कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने आज सुप्रीम कोर्ट में कार्यवाही के दौरान प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई पर जूता फेंकने के प्रयास से जुड़ी घटना की कड़ी निंदा की और कहा कि जाति-आधारित पूर्वाग्रह और मनुवादी मानसिकता अब भी बरकरार है। वहीं अशोक गहलोत ने घटना को बेहद निंदनीय बताते हुए कहा कि यह देश में बढ़ते नफरत के माहौल का द्योतक है।
मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में आग्रह किया कि अपराधी के साथ-साथ ऐसे व्यवहार का समर्थन या प्रोत्साहन देने वालों के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जाए। सिद्धरमैया ने लिखा, “मैं घटना की कड़ी निंदा करता हूं। प्रधान न्यायाधीश और न्यायपालिका, दोनों का अपमान करने की कोशिश करने वाले उपद्रवी वकील के खिलाफ तत्काल कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।”
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न्यायमूर्ति गवई की पृष्ठभूमि का उल्लेख करते हुए सिद्धरमैया ने कहा, "दलित समुदाय से संबंध रखने वाले न्यायमूर्ति गवई जड़ जमा चुकीं सामाजिक बाधाओं को अपनी योग्यता और दृढ़ता के बल पर पार करते हुए न्यायपालिका के सर्वोच्च पद तक पहुंचे हैं। यह घटना इस बात की कड़ी याद दिलाती है कि भारतीय संविधान लागू होने के 75 साल बाद आज भी जाति-आधारित पूर्वाग्रह और मनुवादी मानसिकताएं कायम हैं।”
सिद्धरमैया ने कहा, “हमें इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए कि जाति और धर्म पर आधारित विभाजनकारी राजनीति ने मनुवादी सोच के उभरने और फलने-फूलने के लिए परिस्थितियां पैदा की हैं और ऐसी ही सोच राकेश किशोर (वकील) की है।” उन्होंने कहा, "मैं सभी जातियों, धर्मों और राजनीतिक विचारों से जुड़े लोगों से एक स्वर में इस घृणित कृत्य की निंदा करने की अपील करता हूं।"
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वहीं, राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सीजेआई बीआर गवई की तरफ जूता फेंकने के प्रयास को बेहद निंदनीय बताते हुए कहा कि यह देश में बढ़ते नफरत के माहौल का द्योतक है। गहलोत ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति बीआर गवई पर किया गया हमला बेहद निंदनीय भी है और साथ ही देश में बढ़ते नफरत के माहौल का द्योतक भी है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने लिखा, “जब मौजूदा प्रधान न्यायाधीश इस तरह के हमले के शिकार हो सकते हैं तो देश के कमजोर वर्गों, दलितों के साथ क्या हो रहा होगा यह कल्पना की जा सकती है।” उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ये बात लगातार कह रही है कि संविधान और संवैधानिक संस्थाएं देश में योजनाबद्ध तरीके से कमजोर की जा रही हैं, उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश पर इस शर्मनाक हमले को इसी रूप में देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “नफरती विचारधारा के लोग न संविधान का, न कानून का और न ही इनकी पालना करवाने वाले लोगों का सम्मान कर सकते हैं।”
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सुप्रीम कोर्ट में यह घटना सोमवार सुबह मामलों के उल्लेख के दौरान हुई। आरोपी वकील किशोर मंच के पास गया और अपना जूता निकालकर न्यायाधीश पर फेंकने का प्रयास किया। हालांकि, अदालत में मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने समय रहते हस्तक्षेप किया और वकील को बाहर निकाल दिया। बाहर जाते समय, वकील को यह कहते हुए सुना गया, "सनातन का अपमान नहीं सहेंगे।" इस बीच सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री द्वारा प्रधान न्यायाधीश की ओर जूता फेंकने के आरोपी वकील पर कोई आरोप नहीं लगाए जाने और न ही उसके खिलाफ मामला दर्ज कराए जाने पर पुलिस ने उसे रिहा कर दिया है। साथ ही वकील को उसका जूता भी लौटा दिया गया है।
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