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उत्तर प्रदेशः योगी सरकार में अल्पसंख्यक होना गुनाह, मेरठ में पीड़ितों की मदद पर पुलिस ने ढाया कहर

उत्तर प्रदेश की पुलिस अल्पसंख्यकों पर ज्यादती करने का कोई मौका नहीं चूक रही है, जिसके कारण अल्पसंख्यक समुदाय का पुलिस से भरोसा लगातार उठता जा रहा है। हाल में मेरठ के लिसाड़ी गेट थाना इलाके से इसी तरह का चौंकाने वाला मामला सामने आया है।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

उत्तर प्रदेश पुलिस के कुछ आला अफसर लोगों का भरोसा जीतने का दावा भले करते हों, लेकिन जमीन पर हकीकत इसके उलट है। प्रदेश की पुलिस अल्पसंख्यकों पर ज्यादती करने का कोई मौका नहीं चूक रही है, जिसके कारण अल्पसंख्यक समुदाय का पुलिस से भरोसा लगातार उठता जा रहा है। हाल में मेरठ के लिसाड़ी गेट थाना इलाके से इसी तरह का चौंकाने वाला मामला सामने आया है।

मेरठ का यह इलाका पहले से ही पुलिस की एकतरफा कार्रवाई के उदाहरणों से भरा पड़ा है। इसी बीच गुरुवार को हुई एक घटना ने एक बार फिर योगी सरकार और उसकी पुलिस का असली चेहरा सामने ला दिया है। यहां दिल्ली दंगा पीड़ितों की मदद के लिए राहत सामग्री एकत्र करने के उद्देश्य से एक कैंप लगाया गया था, जिसकी खबर लगते ही स्थानीय पुलिस ने मौके पर पहुंचकर इसे जबरन बंद करवा दिया।

Published: 14 Mar 2020, 3:32 PM IST

दरअसल मेरठ के लिसाड़ी गेट थाना इलाके कुछ स्थानीय लोगों ने दिल्ली दंगा पीड़ितों की मदद के लिए लोगों से आटा ,चावल-दाल जैसी खाने की वस्तुएं और कपड़े दान देने की अपील की थी और इसके लिए एक कैंप लगाया गया था, जहां स्थानीय लोग इसमें मदद कर रहे थे। लेकिन गुरुवार को जैसे ही मेरठ पुलिस को इसकी जानकारी हुई, उसने मौके पर पहुंचकर इस राहत कार्य को रुकवा दिया।

स्थानीय लोगों का आरोप है कि इस दौरान पुलिस ने बेरहमी से लाठियां भांज कर लोगों को वहां से भगा दिया। इतना ही नहीं, उन्हें जेल भेजने की धमकी भी दी। इससे नाराज स्थानीय लोगों ने अगले दिन मेरठ रेज के पुलिस महानिरीक्षक से मिलकर इसकी शिकायत भी की, लेकिन उस दरोगा के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिसने इस घटना को अंजाम दिया था।

Published: 14 Mar 2020, 3:32 PM IST

मेरठ में राहत कैंप का आयोजन करने वाले पूर्व पार्षद हाजी इरफान अली ने पूरी घटना को लेकर बताया, “क्या अब किसी पीड़ित की मदद करना गुनाह है! हम लोग दिल्ली दंगे की आग में झुलसने वालों की मदद करने के लिए एकजुट हो रहे थे। हमने लोगों से आटा, चावल-दाल और कपड़े खैरात में देने की गुजारिश की। लोग हमारी अपील पर मदद कर रहे थे, मगर पुलिस ने हमारे साथ बहुत बुरा सुलूक किया।”

हाजी इरफान ने घटना के बारे में बताया कि कैंप चल ही रहा था कि अचानक वहां इस्लामाबाद के चौकी इंचार्ज भुवनेवर पहुंचे और आते ही उन्होंने न सिर्फ मदद के लिए सामने आने वालों को गालियां देनी शुरू कर दी, बल्कि पीड़ितों के लिए राहत सामग्री एकत्र करने के लिए कैंप लगाने पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि ऐसे कैंप से दंगा भड़क सकता है। उन्होंने धमकी दी कि “अगर किसी की मदद के लिए कोई कैंप लगाया तो सब को अंदर कर दूंगा! किसी भी मुकदमे में फंसाकर जेल भेज दूंगा! इसके बाद चौकी इंचार्ज ने कैंप पर राहत सामग्री दान करने की अपील करने वाला बैनर भी फाड़ डाला।

Published: 14 Mar 2020, 3:32 PM IST

हालांकि इसके बाद घटना से नाराज सामाजिक लोगों ने मेरठ के आईजी प्रवीण कुमार से मिलकर पुलिस की कारगुजारी की शिकायत भी की। पूर्व पार्षद हाजी इरफान के मुताबिक, हमने आईजी से चौकी प्रभारी के दुर्व्यवहार की शिकायत की, जिसने पीड़ितों की मदद के लिए लगाए गए कैंप को जबर्दस्ती बंद करवा दिया। इस्लामाबाद चौकी इंचार्ज अब भी हमें कैंप लगाने पर जेल में डालने की धमकी दे रहा है।” हाजी इरफान के अनुसार आईजी प्रवीण कुमार ने उन्हें किसी भी तरह की ज्यादती नहीं होने देने की बात कही। उन्होंने कहा कि पुलिस किसी को भी फर्जी केस से परेशान नहीं करेगी और वह इसकी जांच कराएंगे और किसी के साथ भी अन्याय नहीं होने देंगे।

उत्तर प्रदेश में इन दिनों कई जगहों पर एक पक्ष के विरुद्ध पुलिस की कार्रवाई में तेजी दिखाई पड़ रही है। यह काफी चिंताजनक है। लेकिन उससे ज्यादा चिंताजनक इन घटनाओं को लेकर स्थानीय अखबारों की रिपोर्टिंग है, जो एक वर्ग विशेष के खिलाफ जहर बोने के उद्देश्य से जानबूझकर छवि बिगाड़ने की कोशिश के तहत गलत खबरें प्रकाशित कर रही हैं। लोगों में स्थानीय अखबारों की रिपोर्टिंग को लेकर खासा गुस्सा है और उन्होंने अखबारों के बहिष्कार का भी ऐलान कर दिया है।

Published: 14 Mar 2020, 3:32 PM IST

दरअसल मेरठ के तीन बड़े अखबारों ने दिल्ली दंगा पीड़ितों के लिए मेरठ के लिसाड़ी गेट थाना क्षेत्र में पूर्व पार्षद द्वारा कैंप लगाए जाने की खबर को बेहद गलत तरीके से पेश किया है। दैनिक जागरण ने लिखा ‘दंगा पीड़ितों के लिए ले रहे थे चंदा, पुलिस से की अभद्रता’। हिन्दुस्तान ने लिखा कि ‘दिल्ली हिंसा के पीड़ितों के नाम पर जुटाया चंदा’ अमर उजाला ने खबर की हेडिंग में ही लिख दिया कि ‘दिल्ली हिंसा के आरोपियों के लिए लिसाड़ी गेट में लगा कैंप’। अमर उजाला की हेडिंग सीधा आरोप लगाती है कि वही लोग दंगों के आरोपी हैं जिनके घर दंगे में जला दिए गए और अब वे अपने घरों को छोड़ कैंप में रह रहे हैं।

Published: 14 Mar 2020, 3:32 PM IST

स्थानीय निवासी जफर मोहम्मद राहत के अनुसार पुलिस से निष्पक्ष कर्तव्य निर्वाहन की उम्मीद की जाती है। लेकिन उत्तर प्रदेश पुलिस खासकर मेरठ पुलिस की ताजा कार्रवाई से वो एक वर्ग के प्रति ज्यादती करती हुई स्पष्ट दिखाई दे रही है। इस मामले में मीडिया से सच दिखाने की उम्मीद की जाती है, लेकिन टीवी मीडिया के साथ ही स्थानीय अखबारों ने भी जहर फैलाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी है। उन्होंने कहा कि “हम लोग टीवी और अखबार दोनों का बहिष्कार करेंगे। अखबार पूरी तरह झूठ लिख रहे हैं।”

Published: 14 Mar 2020, 3:32 PM IST

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Published: 14 Mar 2020, 3:32 PM IST