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दुनियाः ट्रंप ने गाजा पट्टी पर कब्जे की योजना का किया ऐलान और चीन ने दो अमेरिकी कंपनियों को काली सूची में डाला

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को समझौता करने की पेशकश करने के साथ ही विनाश की भी धमकी दी है। पिछले हफ्ते वाशिंगटन में हुए यात्री विमान और हेलीकॉप्टर के बीच टक्कर में मारे गए सभी 67 लोगों के शव बचाव दल ने बरामद कर लिए हैं।

ट्रंप ने गाजा पट्टी पर कब्जे की योजना का किया ऐलान और चीन ने दो अमेरिकी कंपनियों को काली सूची में डाला
ट्रंप ने गाजा पट्टी पर कब्जे की योजना का किया ऐलान और चीन ने दो अमेरिकी कंपनियों को काली सूची में डाला फोटोः IANS

ट्रंप ने गाजा पट्टी पर कब्जे की योजना का किया ऐलान

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अप्रत्याशित ऐलान करते हुए कहा है कि अमेरिका गाजा पट्टी पर अपना स्वामित्व कायम करेगा, इसे अपने अधीन करेगा और वहां आर्थिक विकास करेगा जिससे लोगों के लिए ‘बड़ी संख्या में रोजगार और आवास’ उपलब्ध होंगे। मंगलवार को ‘व्हाइट हाउस’ में ट्रंप ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में ये बातें कहीं। ट्रंप ने यह भी सुझाव दिया कि अमेरिका उस जगह को विकसित करेगा लेकिन इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी कि वहां किसे रहने की अनुमति दी जाएगी।

ट्रंप ने कहा, ‘‘अमेरिका गाजा पट्टी को अपने अधीन लेगा और हम इसे विकसित करेंगे। इस पर हमारा अधिकार होगा और वहां मौजूद सभी खतरनाक बमों और अन्य हथियारों को निष्क्रिय करने, जगह को समतल करने और तबाह हो चुकी इमारत को हटाने की जिम्मेदारी हमारी होगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘एक ऐसा आर्थिक विकास करेंगे जो क्षेत्र के लोगों के लिए रोजगार के ढेरों अवसर पैदा करेगा और आवास उपलब्ध कराएगा। कुछ अलग किया जाएगा।’’

ट्रंप के कहा, ‘‘फलस्तीनी लोगों के पास कोई विकल्प नहीं है यही कारण है कि वह गाजा वापस जाना चाहते हैं। यह (गाजा पट्टी) अभी एक तबाही स्थल है। हर एक इमारत ढह गई है। वे ढह चुकी कंक्रीट संरचनाओं के नीचे रह रहे हैं जो बेहद खतरनाक है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी स्थिति में रहने के बजाय वे घरों और सुरक्षा के साथ एक सुंदर क्षेत्र में रह सकते हैं। वे शांति और सद्भाव के साथ अपना जीवन जी सकते हैं।’’ गाजा में अमेरिकी सैनिकों को भेजने की संभावना को लेकर पूछे गए सवाल पर ट्रंप ने कहा कि उन्होंने इस क्षेत्र को अमेरिका के अधीन लाने की योजना बनाई, इसीलिए अमेरिका ‘‘वही करेगा जो जरूरी है’’ तथा उन्होंने कहा कि वह इस क्षेत्र का दौरा करेंगे।

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चीन ने दो अमेरिकी कंपनियों को अविश्वसनीय सूची में डाला

चीन ने अमेरिकी पीवीएच ग्रुप (फिलिप वैन-ह्यूसन) और इल्युमिना (इलूमिना) को 'अविश्वसनीय इकाई सूची' में शामिल कर दिया है। चीन के वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि चीन ने हमेशा अविश्वसनीय इकाई सूची के मुद्दे को विवेकपूर्ण तरीके से संभाला है और कानून के अनुसार केवल बहुत कम संख्या में विदेशी संस्थाओं को लक्षित किया है, जो चीन की सुरक्षा को खतरे में डालती हैं, जबकि ईमानदार और कानून का पालन करने वाली विदेशी संस्थाओं को चिंता करने की कोई बात नहीं है।

उन्होंने कहा कि चीन सरकार चीन में निवेश करने और व्यापार करने के लिए दुनिया भर की कंपनियों का स्वागत करती है और विदेशी वित्त पोषित उद्यमों के लिए एक स्थिर, निष्पक्ष और अनुमानित कारोबारी माहौल प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो कानून का पालन करते हैं और चीन में काम करने के लिए नियमों का पालन करते हैं। प्रवक्ता ने कहा कि जांच के बाद पाया गया कि पीवीएच ग्रुप और इल्युमिना ने सामान्य बाजार लेनदेन सिद्धांतों का उल्लंघन किया। दो अमेरिकी कंपनियों ने चीनी कंपनियों के साथ सामान्य लेनदेन में बाधा डाली है, चीनी कंपनियों के खिलाफ भेदभावपूर्ण उपाय अपनाए हैं और चीनी कंपनियों के वैध अधिकारों और हितों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाया है। इसी कारण चीन ने उन्हें अविश्वसनीय इकाई सूची में डालने का फैसला किया।

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ट्रंप ने ईरान को समझौते की पेशकश के साथ विनाश की धमकी दी

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के साथ समझौता करने की पेशकश की है, लेकिन साथ ही यह भी चेतावनी दी कि अगर ईरान नहीं मानता है, तो यह उसके घातक साबित होगा। इसके अलावा, उन्होंने ईरान की तेल बिक्री को रोकने के लिए उस पर "अधिकतम दबाव" डालने का आदेश दिया है। व्हाइट हाउस में एक दस्तावेज पर हस्ताक्षर करते हुए ट्रंप ने कहा, "मैं ईरान से यह कहना चाहता हूं कि मैं एक बड़ा समझौता करना चाहता हूं। एक ऐसा समझौता जिससे वे अपनी जिंदगी आगे बढ़ा सकें।" लेकिन उन्होंने साफ कहा कि ईरान परमाणु हथियार नहीं रख सकता। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा हुआ तो यह ईरान के लिए बहुत दुर्भाग्यशाली साबित होगा। ट्रंप के इस रुख में बदलाव देखा गया क्योंकि अपने पहले कार्यकाल में उन्होंने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए हुए बहुराष्ट्रीय समझौते को रद्द कर दिया था।

बाद में, ट्रंप ने कहा कि उन्होंने निर्देश दिए हैं कि अगर ईरान उनकी हत्या का प्रयास करता है, तो उसे पूरी तरह मिटा दिया जाए। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से पहले ही ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने उन्हें मारने की साजिश रची थी। इस मामले में न्यूयॉर्क में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने दोहराया कि अगर ईरान ने उनकी हत्या की, तो "यह उसका अंत होगा।" उन्होंने कहा, "मैंने पहले ही आदेश दे दिए हैं, अगर उन्होंने ऐसा किया, तो उन्हें मिटा दिया जाएगा। कुछ भी नहीं बचेगा।"

ट्रंप ने ईरान की तेल बिक्री रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की बात भी कही। उन्होंने कहा, "मैंने ईरान पर अधिकतम दबाव की नीति फिर से लागू की है। हम फिर से कड़े प्रतिबंध लगाएंगे, ईरान के तेल निर्यात को शून्य कर देंगे और उनके आतंकवाद को धन देने की क्षमता को खत्म करेंगे।" ट्रंप का यह प्रस्ताव उनके अनोखे कूटनीतिक तरीकों का हिस्सा है। अपने पहले कार्यकाल में उन्होंने उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन से तीन बार मुलाकात की थी, लेकिन प्योंगयांग को परमाणु कार्यक्रम छोड़ने के लिए राजी नहीं कर सके थे। वर्तमान में ईरान कमजोर स्थिति में है क्योंकि उसका सहयोगी, सीरिया का पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद सत्ता से बाहर हो चुका है और उसके समर्थक गुट हिजबुल्लाह और हमास कमजोर हो चुके हैं। साथ ही, ईरान में नए राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियान सत्ता में आए हैं, जिन्होंने हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मारे गए इब्राहिम रईसी की जगह ली है।

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वाशिंगटन विमान दुर्घटना में सभी 67 मृतकों के अवशेष मिले

पिछले हफ्ते वाशिंगटन में हुए यात्री विमान और हेलीकॉप्टर के बीच टकराव में मारे गए सभी 67 लोगों के अवशेष बचाव दल ने बरामद कर लिए हैं। अमेरिकी मीडिया के अनुसार, इनमें से 66 मृतकों की पहचान की जा चुकी है। संयुक्त कमांड ने बताया कि उनकी टीमें अब भी दुर्घटनाग्रस्त विमान के मलबे को पोटोमैक नदी से हटाने में जुटी हैं। बड़े हिस्सों को निकालने के लिए मंगलवार रात तक काम जारी रहेगा। बुधवार को, जब पर्यावरण और ज्वार की स्थिति अनुकूल होगी, तब मलबा हटाने की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। इसके बाद ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टर के बचे हुए हिस्से को निकालने का काम शुरू होगा।

यह दुर्घटना तब हुई जब बुधवार रात एक यात्री विमान, जिसमें 64 लोग सवार थे, वाशिंगटन के रोनाल्ड रीगन नेशनल एयरपोर्ट पर उतरते समय सेना के हेलीकॉप्टर से टकरा गया। दोनों विमान पोटोमैक नदी में गिर गए। हेलीकॉप्टर में तीन अमेरिकी सैनिक मौजूद थे। यह 1982 के बाद वॉशिंगटन में हुई सबसे भीषण विमान दुर्घटना मानी जा रही है। इस हादसे की जांच अमेरिकी राष्ट्रीय परिवहन सुरक्षा बोर्ड कर रहा है। गुरुवार को वाशिंगटन के दमकल प्रमुख जॉन डॉनेली ने बताया कि अब बचाव अभियान को राहत और शव बरामदगी अभियान में बदला जा रहा है, क्योंकि इस दुर्घटना में किसी के जीवित बचने की संभावना नहीं है।

उन्होंने बताया कि बुधवार रात 8:48 बजे हवाई यातायात नियंत्रण टावर ने दुर्घटना का अलर्ट जारी किया था, जिसके बाद लगभग 300 बचावकर्मी मौके पर पहुंचे। उन्होंने कहा, "बचाव दल को बेहद ठंड का सामना करना पड़ा। तेज हवाएं चल रही थीं। पानी पर बर्फ जमी हुई थी, और उन्होंने इन कठिन परिस्थितियों में पूरी रात काम किया।" परिवहन सचिव सीन डफी ने बताया कि हेलीकॉप्टर और विमान दोनों सामान्य मार्ग पर उड़ रहे थे, लेकिन किस वजह से यह टकराव हुआ, इसकी जानकारी अभी स्पष्ट नहीं है। जांच एजेंसियां इस पर काम कर रही हैं।

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ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र की फंडिंग की समीक्षा करने की मांग की

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में अपने देश की भूमिका और वित्तीय योगदान की समीक्षा करने का आदेश दिया है। उन्होंने यह भी दोहराया कि अमेरिका अब संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में भाग नहीं लेगा और न ही फिलिस्तीनियों की सहायता करने वाली संयुक्त राष्ट्र राहत एवं कार्य एजेंसी (यूएनआरडब्ल्यूए) को धन देगा। मंगलवार को हस्ताक्षर किए गए अपने कार्यकारी आदेश में, ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र पर अमेरिका के हितों के खिलाफ काम करने, उसके सहयोगियों पर हमला करने और यहूदी विरोधी विचार फैलाने का आरोप लगाया।

अमेरिका सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है और यूएन के कुल बजट का 22 प्रतिशत देता है। ट्रंप इसे अनुचित बोझ मानते हैं। यदि अमेरिका अपने योगदान में कोई बड़ा बदलाव करता है, तो इसका यूएन पर गहरा असर पड़ सकता है। ट्रंप से पहले राष्ट्रपति रहे जो बाइडेन के कार्यकाल में भी अमेरिका पहले ही मानवाधिकार परिषद से बाहर हो चुका था और यूएनआरडब्ल्यूए को फंडिंग बंद कर दी गई थी। राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप ने सबसे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन से अमेरिका को बाहर कर दिया था, क्योंकि उन्होंने उस पर कोविड संकट को गलत तरीके से संभालने और चीन का समर्थन करने का आरोप लगाया था।

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