राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने दावा किया है कि बिहार में अगली सरकार महागठबंधन की बनने वाली है और इस बार बिहार की जनता दो बार दीपावली मनाएगी। पहली 20 अक्टूबर को और दूसरी 14 नवंबर को मनाई जाएगी। मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की ‘गुगली’ में एनडीए गठबंधन बिखर जाएगा।
जेडीयू विधायक के सीएम आवास के बाहर धरना प्रदर्शन करने के मामले में उन्होंने कहा कि एनडीए में तनाव बढ़ रहा है और आपसी घमासान मचा हुआ है। बिहार की जनता तेजस्वी यादव के नेतृत्व में ऐसी सरकार बनाने को प्रतिबद्ध है, जो भरपूर रोजगार के अवसर प्रदान करे। उन्होंने दावा किया कि महागठबंधन तैयार है और बिहार की जनता ने ‘डबल इंजन’ की सरकार को उखाड़ फेंकने का मन बना लिया है।
उन्होंने कहा कि 14 नवंबर को बिहार की जनता दीपावली मनाएगी। सीट बंटवारे को लेकर अभी तक इंडिया ब्लॉक में तस्वीर साफ नहीं हो पाई है और इसे लेकर एनडीए लगातार सवाल उठा रही है। जब इस पर आरजेडी प्रवक्ता से प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने कहा कि बहुत कुछ बाकी है, बस थोड़ा इंतजार कीजिए। उन्होंने दावा किया कि तेजस्वी यादव के इशारे पर ही बीजेपी विधायकों के पार्टी छोड़ने की झड़ी लग जाएगी, जिससे एनडीए पूरी तरह बिखर जाएगा।
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बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेजी से बढ़ रही हैं। खबरों के मुताबिक, एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर घमासान मचा हुआ है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और चिराग पासवान के बीच आमने सामने की लड़ाई शुरू हो गई है। बताया जा रहा है कि एनडीए में सहयोग और समन्वय की जो भावना बनी थी, वह चिराग की जिद की वजह से खत्म होने की कगार पर है। खबरों के अनुसार, सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सख्त नाराजगी की वजह से ही एनडीए की साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस रद्द करनी पड़ी थी। उपेन्द्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी भी चिराग पासवान को अधिक तवज्जो दिए जाने से नाराज हैं। कोई खुल कर तो नहीं कह रहा, लेकिन यह नेता अंदर ही अंदर बीजेपी पर भड़के हुए हैं। इनका कहना है कि हम चिराग के बिना भी जीत कर सत्ता हासिल कर चुके हैं। फिर इतने मान-मनौव्वल की क्या जरूरत है।
खबरों में कहा गया है कि नीतीश कुमार ने बीजेपी या अन्य सहयोगी दलों पर कुछ नहीं कहा है। लेकिन उन्होंने अपने दल के उन नेताओं को तलब किया है, जो सीट बंटवारे में पार्टी का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। उन्होंने नाराजगी के साथ पूछा कि जेडीयू की जीती हुई सीटें और परम्परागत सीटें कैसे दूसरे दलों को देने की बात तय हो गई? ऐसा कैसे हुआ? इसे ठीक कराइए, फिर बात कीजिए।
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