
उत्तर प्रदेश की बीजेपी की योगी सरकार ने ग्रेटर नोएडा के दादरी में 2015 में गोमांस के शक में भीड़ द्वारा मोहम्मद अखलाक की पीट-पीटकर की गई हत्या के मामले के आरोपियों के खिलाफ सभी मामलों को वापस लेने की कार्रवाई शुरू की है। सीपीएम ने सरकार के इस कदम की निंदा की है।
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गौतमबुद्धनगर जिले के अतिरिक्त जिला सरकारी वकील भाग सिंह भाटी ने शनिवार को बताया कि राज्य सरकार ने अभियोजन वापस लेने के लिए औपचारिक अनुरोध भेजा है। भाटी ने कहा, “अखलाक हत्याकांड के सभी आरोपियों के खिलाफ मामला वापस लेने के संबंध में सरकार से एक पत्र प्राप्त हुआ है। आवेदन सूरजपुर अदालत में प्रस्तुत किया गया है और इस पर 12 दिसंबर को सुनवाई होगी।”
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अखलाक के परिवार का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील यूसुफ सैफी ने कहा कि उन्होंने अभी तक आधिकारिक दस्तावेज नहीं देखे हैं। उन्होंने कहा, “मैंने इसके बारे में बस सुना है। मैं सुनवाई से पहले या सुनवाई की तारीख पर दस्तावेजों को देखने के बाद ही कोई टिप्पणी कर पाऊंगा।”
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मार्क्सवादी काम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के महासचिव एम ए बेबी ने मोहम्मद अखलाक की पीट-पीटकर हत्या किए जाने की घटना के सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप वापस लेने के उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयास की निंदा की है। बेबी ने एक्स पर लिखा, "मोहम्मद अखलाक की भयावह मॉब लिंचिंग के एक दशक बाद, उत्तर प्रदेश सरकार अब कथित तौर पर बीजेपी नेता संजय राणा के बेटे सहित सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप वापस लेने की कोशिश कर रही है।" उन्होंने कहा, "इस कदम की कड़ी निंदा करता हूं, जो घृणा अपराधों और हत्याओं को सरकार द्वारा स्वीकृति प्रदान करने के समान है। उत्तर प्रदेश सरकार को इन खतरनाक अपराधियों को दोषमुक्त करने के प्रयासों से तुरंत बचना चाहिए।"
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यह मामला 28 सितंबर 2015 का है। ग्रेटर नोएडा के बिसाहड़ा गांव में लाउडस्पीकर पर कथित घोषणा की गई कि अखलाक ने गाय को मारकर उसका मांस फ्रिज में रखा हुआ है जिसके बाद भीड़ ने उनके घर में घुसकर उन्हें पीट-पीटकर मार डाला। अखलाक को बचाने की कोशिश में उनके बेटे दानिश को भी गंभीर चोटें आईं।
अखलाक की पत्नी इकरामन ने उसी रात जारचा थाने में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें 10 नामजद और चार-पांच अज्ञात लोगों पर आरोप लगाए गए। अखलाक और दानिश को नोएडा के एक निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां अखलाक को मृत घोषित कर दिया गया और बाद में दानिश को दिल्ली के ‘आर्मी रिसर्च एंड रेफरल’ अस्पताल रेफर किया गया। घटना के एक दशक बाद, यह मामला ग्रेटर नोएडा के सूरजपुर स्थित जिला अदालत में लंबित है।
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