पाकिस्तान के सिंध प्रांत में बुधवार को सिंधु नदी पर नयी नहरों के निर्माण के खिलाफ प्रदर्शन के हिंसक हो जाने से कम से कम दो लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। अस्पताल सूत्रों ने यह जानकारी दी।
सिंधी सबा नेशनलिस्ट पार्टी का विरोध प्रदर्शन मोरो शहर, मतियारी और नौशेरा फिरोज जिले में तब हिंसक हो गया जब पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को राष्ट्रीय राजमार्ग अवरुद्ध करने से रोकने के लिए बल प्रयोग किया।
इस संबंध में एक अधिकारी ने बताया कि प्रदर्शनकारियों द्वारा पुलिसकर्मियों पर पथराव किए जाने से कम से कम छह पुलिसकर्मी घायल हो गए।
नवाबशाह स्थित पीपुल्स मेडिकल यूनिवर्सिटी अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. यार मोहम्मद जमाली ने बताया कि घायलों में कम से कम पांच लोगों को गोली लगी है।
दो लोगों की मौत की खबर फैलने के बाद गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने वाहनों में आग लगा दी और मालवाहक ट्रकों को लूट लिया तथा एक पेट्रोलियम कंपनी के कार्यालय में तोड़फोड़ की।
उन्होंने सिंध के गृह मंत्री जियाउल हसन लंजार के घर में भी तोड़फोड़ की तथा कमरों और फर्नीचर को आग के हवाले कर दिया।
लंजार ने कहा कि विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण होना चाहिए और इससे लोगों को परेशानी नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन हिंसा को सहन नहीं किया जाएगा।’’
गृह मंत्री ने कहा कि सरकार ने पहले ही नयी नहरों पर जारी काम को स्थगित करने की घोषणा कर दी है तथा निर्णय लिया है कि सभी प्रांतों की मंजूरी के बिना कोई भी नयी नहर नहीं बनाई जाएगी।
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पाकिस्तान ने भारतीय विमानों के लिए अपने हवाई क्षेत्र को एक महीने और बंद रखने का फैसला किया है। बुधवार को एक मीडिया रिपोर्ट में यह जानकारी दी गयी।
पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के बाद नयी दिल्ली द्वारा उठाए गए कदमों के बाद पाकिस्तान ने पिछले महीने भारत के लिए अपने हवाई क्षेत्र पर प्रतिबंध लगा दिया था।
यह प्रतिबंध 23 मई तक एक महीने के लिए लगाया गया था, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (आईसीएओ) के नियमों के अनुसार हवाई क्षेत्र पर प्रतिबंध एक बार में एक महीने से अधिक अवधि के लिए नहीं लगाया जा सकता है।
जियो न्यूज ने सूत्रों के हवाले से बताया कि प्रतिबंध को बढ़ाने का निर्णय बुधवार या बृहस्पतिवार को घोषित किये जाने की उम्मीद है।
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चीन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान ने बुधवार को चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) को अफगानिस्तान तक विस्तारित करने पर सहमति व्यक्त की।
पाकिस्तान की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि सीपीईसी से संबंधित घोषणा पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री/ विदेश मंत्री इसहाक डार, चीनी विदेश मंत्री वांग यी और अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी के बीच बीजिंग में एक अनौपचारिक त्रिपक्षीय बैठक के बाद की गई।
भारत सीपीईसी की कड़ी आलोचना करता रहा है क्योंकि यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है। वह चीन की ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ का भी विरोध करता है क्योंकि इस परियोजना में सीपीईसी शामिल है।
यह त्रिपक्षीय बैठक अंतरिम तालिबान सरकार द्वारा हाल ही में भारत के प्रति दोस्ताना रुख दिखाए जाने के कुछ दिन बाद हुई है।
तीनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब पाकिस्तान लगातार अंतरिम तालिबान सरकार की आलोचना कर रहा है और कह रहा है कि वह अफगानिस्तान की धरती से संचालित आतंकवादी समूहों पर कार्रवाई करने में विफल रही है जो पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध छेड़े हुए हैं।
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने बीजिंग में इस बैठक को ‘‘अनौपचारिक’’ करार दिया।
त्रिपक्षीय बैठक पर चीनी विदेश मंत्रालय की प्रेस विज्ञप्ति में वांग के हवाले से कहा गया कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान की संप्रभुता, सुरक्षा और राष्ट्रीय गरिमा की रक्षा करने में चीन उनका समर्थन करता है।
इसमें कहा गया कि तीनों पक्षों को ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ के संयुक्त निर्माण में सहयोग को गहरा करना चाहिए, अफगानिस्तान तक चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के विस्तार को बढ़ावा देना चाहिए तथा क्षेत्रीय अंतर्संबंध नेटवर्क के निर्माण को मजबूत करना चाहिए।
त्रिपक्षीय बैठक डार की तीन दिवसीय बीजिंग यात्रा के अंतिम दिन हुई। यह भारत द्वारा सात मई को पाकिस्तान और इसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकी स्थलों को निशाना बनाकर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किए जाने के बाद पहली उच्चस्तरीय बातचीत थी।
भारत ने पहलगाम में हुए बर्बर आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान और इसके कब्जे वाले कश्मीर स्थित आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की शुरुआत की थी।
डार तीन दिवसीय बीजिंग यात्रा पर हैं।
बैठक के बाद ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में डार ने कहा, ‘‘पाकिस्तान, चीन और अफगानिस्तान क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और विकास के लिए एक साथ खड़े हैं।’’
उन्होंने तीनों नेताओं की एक साथ तस्वीर भी साझा की।
सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, वांग ने बुधवार को मुत्ताकी के साथ एक अलग द्विपक्षीय बैठक की।
पाकिस्तान के विदेश कार्यालय द्वारा इस्लामाबाद में जारी एक बयान में कहा गया कि तीनों विदेश मंत्रियों ने क्षेत्रीय सुरक्षा और आर्थिक संपर्क को बढ़ावा देने के लिए त्रिपक्षीय सहयोग को एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में दोहराया।
बयान में कहा गया, ‘‘उन्होंने कूटनीतिक जुड़ाव बढ़ाने, संचार को मजबूत करने और साझा समृद्धि के प्रमुख कारकों के रूप में व्यापार, बुनियादी ढांचे और विकास को बढ़ावा देने के लिए व्यावहारिक कदम उठाने पर चर्चा की।’’
इसमें कहा गया, ‘‘उन्होंने ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (बीआरआई) सहयोग को गहरा करने और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) को अफगानिस्तान तक विस्तारित करने पर सहमति व्यक्त की।’’
बयान में कहा गया कि इस बात पर सहमति हुई कि विदेश मंत्रियों की छठी त्रिपक्षीय बैठक काबुल में शीघ्र ही पारस्परिक रूप से सुविधाजनक तिथि पर आयोजित की जाएगी।
भारत ने 60 अरब अमेरिकी डॉलर की लागत वाले सीपीईसी के निर्माण का विरोध किया है, क्योंकि यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से होकर गुजरता है, जबकि चीन ने इस बहु-परियोजना कॉरिडोर पर लगातार हो रहे उग्रवादी हमलों पर चिंता व्यक्त की है।
पाकिस्तान ने अंतरिम तालिबान सरकार की लगातार इस बात के लिए आलोचना की है कि वह तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) और बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) पर कार्रवाई नहीं कर रही है।
बीएलए पाकिस्तान से बलूचिस्तान की आजादी के लिए लड़ाई लड़ रही है।
यह अनौपचारिक त्रिपक्षीय बैठक भारत और अंतरिम तालिबान सरकार के बीच बढ़ते संबंधों के बीच हुई, जिससे पाकिस्तान काफी नाराज है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 16 मई को मुत्ताकी के साथ टेलीफोन पर बातचीत की, जो अगस्त 2021 में तालिबान के सत्ता पर कब्जा करने के बाद से नयी दिल्ली और काबुल के बीच उच्चस्तरीय संपर्क है। यह अफगानिस्तान में भारत के प्रतिनिधि आनंद प्रकाश द्वारा काबुल में मुत्ताकी के साथ बातचीत किए जाने के तीन सप्ताह बाद हुयी।
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गाज़ा पट्टी में इज़राइल के हमलों में बुधवार को कम से कम 82 लोग मारे गए जिनमें एक सप्ताह का बच्चा भी शामिल है। गाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय और क्षेत्र के अस्पतालों ने यह जानकारी दी।
इज़राइल के आक्रमण बढ़ाने को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाराज़गी के बीच ये हमले हुए हैं।
दक्षिणी शहर में इज़राइली हमलों में 24 लोग मारे गए, जिनमें से 14 एक ही परिवार के थे। मध्य गाजा में एक सप्ताह के शिशु की मौत हो गई। इजरायल ने हाल में संभावित विस्तारित आक्रमण के मद्देनजर खान यूनिस में निकासी के नए आदेश दिए थे।
इज़राइली सेना ने हमलों पर तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन कहा कि वह हमास के ठिकानों को निशाना बना रहा है और उसने हमास के चरमपंथियों पर नागरिक क्षेत्रों से गतिविधियां चलाने का आरोप लगाया।
गाज़ा में युद्ध उस वक्त शुरू हुआ जब हमास के नेतृत्व वाले चरमपंथियों ने दक्षिणी इज़राइल पर हमला किया, जिसमें लगभग 1,200 लोग मारे गए और उसने 251 अन्य का अपहरण कर लिया।
गाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इज़राइल के जवाबी हमले ने गाज़ा के बड़े हिस्से को नष्ट कर दिया है, जिसमें 53,000 से अधिक फलस्तीनी मारे गए हैं और इनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं। हालांकि मंत्रालय अपनी गणना में नागरिकों और लड़ाकों के बीच अंतर नहीं करता है।
इस बीच फलस्तीनी प्राधिकरण ने बताया कि इज़राइल के कब्जे वाले पश्चिमी तट के जेनिन शहर में राजनयिकों के एक समूह के दौरे के दौरान गोलीबारी की घटना हुई।
जब गोलियां चलीं, तब राजनयिक जेनिन में मानवीय स्थिति का निरीक्षण करने के आधिकारिक मिशन पर थे। इज़राइली सेना ने गोलीबारी पर तुरंत कोई टिप्पणी नहीं की।
नाम न बताने के अनुरोध पर एक सहायताकर्मी ने बताया कि करीब 20 राजनयिकों के एक प्रतिनिधिमंडल को फलस्तीनी प्राधिकरण द्वारा जेनिन में स्थिति के बारे में जानकारी दी जा रही थी। क्षेत्रीय, यूरोपीय और पश्चिमी राजनयिकों का समूह जेनिन शरणार्थी शिविर के प्रवेश द्वार के पास खड़ा था, जब उन्होंने दोपहर करीब दो बजे गोलियां चलने की आवाज सुनी, हालांकि यह स्पष्ट नहीं था कि गोलियां कहां से चलीं।
जिस वक्त समूह के नजदीक से गोलियां चलीं, फुटेज में कई राजनयिकों को मीडिया को साक्षात्कार देते हुए देखा जा सकता है, , जिससे वे भागने लगे।
जेनिन इस वर्ष की शुरुआत से ही पश्चिमी तट के चरमपंथियों के विरुद्ध इज़राइल की व्यापक कार्रवाई का स्थल रहा है।
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देश की संसदीय उपसमिति से पारित स्कूल शिक्षा विधेयक पर नेपाल शिक्षक संघ ने चिंता जताई है और इसके विरोध में जोरदार प्रदर्शन की चेतावनी दी है।
स्थानीय मीडिया के मुताबिक, बुधवार को महासंघ ने कहा, "विधेयक शिक्षकों के आंदोलन और पिछले समझौतों का सम्मान नहीं करता है। हम प्रतिनिधि सभा की शिक्षा, स्वास्थ्य और सूचना प्रौद्योगिकी समिति से इसमें संशोधन का आग्रह करते हैं।"
यह चेतावनी महासंघ की सरकार के साथ आम सहमति पर पहुंचने और महीने भर के विरोध को वापस लेने के हफ्तों बाद आई है।
महासंघ ने कहा, "अगर संशोधन नहीं होता है, तो शिक्षक और कर्मचारी बड़ी ताकत के साथ सड़कों पर उतरेंगे। हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि इसके परिणामस्वरूप उत्पन्न होने वाली किसी भी गंभीर स्थिति के लिए सरकार पूरी तरह से जिम्मेदार होगी।"
महासंघ ने कहा कि संशोधित विधेयक सितंबर 2023 में संसद में पंजीकृत मूल विधेयक की तुलना में और अधिक पीछे ले जाने वाला है।
मंगलवार को महासंघ के बयान में कहा गया, "अस्थायी शिक्षकों के लिए आंतरिक प्रतियोगिता के समझौते को बरकरार नहीं रखा गया है। इसके अलावा, अस्थायी अनुबंध और शिक्षण अनुदान शिक्षकों को आंतरिक प्रतियोगिता से बाहर रखा गया है।"
विधेयक में प्रस्तावित किया गया है कि 60 प्रतिशत सीटें आंतरिक प्रतिस्पर्धा के माध्यम से भरी जाएंगी, जबकि शेष 40 प्रतिशत रिक्तियां खुली प्रतिस्पर्धा के माध्यम से भरी जाएंगी।
इसके अतिरिक्त, महासंघ ने विधेयक के इस प्रावधान पर असंतोष व्यक्त किया है कि शिक्षकों को स्वचालित पदोन्नति के लिए अर्हता प्राप्त करने के लिए न्यूनतम सात वर्ष की सेवा पूरी करनी होगी।
वक्तव्य में कहा गया है, "इसमें उन शिक्षकों के लिए अस्थायी सेवा के वर्षों की गणना करने का कोई प्रावधान शामिल नहीं है, जो बाद में स्थायी हो गए। पेंशन की अर्हता प्राप्त करने के लिए अस्थायी सेवा अवधि को ध्यान में रखने के समझौते को नए विधेयक में नजरअंदाज कर दिया गया है।"
महासंघ ने स्कूल शिक्षकों को स्थानीय सरकारों के अधीन रखने के प्रावधान पर भी आपत्ति जताई। महासंघ ने कहा, "शिक्षकों को बिना किसी लाभ या विकल्प के जबरन स्थानीय स्तर पर स्थानांतरित किया जा रहा है।" इसके अलावा, महासंघ ने शिक्षकों को राजनीतिक संबद्धता रखने से रोकने और प्रधानाध्यापकों को महासंघ का सदस्य बनने से रोकने वाले खंड का कड़ा विरोध किया।
महासंघ के मुताबिक, "नया विधेयक शिक्षकों और कर्मचारियों के पेशेवर ट्रेड यूनियन गतिविधियों में शामिल होने के अधिकार को कमजोर करता है।"
महासंघ ने चेतावनी देते हुए कहा, "ऐसा लगता है कि राज्य शिक्षकों और कर्मचारियों के विरोध की एक नई लहर को आमंत्रित कर रहा है।"
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