
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा है कि अमेरिका और यूक्रेन लगभग चार साल से जारी संघर्ष को समाप्त करने के उद्देश्य से कई महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर सहमति पर पहुंच गए हैं।
जेलेंस्की ने साथ ही कहा कि यूक्रेन के पूर्वी औद्योगिक केंद्र में क्षेत्रीय नियंत्रण से जुड़े संवेदनशील मुद्दों और जापोरिजिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र के प्रबंधन से संबंधित मुद्दों का अभी भी समाधान नहीं हो सका है।
हाल में फ्लोरिडा में हुई लंबी बातचीत के बाद अमेरिका द्वारा रूसी वार्ताकारों के लिए तैयार की गई 20 सूत्री योजना को प्रदर्शित करने के दौरान जेलेंस्की ने यह बात कही। जेलेंस्की ने कहा कि बुधवार को रूस से जवाब आने की उम्मीद है।
यूक्रेन के राष्ट्रपति ने मंगलवार को पत्रकारों को योजना के प्रत्येक बिंदु के बारे में जानकारी दी। उनके बयान बुधवार सुबह तक गोपनीय रखे गए थे। इन वार्ताओं के केंद्र में डोनेट्स्क और लुहांस्क क्षेत्रों से संबंधित विवादास्पद क्षेत्रीय विवाद है।
जेलेंस्की ने कहा, ‘‘यह सबसे मुश्किल मुद्दा है।’’ उन्होंने कहा कि इन मामलों पर नेताओं के स्तर पर चर्चा की जाएगी।
रूस के कब्जे में स्थित यूरोप के सबसे बड़े परमाणु ऊर्जा संयंत्र जापोरिजिया के प्रबंधन का तरीका भी एक विवादास्पद मुद्दा है। अमेरिका यूक्रेन और रूस के साथ एक संघ बनाने का प्रस्ताव कर रहा है, जिसमें प्रत्येक पक्ष की परियोजना में बराबर हिस्सेदारी होगी।
जेलेंस्की ने जापोरिजिया में स्थित बिजली संयंत्र का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘डोनेट्स्क क्षेत्र के भूभाग और जेडएनपीपी के मुद्दे पर अमेरिकी पक्ष के साथ हमारी कोई सहमति नहीं बन पाई।’’
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन हमने ज्यादातर पक्षों के बीच काफी हद तक एकरूपता स्थापित कर ली है। सैद्धांतिक रूप से इस समझौते में उल्लेखित अन्य सभी बातों पर सहमति बन गई है।’’
जेलेंस्की ने कहा कि अधिक कठिन चर्चाओं में इस बात पर विचार-विमर्श करना शामिल होगा कि यूक्रेन के प्रस्ताव के अनुसार सैनिकों को कितनी दूर तक पीछे हटना होगा और अंतरराष्ट्रीय बलों को कहां तैनात किया जायेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘क्योंकि रूसियों पर भरोसा नहीं है, और उन्होंने बार-बार अपने वादे तोड़े हैं, इसलिए आज की संपर्क रेखा एक तरह से वास्तविक मुक्त आर्थिक क्षेत्र में बदल रही है और अंतरराष्ट्रीय बलों को वहां मौजूद रहना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कोई भी किसी भी वेश में वहां प्रवेश न कर सके।’’
जेलेंस्की ने कहा कि संयंत्र को फिर से चालू करने के लिए अरबों डॉलर के निवेश की आवश्यकता है, जिसमें निकटवर्ती बांध की मरम्मत भी शामिल है।
जेलेंस्की ने कहा कि अमेरिका के साथ एक अलग द्विपक्षीय दस्तावेज में इन गारंटियों का विवरण दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि इस समझौते में उन शर्तों का विस्तार से वर्णन होगा जिनके तहत सुरक्षा प्रदान की जाएगी, विशेष रूप से रूस द्वारा पुनः हमले की स्थिति में, और युद्धविराम की निगरानी के लिए एक तंत्र स्थापित किया जायेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिका का मानना है कि यूक्रेन की ओर से यह एक अभूतपूर्व कदम है। उनका मानना है कि वे मजबूत सुरक्षा गारंटी दे रहे हैं।’’
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पाकिस्तान की एक अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी की नौ मई के मामलों और पांच अन्य मामलों में दी गई अंतरिम जमानत की मियाद बढ़ा दी है।
अदालत ने साथ ही निर्देश दिया कि 73 वर्षीय पूर्व प्रधानमंत्री अगली सुनवाई में या तो व्यक्तिगत रूप से या वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उसके समक्ष उपस्थित होंगे।
पाकिस्तान से प्रकाशित अंग्रेजी अखबार ‘डॉन’ की खबर के मुताबिक, अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश मुहम्मद अफजल माजोका ने मंगलवार को अग्रिम जमानत आवेदनों पर सुनवाई की, जहां इमरान खान और उनकी पत्नी का पक्ष रखने के लिए अधिवक्ता शम्सा कयानी पेश हुईं।
अदालत ने दलीलें सुनने के बाद अंतरिम जमानत की अवधि की मियाद बढ़ा दी और सुनवाई 27 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी। साथ ही यह निर्देश दिया कि अगली सुनवाई पर पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के संस्थापक की उपस्थिति सुनिश्चित की जाए।
खान पर 9 मई के मामलों के अलावा, हत्या के प्रयास और कथित फर्जी रसीदें जमा करने सहित अन्य मामले भी दर्ज किए गए हैं।
चर्चित नौ मई के मामले खान के समर्थकों द्वारा की गई हिंसा से संबंधित हैं, जिन्होंने 2023 में इस्लामाबाद में उनकी गिरफ्तारी के बाद कई स्थानों पर हिंसक प्रदर्शन किया था।
नौ मई के मामलों के अलावा, पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ हत्या के प्रयास और कथित फर्जी रसीदें जमा करने सहित अन्य मामले भी दर्ज किए गए हैं।
तोशाखाना उपहारों से संबंधित फर्जी रसीदें जमा करने के आरोप में बुशरा बीबी के खिलाफ एक अलग मामला भी दर्ज किया गया है। इमरान खान विभिन्न आरोपों में अगस्त 2023 से ही अडियाला जेल में कैद हैं, जबकि उनकी पत्नी बुशरा बीबी को भ्रष्टाचार के दो आरोपों में शनिवार को 17-17 साल कारावास की सजा सुनाई गई।
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रूस समर्थक एक हैकर समूह ने क्रिसमस से कुछ दिन पहले फ्रांस की राष्ट्रीय डाक सेवा की पार्सल डिलीवरी ठप करने वाले बड़े साइबर हमले की जिम्मेदारी ली है। अभियोजकों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
पेरिस अभियोजक कार्यालय ने एसोसिएटेड प्रेस को जारी बयान में बताया कि साइबर अपराध समूह ‘नोनेम057’ की ओर से हमले का दावा किए जाने के बाद फ्रांस की खुफिया एजेंसी डीजीएसआई (डीजीएसआई) ने मामले की जांच अपने हाथ में ले ली है।
इस समूह पर यूरोप में अन्य साइबर हमलों का भी आरोप है जिनमें नीदरलैंड में नाटो शिखर सम्मेलन के दौरान और फ्रांसीसी सरकारी वेबसाइटों पर किए गए हमले शामिल हैं। इस साल की शुरुआत में यह समूह एक बड़े यूरोपीय पुलिस अभियान का भी निशाना बना था।
कंपनी ने कहा कि फ्रांस की राष्ट्रीय डाक सेवा ‘ला पोस्ट’ के केंद्रीय कंप्यूटर सिस्टम सोमवार को साइबर हमले में ठप हो गए थे, जिन्हें बुधवार सुबह तक पूरी तरह बहाल नहीं किया जा सका।
हमले के कारण डाककर्मी पार्सल डिलीवरी को ट्रैक नहीं कर पा रहे थे और कंपनी की बैंकिंग शाखा में ऑनलाइन भुगतान सेवाएं भी बाधित रहीं। यह ‘ला पोस्ट’ के लिए साल के सबसे व्यस्त मौसम में बड़ा झटका था। कंपनी ने पिछले वर्ष 2.6 अरब पार्सल वितरित किए थे और इसके यहां दो लाख से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं।
फ्रांस और यूक्रेन के अन्य यूरोपीय सहयोगियों का आरोप है कि रूस पश्चिमी समाजों में विभाजन पैदा करने और यूक्रेन के लिए समर्थन को कमजोर करने के उद्देश्य से ‘हाइब्रिड युद्ध’ का अभियान चला रहा है।
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अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) का कहना है कि श्रीलंका में चक्रवात ‘दित्वा’ से करीब चार लाख श्रमिक प्रभावित हुए हैं।
नवंबर के अंत में आए इस चक्रवात में 640 से अधिक लोगों की जान गई और फसलों, चाय बागानों तथा सड़कों-पुलों सहित महत्वपूर्ण परिवहन अवसंरचना को भारी नुकसान पहुंचा।
आईएलओ ने मंगलवार को एक संक्षिप्त रिपोर्ट में बताया कि चक्रवात प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाली आबादी करीब 17 लाख है, जो श्रीलंका की कुल आबादी का लगभग 7.5 प्रतिशत है।
रिपोर्ट के अनुसार, देश में चक्रवात से प्रभावित इलाकों में लगभग 3.74 लाख श्रमिक रहते हैं, जिससे उनकी आजीविका और घरेलू आय पर गहरा असर पड़ा है।
आईएलओ ने कहा कि अनुमानित प्रभावित कार्यबल में 2.44 लाख पुरुष और 1.30 लाख महिलाएं शामिल हैं।
इसने कहा, ‘‘क्षेत्रवार आंकड़ों के अनुसार, कृषि क्षेत्र से जुड़ी 85,000 नौकरियां तथा 1.25 लाख औद्योगिक क्षेत्र के रोजगार और 1.64 लाख सेवा क्षेत्र के रोजगार प्रभावित हुए हैं।’’
बाढ़ और भूस्खलन के कारण देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 16 प्रतिशत हिस्सा जोखिम में पड़ गया है, जिसकी कीमत करीब 16 अरब अमेरिकी डॉलर आंकी गई है। इसका असर कुछ सीमित जिलों तक केंद्रित है।
आईएलओ ने चेतावनी दी कि यदि समय पर इस समस्या का समाधान नहीं किया गया तो असमान पुनर्बहाली की आशंका बढ़ सकती है और स्थानीय स्तर पर लंबे समय तक आर्थिक संकट बना रह सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया कि प्रमुख उत्पादन क्षेत्रों में आई बाढ़ और भूस्खलन से न केवल अल्पकालिक रोजगार खतरे में पड़ा है, बल्कि दीर्घकालिक खाद्य सुरक्षा और लोगों की आजीविका भी कमजोर हुई है।
आईएलओ के अनुसार, यह संकट ऐसे समय में सामने आया है जब श्रीलंका पहले से ही संघर्षोत्तर दौर, कोविड-19 संकट और निर्यात में सुस्ती समेत श्रम बाजार की कई चुनौतियों का सामना कर रहा है।
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