उत्तर प्रदेश की सीतापुर जेल में बंद पूर्व मंत्री और समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खान की तबीयत आज फिर बिगड़ गई। ऑक्सीजन लेवल गिरने और सांस में तकलीफ होने के कारण उन्हें तत्काल सीतापुर जेल से लखनऊ के मेदान्ता अस्पताल के लिए रवाना कर दिया गया। खास बात ये है कि आजम खान को 13 जुलाई को ही परिजनों के विरोध के बावजूद मेदांता अस्पताल से सीतापुर जेल वापस लाया गया था।
सीतापुर जेल की मेडीकल टीम द्वारा आज सुबह आजम खान की मेडिकल जांच के दौरान उनका ऑक्सीजन लेवल 88 पाया गया। साथ ही आजम खान को फिर से सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। इसके बाद डॉक्टरों के सलाह पर उन्हें फिर से लखनऊ के मेदांता ले जाने की तैयारी की जा रही है।
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समाजवादी पार्टी के नेता और रामपुर से सांसद आजम खान करीब डेढ़ साल से सीतापुर जेल में विभिन्न आरोपों में बंद हैं। यहां उन्हें फरवरी 2020 में लाया गया था। यहां इससे पहले उनकी पत्नी तंजीन फातिमा भी थी, मगर उन्हें जमानत मिल गई है। बीते 30 अप्रैल को उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। तबीयत काफी बिगड़ने पर 9 मई को उन्हें लखनऊ के मेदान्ता में भर्ती कराया गया था। बाद में उनकी कोरोना रिपोर्ट तो निगेटिव आ गई, लेकिन उनकी तबियत लगातार बनती-बिगड़ती रही। इसी बीच 13 जुलाई को उन्हें वापस जेल शिफ्ट कर दिया गया।
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उस समय उन्हें अस्पताल से वापस जेल भेजे जाने पर उनके परिजनों ने ऐतराज जताया था। उनकी पत्नी तंजीन फातिमा ने कहा था कि यह बिल्कुल नही किया जाना चाहिए था क्योंकि अभी वो पूरी तरह से ठीक नही हुए हैं। तंजीन फातिमा ने दावा किया था कि उत्तर प्रदेश सरकार ने उनके स्वास्थ्य को गंभीरता से नही लेते हुए जानबूझकर अस्पताल से जेल भेजा है।
आजम खान के साथ उनके बेटे अब्दुल्लाह आजम भी अस्पताल में भर्ती थे। 13 जुलाई को अब्दुल्लाह आजम को भी सीतापुर जेल में भेजा गया था। डॉक्टर्स की टीम ने बताया है कि उनके पुत्र अब्दुल्लाह आजम की तबीयत ठीक है और उन्हें कोई समस्या नही है। आजम खान के विरुद्ध 80 से ज्यादा केस दर्ज हैं। समाजवादी पार्टी उनपर राजनीतिक द्वेष के चलते कार्रवाई करने का आरोप लगाती रही है।
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समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व एमएलसी आशु मलिक ने इसे घोर आपत्तिजनक बताया है। उन्होंने कहा कि आजम साहब को अस्पताल से जेल भेजना एक गलत फैसला था। समाजवादी पार्टी के लोगो ने इसका विरोध किया था कि वो एक सीनियर सिटीजन भी हैं। उनकी तबियत बिगड़ने की पूरी आशंका थी। डॉक्टरों ने उन्हें जेल में शिफ्ट करने में जल्दबाजी की बात कही थी, मगर बीजेपी सरकार अपनी द्वेष भावना के चलते उन्हें जेल में ही शिफ्ट करना चाहती थी। नैतिकता और मानवीयता के आधार पर यह बहुत गलत था। अब आजम साहब के लिए दुआ की जरूरत है।
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