायल और भारत दो मजबूत लोकतंत्र हैं, जो इतिहास, नवाचार और गहरी दोस्ती से जुड़े हैं। दोनों देशों ने मिलकर अब तक बहुत कुछ हासिल किया है, और हमारी साझेदारी का सबसे अच्छा दौर अभी आना बाकी है।"

इजरायल के राष्ट्रपति इसहाक हर्ज़ोग ने भी स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और भारत की जनता को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि इस चुनौतीपूर्ण समय में भारत की दोस्ती इजरायल को और मजबूती देगी।

भारत के स्वतंत्रता दिवस पर इजरायल के राष्ट्रपति इसहाक हर्ज़ोग ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और भारत के लोगों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा, "मैं भारत के सभी लोगों को शांति और समृद्धि की कामना करता हूं। इन कठिन दिनों में इजरायल के साथ आपकी दोस्ती हमें मजबूत बनाती है। मैं आशा करता हूं कि हमारे देशों के रिश्ते और गहरे हों और हम जल्द ही अपने सभी बंधकों की सुरक्षित वापसी देख सके।"

इजरायली संसद (नेसेट) के अध्यक्ष अमीर ओहाना ने भी लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और भारत की जनता को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने अपने संदेश में बिरला और अन्य नेताओं के साथ ली गई एक पुरानी तस्वीर भी साझा की।

एक्स पर साझा की गई पोस्ट में नेसेट अध्यक्ष अमीर ओहाना ने लिखा, "भारत के स्वतंत्रता दिवस पर सभी भारतीयों को हार्दिक शुभकामनाएं! नेसेट की ओर से, मैं अपने प्रिय मित्र ओम बिरला और भारत के सभी नागरिकों को शुभकामनाएं देता हूं। हमारे देशों और सांसदों के बीच दोस्ती हमेशा मजबूत बनी रहे।"

भारत में इजरायल के राजदूत रूवेन अज़ार ने नई दिल्ली के लाल किले पर स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग लिया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण को "प्रेरणादायक" बताया। उन्होंने इस प्रतिष्ठित स्थल पर अपनी एक तस्वीर भी साझा की।

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