अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत के खिलाफ नई नीति ने दोनों देशों के बीच पिछले दो दशकों से चली आ रही रणनीतिक साझेदारी में तनाव पैदा कर दिया है। ट्रंप प्रशासन ने भारत के रूसी कच्चे तेल के आयात को लेकर भारतीय सामानों पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है, जबकि चीन के रूस के साथ ऊर्जा व्यापार पर नरमी बरती जा रही है। यह जानकारी एक रिपोर्ट में गुरुवार को दी गई।
'इंडिया नैरेटिव' की एक रिपोर्ट के अनुसार, नई दिल्ली ने स्पष्ट कर दिया है कि वह 1.4 अरब लोगों की ऊर्जा जरूरतों को अमेरिका के दबाव में नहीं आने देगा।
विदेश मंत्रालय ने अमेरिका की दोहरी नीति की आलोचना करते हुए कहा कि पश्चिमी देश भी रूस के साथ व्यापार कर रहे हैं। भारत ने स्पष्ट किया कि वह अपनी स्वतंत्र नीति पर चलेगा, न कि अमेरिका के अधीन।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रंप का टैरिफ लगाने का यह कदम उनकी पुरानी रणनीति का हिस्सा है, जो अपनी अंतिम सीमा तक पहुंच गया है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि अमेरिका ने चीन के रूस के साथ जारी ऊर्जा व्यापार को चुपके से स्वीकार किया है, लेकिन भारत को दंडात्मक कार्रवाई का निशाना बनाया है। इस चुनिंदा नाराजगी को भारत सरकार ने नजरअंदाज नहीं किया है।
रिपोर्ट के अनुसार, कई सालों तक अमेरिका ने भारत को 'रणनीतिक साझेदार' कहा और कई लोगों का मानना था कि साझा आर्थिक विकास और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका उसे ट्रंप की उन सख्त नीतियों से बचाएगी जो उन्होंने अन्य देशों के खिलाफ अपनाई थीं।
रिपोर्ट के मुताबिक, यह भ्रम तब टूट गया जब ट्रंप ने भारतीय सामानों पर कुल 50 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया और भारत के ऊर्जा क्षेत्र पर द्वितीयक प्रतिबंधों की धमकी दी ताकि नई दिल्ली को रूसी कच्चे तेल की खरीद रोकने के लिए दबाव डाला जाए। वहीं, अमेरिका और यूरोपीय संघ खुद मॉस्को के साथ व्यापारिक संबंध बनाए हुए थे।
इसके अलावा, वाशिंगटन द्वारा पाकिस्तान के प्रति खुले रवैये ने भारत-अमेरिका संबंधों को और नुकसान पहुंचाया। अमेरिका ने पाकिस्तान को 19 प्रतिशत की रियायती टैरिफ दरें दीं और संयुक्त तेल खोज समझौते पर भी हस्ताक्षर किए। यह सब तब हुआ जब भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में पाकिस्तान की भूमिका को उजागर किया था। इसके साथ ही ट्रंप ने भारत में काम कर रही अमेरिकी कंपनियों को चेतावनी दी कि अगर वे 'नौकरियां वापस अमेरिका नहीं लाएंगी' तो उन्हें सजा दी जाएगी। इन सब बातों ने भारत-अमेरिका रिश्तों को गंभीर रूप से प्रभावित किया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह उस देश का व्यवहार नहीं है जो 'रणनीतिक साझेदारी' को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हो, बल्कि यह एक 'लोकलुभावन सौदागर' की मानसिकता को दर्शाता है, जो गठबंधनों को लंबे समय के निवेश के रूप में नहीं, बल्कि निरंतर लाभ के खेल में सौदेबाजी के साधन के रूप में देखता है।
रिपोर्ट में कहा गया, "अमेरिका-भारत का रिश्ता कभी 21वीं सदी की वैश्विक व्यवस्था का एक अहम आधार माना जाता था, लेकिन आज के दौर में लोकलुभावन सौदेबाजी को विदेश नीति के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, यहां तक कि अहम रिश्ते भी बलि चढ़ सकते हैं। दुनिया अब समझने लगी है कि ट्रंप के साथ कोई भी रिश्ता ‘विशेष’ नहीं होता, सब कुछ मौके पर टिका होता है और जब गठबंधनों को डिस्पोजेबल (त्यागने योग्य) माना जाता है, तो वैश्विक व्यवस्था खुद खतरनाक रूप से कमजोर हो जाती है।"
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पाकिस्तानी सेना ने उन अटकलों को "निराधार" बताते हुए खारिज कर दिया है कि सेना प्रमुख असीम मुनीर अगले राष्ट्रपति बनने की योजना बना रहे हैं।
सेना की यह प्रतिक्रिया ऐसे वक्त आई है, जब पिछले कुछ हफ्तों में सोशल मीडिया पर अटकलें लगाई जा रही थीं कि मुनीर राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की जगह लेने की योजना बना रहे हैं।
सरकारी ‘पीटीवी’ ने बुधवार को सोशल मीडिया पर सेना प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी के पत्रिका ‘द इकोनॉमिस्ट’ को दिए साक्षात्कार को पोस्ट किया। इसमें चौधरी ने स्पष्ट किया कि सेना प्रमुख मुनीर की राष्ट्रपति पद में कोई रुचि नहीं है और ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
उन्होंने कहा, "फ़ील्ड मार्शल असीम मुनीर के पाकिस्तान के राष्ट्रपति बनने की बातें पूरी तरह से निराधार हैं।"
दस जुलाई को, गृह मंत्री मोहसिन नक़वी ने राष्ट्रपति जरदारी के पद छोड़ने की अफवाहों को खारिज करते हुए इसे एक "दुर्भावनापूर्ण अभियान" करार दिया था। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ज़रदारी के "सशस्त्र बलों के नेतृत्व के साथ मजबूत और सम्मानजनक संबंध हैं।"
नकवी ने जोर दिया कि मुनीर का "एकमात्र ध्यान" पाकिस्तान की मजबूती और स्थिरता पर है, और "किसी और चीज पर नहीं"।
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जापान के होकुरिकु क्षेत्र में गुरुवार को भी मूसलधार बारिश जारी रही। जापान मौसम एजेंसी (जेएमए) ने इस क्षेत्र में भूस्खलन, निचले इलाकों में बाढ़ और नदियों के जलस्तर के बढ़ने की चेतावनी जारी की। खासकर उन क्षेत्रों में सावधानी बरतने को कहा गया है, जो इस साल की शुरुआत में आए भूकंप से अभी तक उबर नहीं पाए हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, होकुरिकु शिंकानसेन लाइन की बुलेट ट्रेन सेवाएं नागानो और कानेजावा स्टेशनों के बीच पांच घंटे से अधिक समय तक बंद रहीं। वेस्ट जापान रेलवे कंपनी (जेआर वेस्ट) ने इसकी पुष्टि की। बुधवार से इशिकावा प्रीफेक्चर में तेज बारिश शुरू हो गई थी, जिससे ट्रेनों की आवाजाही बाधित हुई।
कानेजावा शहर में भारी बारिश की वजह से कई घरों पानी भर गया और कम से कम 19 स्थानों पर सड़कें जलमग्न हो गईं। स्थानीय प्रशासन ने कुछ प्रीफेक्चरल सड़कों को आंशिक रूप से बंद कर दिया और कानेजावा में राहत केंद्र खोले गए हैं।
मौसम एजेंसी के अनुसार, इशिकावा के कागा क्षेत्र में भारी बारिश वाले बादलों की पट्टी बन गई है। यह वही इलाका है, जिसे नए साल के दिन यानी 1 जनवरी 2024 को आए नोतो प्रायद्वीप भूकंप ने बुरी तरह प्रभावित किया था। उस भूकंप में 600 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। अब फिर से इस इलाके में नुकसान की आशंका को देखते हुए प्रशासन सतर्क है।
जेएमए ने बताया कि जापान सागर के ऊपर एक कम दबाव वाला सिस्टम उत्तर-पूर्व दिशा में बढ़ रहा है, जिसकी वजह से वातावरण अस्थिर हो गया है। शुक्रवार तक यह सिस्टम दक्षिण की ओर खिसकने की संभावना है और शनिवार तक यह जापान के पूर्वी से पश्चिमी इलाकों पर बना रह सकता है।
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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह अगले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से संभवत: संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में मुलाकात होने की उम्मीद कर रहे हैं।
यह खबर व्हाइट हाउस द्वारा मॉस्को को यूक्रेन में तीन साल से जारी युद्ध को समाप्त करने की दिशा में प्रगति दर्शाने के लिए दी गई समय-सीमा से ठीक पहले आई है।
पुतिन के विदेश मामलों के सलाहकार यूरी उशाकोव ने पहले कहा था कि शिखर बैठक संभवतः अगले सप्ताह एक ऐसे स्थान पर हो सकती है, जिस पर ‘‘सैद्धांतिक रूप से’’ निर्णय लिया जा चुका है।
उशाकोव ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के शिखर बैठक में शामिल होने की संभावना को खारिज कर दिया। हालांकि, व्हाइट हाउस ने कहा था कि ट्रंप इस पर विचार करने को तैयार हैं।
पुतिन ने जेलेंस्की के पिछले प्रस्तावों को ठुकरा दिया था, जिसमें उन्होंने किसी नतीजे पर पहुंचने के लिए बैठक करने की बात कही थी।
उशाकोव ने कहा, ‘‘हम सबसे पहले, ट्रंप के साथ द्विपक्षीय बैठक की तैयारी पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर दे रहे हैं। हम इसे सबसे महत्वपूर्ण मानते हैं ताकि यह बैठक सफल हो।’’
उन्होंने कहा कि यूक्रेन के नेता को शामिल करने के संबंध में अमेरिकी विशेष दूत स्टीव विटकॉफ के सुझाव पर ‘‘विशेष रूप से चर्चा नहीं की गई।’’
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