प्रस्तावित 'वन नेशन, वन इलेक्शन' विधेयक की समीक्षा के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन किया गया है। इस समिति में 31 सदस्य हैं, जिनमें से 21 लोकसभा से और 10 राज्यसभा से हैं। इसका मुख्य कार्य लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की व्यवहार्यता और रूपरेखा की जांच करना होगा।
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जेपीसी संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024 और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 की समीक्षा पर ध्यान केंद्रित करेगी, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर चुनावों को संरेखित करना है।
समिति में जिन लोकसभा के 21 सांसदों को शामिल किया गया है उनमें पी.पी चौधरी, डॉ. सी.एम रमेश, बांसुरी स्वराज, परषोत्तमभाई रूपाला, अनुराग सिंह ठाकुर, विष्णु दयाल राम, भर्तृहरि महताब, डॉ. संबित पात्रा, अनिल बलूनी, विष्णु दत्त शर्मा, प्रियंका गांधी वाड्रा, मनीष तिवारी, सुखदेव भगत, धर्मेंद्र यादव, कल्याण बनर्जी, टी.एम. सेल्वगणपति, जी.एम. हरीश बालयोगी, सुप्रिया सुले, डॉ. श्रीकांत एकनाथ शिंदे, चंदन चौहान और बालाशोवरी वल्लभनेनी हैं।
जेपीसी अब 'वन नेशन, वन इलेक्शन' विधेयक पर व्यापक विचार-विमर्श करेगी। साथ ही समिति पक्ष-विपक्ष और विशेषज्ञों से चर्चा के बाद अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी।
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बता दें कि वन नेशन, वन इलेक्शन बिल लोकसभा में मंगलवार को पेश किया गया था। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इस बिल को पटल पर रखा, जिसका विपक्ष ने जमकर विरोध किया। 'वन नेशन, वन नेशन' को लेकर सदन में पहली बार इलेक्ट्रॉनिक डिविजन हुआ। इस बिल के पक्ष में 220 सांसदों ने वोटिंग की तो 149 सांसदों ने इसका विरोध किया। हालांकि, बाद में फिर से मत विभाजन की प्रक्रिया की गई। दोबारा से मतविभाजन में पक्ष में 269 और विपक्ष में 198 वोट पड़े।
इसके बाद मोदी सरकार ने इस बिल को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेज दिया। सरकार की सिफारिश पर जेपीसी का गठन हो गया, जिसकी कमान भाजपा सांसद पीपी चौधरी को सौंपी गई। पीपी चौधरी जेपीसी के चेयरमैन नियुक्त किए गए हैं।
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