पीएम मोदी के गृह राज्य गुजरात में जहां अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के स्वागत की तैयारियां जोरों पर हैं, वहीं दूसरी तरफ ऐसे मौके पर भी शर्मसार करने वाली घटनाएं नहीं रुक रही हैं। कुछ दिन पहले राज्य के भुज से एक कॉलेज में 68 लड़कियों के पूरे कपड़े उतरवाकर मासिक धर्म की जांच की खबर से खड़ा हुआ हंगामा अभी थमा ही था कि अब एक और ऐसी ही घटना राज्य के सूरत शहर में सामने आई है।
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हीरा कारोबार के लिए पूरी दुनिया में चर्चित गुजरात के सूरत में नौकरी के लिए जांच के नाम पर करीब 100 महिलाओं के कपड़े उतरवाने का मामला सामने आया है। सरकार द्वारा संचालित सूरत म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन (एसएमसी) कर्मचारी संघ ने निगम अधिकारी के पास इस मामले की शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें कहा गया है कि फिटनेस टेस्ट के नाम पर करीब 100 महिला कर्मचारियों को सबके सामने निर्वस्त्र किया गया और उनका प्रेगनेंसी टेस्ट भी किया गया।
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अपनी शिकायत में संघ ने बताया कि करीब 100 ट्रेनी कर्मचारी अनिवार्य फिटनेस टेस्ट के लिए सूरत के नगर आयुर्विज्ञान और अनुसंधान संस्थान पहुंचे थे। इसमें शामिल महिला ट्रेनी क्लर्क को 10-10 के समूहों में निर्वस्त्र खड़ा होने पर मजबूर किया गया। इतना ही नहीं, उसके बाद महिलाओं की निजता और सम्मान को दरकिनार करते हुए उनकी प्रेग्नेंसी जांच भी की गई। सभी ट्रेनी महिलाओं की वहां मौजूद महिला डॉक्टरों ने प्रेग्नेंसी टेस्ट किए और उनसे व्यक्तिगत सवाल भी पूछे।
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इस बीच घटना की मीडिया में आई खबरों पर संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय महिला आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव अनिल मुकीम और प्रधान सचिव डॉ जयंती एस रवि को मामले की अच्छी तरह से जांच करने और आयोग को जल्द से जल्द कार्रवाई की रिपोर्ट भेजने के लिए कहा है।
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वहीं, इस मामले पर अस्पताल के स्त्री रोग विभाग के प्रमुख अश्विन वछानी ने बताया कि अस्पताल के गाइडलाइन्स के तहत नौकरी से पहले महिलाओं की शारीरिक जांच अनिवार्य है। उन्होंने महिलाओं की निजता भंग होने के सवाल पर कहा कि गाइडलाइंस के मुताबिक जांच करनी होती है कि कहीं किसी महिला को कोई बीमारी तो नहीं है। साथ ही उन्होंने कहा कि महिलाओं के मामले में हमें इन नियमों का पालन करना पड़ता है।
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गौरतलब है कि अभी पिछले ही हफ्ते गुजरात के ही भुज के एक कॉलेज में 68 छात्राओं के कपड़े उतरवाकर पीरियड्स की जांच करने का मामला सामने आया था। भुज स्थित श्री सहजानंद कॉलेज की प्रिंसिपल ने 68 लड़कियों के अंडरगारमेंट उतरवाकर इस बात की जांच कराई थी कि वे मासिक धर्म से गुजर रही हैं या नहीं। इतना ही नहीं लड़कियों को कॉलेज में पीरियड्स के दौरान किसी भी दूसरे छात्र या छात्रा से हाथ मिलाने या गले मिलने पर भी रोक लगा दी गई थी। उस घटना का संज्ञान लेते हुए भी राष्ट्रीय महिला आयोग ने मामले की जांच के लिए एक टीम भी गठित की थी। पुलिस ने भी कॉलेज की अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
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