समूचा विपक्ष आटा-दाल-चावल, दही-पनीर आदि पर लगाए गए जीएसटी का विरोध कर रहा है और संसद में सरकार से जवाब मांग रहा है। महंगाई की मार से आम लोग हलकान है, लेकिन सरकार इस मुद्दे पर न बात करना चाहती है और न ही संसद में जवाब देना चाहती है। इस फैसले के चलते मोदी सरकार की जबरदस्त खिंचाई हो रही है। विपक्ष ये कहकर सरकार पर निशाना साध रहा है कि अब रोटी - दाल पर भी सरकार टैक्स वसूल रही है। मोदी सरकार की चौतरफा खिंचाई के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को सफाई देने के लिए सामने आना पड़ा है। वित्त मंत्री ने ट्वीट के जरिए सफाई दी है। उन्होंने कहा कि सिर्फ सीलबंद यानी पैक किए हुए आटे-दाल-चावल आदि पर जीएसटी लगेगा, खुले में बिकने पर कोई जीएसटी नहीं लगेगा।
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वित्त मंत्री ने ट्वीट में 14 सामानों की लिस्ट अटैच किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर इस सूची में शामिल सामानों को खुले, बिना पैकिंग या बिना लेबल के खरीदा जाता है तो इन सामानों पर जीएसटी से छूट दी जाएगी। इन सामानों में दाल, चावल, आटा, गेहूं, मक्का, राई, ओट्स, सूजी, बेसन, दही और लस्सी भी शामिल है।
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निर्मला सीतारमण ने सवाल-जवाब के अंदाज में ट्वीट किया है- क्या यह पहली बार है जब इस तरह के खाद्य पदार्थों पर टैक्स लगाया जा रहा है? नहीं, राज्य जीएसटी पूर्व व्यवस्था में खाद्यान्न से राजस्व जुटा रहे थे। अकेले पंजाब ने खरीद कर के रूप में खाद्यान्न पर 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की वसूली की। यूपी ने 700 करोड़ रुपये बटोरे।
निर्मला सीतारमण आगे कहती हैं कि जब जीएसटी लागू किया गया था, तो ब्रांडेड अनाज, दाल, आटे पर 5% की जीएसटी दर लागू की गई थी। बाद में इसे केवल उन्हीं वस्तुओं पर टैक्स लगाने के लिए संशोधित किया गया था जो रजिस्टर्ड ब्रांड या ब्रांड के तहत बेची गई थीं।
निर्मला सीतारमण आगे बताती हैं कि प्रतिष्ठित निर्माताओं और ब्रांड मालिकों द्वारा जल्द ही इस प्रावधान का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग देखा गया और धीरे-धीरे इन वस्तुओं से जीएसटी राजस्व में काफी गिरावट आई।
गौरतलब है कि संसद के मॉनसून सत्र के दूसरे दिन भी लोकसभा और राज्यसभा में कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों के सदस्यों ने महंगाई, जीएसटी, अग्निपथ योजना और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर सरकार से जवाब मांगा और हंगामा किया। जिसके कारण मंगलवार को सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गयी।
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राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि संसद में चर्चा और सवालों से भागना सबसे असंसदीय है। अपने ट्वीट में राहुल गांधी ने लिखा कि रुपया पहुंचा 80 पार, गैस वाला मांगे ₹ हज़ार, जून में 1.3 करोड़ बेरोज़गार, अनाज पर भी GST का भार। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जनता के मुद्दे उठाने से हमें कोई रोक नहीं सकता, सरकार को जवाब देना ही पड़ेगा।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि आज दोपहर 2 बजे, कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष ने फिर से आवश्यक खाद्य पदार्थों की कीमत और जीएसटी में वृद्धि पर तत्काल बहस की मांग की। बहस से इनकार किया। राज्यसभा की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित। मोदी सरकार इतनी जिद्दी क्यों है ??
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इससे पहले राहुल गांधी ने फेसबुक पर एक पोस्ट कर मोदी सरकार पर हमला बोला है। राहुल गांधी ने लिखा अबकी बार, ‘वसूली’ सरकार? अब से दूध, दही, मक्खन, चावल, दाल, ब्रेड जैसे पैक्ड उत्पादों पर जनता से 5% GST वसूला जाएगा। रोज़मर्रा की खाने-पीने की चीजें महंगी हो गई, सिलेंडर ₹1053 का हो गया लेकिन सरकार तो यही कहती है 'सब चंगा सी'। मतलब, ये महंगाई जनता की समस्या है, सरकार की नहीं। उन्होंने लिखा- जब प्रधानमंत्री विपक्ष में थे, तब उन्होंने महंगाई को सबसे बड़ा मुद्दा बनाया था, लेकिन आज उन्होंने जनता को समस्याओं के गहरे दलदल में धकेल दिया है, जिसमें लोग रोज़ धंसते जा रहे हैं। आपकी इस बेबसी पर प्रधानमंत्री मौन हैं, खुश हैं और झूठ पर झूठ बोल रहे हैं। सरकार द्वारा आप पर किए जा रहे हर अत्याचार के खिलाफ़ मैं और पूरी कांग्रेस पार्टी आपके साथ खड़ी है। इस मुद्दे को हम सदन में ज़ोर-शोर से उठाएंगे। प्रधानमंत्री चाहे जितने शब्दों को 'असंसदीय' बता कर हमें चुप कराने की कोशिश कर लें, जवाब तो उन्हें देना ही पड़ेगा।
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