हालात

कश्मीरी ख्वाबों का कत्ल: आईएएस बनने का सपना लिए जो दिल्ली आए थे कश्मीरी छात्र, वे घबराकर लौट गए अपने घर

कश्मीर में अनिश्चितता के हालात के बीच सिविल सर्विस यानी यूपीएससी की तैयारी कर रहे दर्जनों कश्मीरी विद्यार्थी अपने घरों को लौट गए हैं। परिवारों से दूर ये विद्यार्थी घर वालों से किसी भी किस्म का संपर्क-संवाद न होने की स्थिति में बेहद तनाव में थे।

फोटो : Getty Images
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यूपीएससी की परीक्षा देकर सिविल सर्विस करते हुए देश की सेवा करने का ख्वाब आंखों में संजोए दर्जनों कश्मीरी विद्यार्थी अपने घर से दूर दिल्ली की विभिन्न कोचिंग में पढ़कर तैयारियां कर रहे थे। लेकिन सत्तारूढ़ बीजेपी द्वारा जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद करीब तीस विद्यार्थी, जिनमें ज्यादातर लड़कियां थी, अपने घरों को लौट गए हैं।

हालांकि, इन विद्यार्थियों ने दिल्ली की कोचिंग के लिए मोटी रकम खर्च की थी, लेकिन 5 अगस्त के बाद परिवार वालों से किसी किस्म का संवाद न होने के चलते पैदा तनाव के मद्देनजर इन विद्यार्थियों ने अपने करियर को तिलांजलि दे दी है।

Published: 19 Sep 2019, 9:00 PM IST

पुलवामा की ग़ज़ाला बताती हैं कि, “दिल्ली में रहते हुए मुझे हर पल अपने परिवार की फिक्र सताती रहती थी। आखिरकार मैंने अपनी कोचिंग को त्याग कर घर वापस लौटने का फैसला किया।” ग़ज़ाला का कहना है कि उसने दिल्ली के ओल्ड राजिंदर इलाके के एक कोचिंग सेंटर को 1.55 लाख रुपए की फीस जमा की थी। उसने बताया कि, “हालांकि मैंने सिर्फ तीन सप्ताह ही कोचिंग ली, लेकिन कोचिंग सेंटर ने मेरी पूरी फीस वापस करने से इनकार कर दिया।”

इसी तरह आलिया भी सिविल सर्विस में जाना चाहती थीं। पुलवामा की ही आलिया का कहना है कोचिंग को आधे रास्ते में छोड़ने का फैसला आसान नहीं था, क्योंकि इससे हमारी सिविल सर्विस में जाने की संभावना कम होती है, लेकिन क्या करते। आलिया ने बताया कि, “बचपने से ही मेरा सपना आईएएस बनने का था, लेकिन अब यह सब नामुमकिन नजर आ रहा है।” आलिया का कहना है कि बातचीत पर पाबंदी के कारण ही ऐसा करना पड़ा। आलिया बताती है कि वह एक रूढ़िवादी समाज से आती है, ऐसे में उसके घर वाले हर दिन उससे कम से कम 4-5 बार बात करते थे, लेकिन 5 अगस्त के बाद यह सिलसिला बंद हो गया था।

Published: 19 Sep 2019, 9:00 PM IST

आईएएस बनने की तमन्ना रखने वाले बहुत से कश्मीरी विद्यार्थियों को अब भी वह वक्त याद है जो उन्होंने कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद दिल्ली मे बिताया और उनकी परिवार वालों से कोई बात नहीं हो पाती थी। बारामुला के बिलाल अहम कहते हैं कि वे हर दिन अलग-अलग वेबसाइट पर जाकर घाटी के हालात जानने की कोशिश करते थे। बिलाल का कहना है कि, “इसके बाद ही मैं नाश्ता आदि कर पाता था। पहले दो हफ्ते तो कुछेक ग्राउंड रिपोर्ट दिखती थीं, जिससे हमें और घबराहट होने लगती थी।” बिलाल 37 अगस्त को बारामुला लौट आए।

कुलगाम के जाकिर अहमद की भी ऐसी ही कहानी है। वह पिछले 8 महीने से दिल्ली में रहकर आईएएस परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। उनका कहना है कि 5 अगस्त के बाद वह एक दिन भी पढ़ाई पर फोकस नहीं कर पाए। बिलाल बताते हैं कि, “मैं कई दिनों तक लाइब्रेरी जा ही नहीं पाया, हर वक्त टीवी देखता रहता, और अलग-अलग न्यूज़ चैनलों पर खबरें देखता रहता।” जाकिर ने करीब एक महीना दिल्ली में रुक कर कम्यूनिकेशन से पाबंदी खत्म होने का इंतजार किया, और आखिरकार वापस आ गए।

Published: 19 Sep 2019, 9:00 PM IST

एक और आईएएस अभ्यर्थी ने पहचान छिपाने की शर्त पर कहा कि अपने घर वालों की खैर-खैरियत जानने के लिए 5 अगस्त के बाद वह तीन बार दिल्ली और श्रीनगर आए-गए हैं।

Published: 19 Sep 2019, 9:00 PM IST

इस संवाददाता ने दिल्ली में कुछ कश्मीरी विद्यार्थियों से फोन पर बात की। इनमें से ज्यादातर का कहना था कि उन्होंने बीते करीब दो महीने से न तो कमरे का किराया चुकाया है और न ही बिजली-पानी की बिल भरा है। ऐसे में मकान मालिक उनसे कमरा खाली करने को कह रहे हैं। उनका कहना है कि, “हमारे घर वाले हमें पैसा भेज ही नहीं पा रहे हैं, क्योंकि 5 अगस्त के बाद से कश्मीर में इंटरनेट बंद है, ऐसे में ई-बैंकिंग कैसे होगी।”

(इस रिपोर्ट में छात्राओं के नाम उनकी पहचान छिपाने के लिए बदल दिए गए हैं।)

Published: 19 Sep 2019, 9:00 PM IST

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Published: 19 Sep 2019, 9:00 PM IST