झारखंड सरकार ने ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल (टीएसी) का गठन कर दिया है। संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इसके पदेन अध्यक्ष होंगे। 20 सदस्यीय काउंसिल में बीजेपी के वरिष्ठ विधायक बाबूलाल मरांडी और चंपई सोरेन को भी सदस्य के रूप में जगह दी गई है। अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग (अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को छोड़कर) के मंत्री चमरा लिंडा काउंसिल के पदेन उपाध्यक्ष होंगे।
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भारतीय संविधान की पांचवीं अनुसूची के तहत झारखंड सहित देश के 10 राज्यों को अनुसूचित क्षेत्र घोषित किया गया है। इन राज्यों में एक ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल का गठन किया जाता है, जो अनुसूचित जनजातियों के कल्याण और उन्नति से संबंधित मामलों पर सरकार को सलाह देती है। इस संवैधानिक निकाय का महत्व इसी बात से समझा जा सकता है कि इसे आदिवासियों की 'मिनी असेंबली' के रूप में जाना जाता है।
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झारखंड के अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की ओर से टीएसी के गठन की अधिसूचना जारी की गई है। काउंसिल में जिन विधायकों को जगह दी गई है, उनमें जेएमएम के प्रो. स्टीफन मरांडी, आलोक कुमार सोरेन, लुईस मरांडी, संजीव सरदार, सोनाराम सिंकू, जगत मांझी, दशरथ गगराई, सुदीप गुड़िया, रामसूर्य सिंह मुंडा, जिग्गा सुसारन होरो, कांग्रेस के राजेश कच्छप, नमन विक्सल कोंगाड़ी, रामचंद्र सिंह और बीजेपी के बाबूलाल मरांडी और चंपई सोरेन शामिल हैं।
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इनके अलावा मनोनीत सदस्य के रूप में पूर्वी सिंहभूम जिले के पोटका निवासी जोसाई मार्डी और रांची के रोल गांव निवासी नारायण उरांव को भी जगह दी गई है। अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के प्रधान सचिव इस काउंसिल के सचिव होंगे। काउंसिल का कार्य संचालन 2021 में बनी नई नियमावली के अनुरूप होगा। पूर्व में काउंसिल के गठन की स्वीकृति के लिए राजभवन की मंजूरी आवश्यक थी। नई नियमावली में गठन का अधिकार मुख्यमंत्री को दिया गया है।
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