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बजरंग दल पर फेसबुक के रुख को लेकर बड़ा खुलासा! इस संगठन के भड़काऊ कदम पर क्यों नहीं कसता नकेल, सामने आया

‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि बीजेपी के साथ संबंधों की वजह से फेसबुक दक्षिणपंथी समूह के खिलाफ कार्रवाई करने में डरता है, क्योंकि बजरंग दल पर लगाम लगाने से भारत में कंपनी की व्यावसायिक संभावनाओं और उसके कर्मचारियों खतरा हो सकता है।

फाइल फोटो
फाइल फोटो प्रतीकात्मक तस्वीर

भारत में फेसबुक की कार्यशैली को लेकर एक रिपोर्ट से बड़ा खुलासा हुआ है। इस रिपोर्ट से फेसबुक पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि अपने व्यापार और कर्मचारियों की सुरक्षा के चलते भारत में बजरंग दल के प्रति फेसबुक का रुख नरम है। रिपोर्ट में कहा गया है कि फेसबुक की सुरक्षा टीम द्वारा संभावित खतरनाक संगठन के रूप में टैग किए जाने के बावजूद पूरे भारत में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा का समर्थन करने वाले संगठन बजरंग दल को राजनीतिक और सुरक्षा कारणों से सोशल नेटवर्क पर बने रहने की अनुमति दी गई है। यह रिपोर्ट 'द वॉल स्ट्रीट जर्नल' में रविवार को छपी है। रिपोर्ट में जो खुलासा हुआ है उससे एक बार फिर फेसबुक भारत में सवालों के घेरे में आ गया है।

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अखबार ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि सत्तारूढ़ बीजेपी के साथ संबंधों की वजह से फेसबुक दक्षिणपंथी समूह के खिलाफ कार्रवाई करने में डरता है, क्योंकि बजरंग दल पर लगाम लगाने से भारत में कंपनी की व्यावसायिक संभावनाओं और उसके कर्मचारियों दोनों को खतरा हो सकता है।

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रिपोर्ट में बजरंग दल के एक वीडियो और उस पर फेसबुक की कार्रवाई का हवाला दिया गया। इसमें जून में नई दिल्ली के बाहर एक चर्च पर हमले की जिम्मेदारी लेने का दावा किया गया था और जिसे 2.5 लाख बार देखा गया था। अखबार के मुताबिक, फेसबुक की एक आंतरिक रिपोर्ट में कहा गया है, “भारत के सत्तारूढ़ हिंदू राष्ट्रवादी राजनेताओं, बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने से फेसबुक कर्मियों पर शारीरिक हमले या कंपनी की फैसिलिटीज पर हमले होने का खतरा है।”

इस रिपोर्ट के जवाब में फेसबुक के प्रवक्ता एंडी स्टोन ने जर्नल से कहा, “हम विश्व स्तर पर राजनीतिक स्थिति या पार्टी से संबद्धता के बिना खतरनाक व्यक्तियों और संगठनों को लेकर अपनी नीति लागू करते हैं।”

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इससे पहले इसी साल अगस्त के महीने में वॉल स्ट्रीट जर्नल ने फेसबुक की नीतियों में कथित पूर्वाग्रह होने की रिपोर्ट छापी थी। इसमें बीजेपी को फेसबुक के व्यापारिक हितों के पक्ष में बताया गया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि फेसबुक की पूर्व एक्जीक्यूटिव अंखी दास ने मुस्लिम विरोधी कमेंट करने वाले सत्ताधारी दल के एक नेता का पक्ष लेते हुए उसकी पैरवी की थी। फेसबुक ने यह रिपोर्ट छपने के कुछ दिनों बाद ही उस नेता को प्रतिबंधित कर दिया था। इसके साथ ही फेसबुक ने आरोपों का खंडन भी किया था, साथ ही यह माना भी था कि हेट स्पीच पर अंकुश लगाने के लिए उसे और बेहतर करने की जूररत है। इन आरोपों के लगने के बाद कुछ दिन बाद ही अंखी दास ने कंपनी छोड़ दी थी।

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