बिहार में विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए मतदान से पहले सियासी हलचलें तेज हो गई हैं। इस पद के लिए महागठबंधन ने अपने उम्मीदवार के लिए सभी विधायकों को एकजुट रखा है, साथ ही सत्ता पक्ष यानी एनडीए विधायकों से अंतरात्मा की आवाज पर वोटिंग करने की अपील की है। इसके बाद से बीजेपी खेमे में बेचैनी बढ़ गई है।
जेडीयू खेमा तो इस पूरे मामले में चुप्पी साधे हुए है लेकिन बीजेपी की बेचैनी साफ नजर आ रही है। मंगलवार देर शाम बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और बीजेपी नेता सुशील मोदी ने एक ट्वीट कर इस बेचैनी के कारण को उजागर कर दिया, जिससे सियासी हड़कंप मच गया है। सुशील मोदी ने ट्वीट में आरोप लगाया कि रांची जेल में बंद आरजेडी नेता लालू प्रसाद यादव एनडीए विधायकों को फोन कर मंत्री पद का लालच दे रहे हैं।
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सुशील मोदी ने इस ट्वीट के साथ लालू यादव का कथित नंबर भी शेयर किया। उन्होंने कहा कि, " जब मैंने उस नंबर पर फोन किया तो लालू यादव ने सीधे उसे रिसीव किया। इस पर मैंने कहा कि आप यह गंदा खेल बंद कीजिए। आप कभी सफल नहीं होंगे।" सुशील मोदी ने इस ट्वीट में कुछ न्यूज चैनलों और समाचार एजेंसियों को टैग किया है।
सुशील मोदी के इस ट्वीट की सच्चाई जो भी हो, लेकिन बीजेपी खेमे की बेचैनी जरूर सामने आ गई है। साथ ही यह भी साफ हो गया कि बिहार की राजनीति में खासतौर से एनडीए खेमे में सबकुछ ठीकठाक नहीं है।
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दरअसल बिहार में एनडीए बहुमत के आंकड़े की दहलीज पर ही खड़ी है, लेकिन उसके 4 विधायक भी अगर पाला बदल लेते हैं तो सरकार अल्पमत में आ जाएगी। ऊपर से महागठबंधन की तरफ से स्पीकर पद के मतदान में सत्ता पक्ष के विधायकों से अपील के बाद एनडीए की बेचैनी ज्यादा बढ़ गई है और उसे सरकार गिरने का डर सताने लगा है।
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स्पीकर पद के लिए वोटिंग से पहले मंगलवार को बिहार में जबरदस्त राजनीतिक हलचल रही। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों तरफ रणनीति बनाने का दौर चलता रहा। महागठबंधन नेता तेजस्वी यादव ने प्रोटेम स्पीकर जीतन राम मांझी से मिलकर अपने दो विधायकों के लिए वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए वोटिंग की मांग की। ये दोनों विधायक जेल में हैं। इसके अलावा देर शाम तक महागठबंधन विधायकों की बैठक पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर चलती रही। इस दौरान सीपीआई माले ने महागठबंधन के उम्मीदवार अवध बिहारी चौधरी के पक्ष में वोट देने के लिए अपने विधायों को व्हिप भी जारी किया है।
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दरअसल बीजेपी और एनडीए खेमे की बेचैनी का कारण यह है कि बिहार के इतिहास में करीब 5 दशक बाद स्पीकर के चुनाव में मतदान कराने की स्थिति बनी है। जिस तरह पूरा चुनाव तेजस्वी बनाम नीतीश था, वैसे ही यह चुनाव भी तेजस्वी बनाम नीतीश बन गया है। लेकिन जेडीयू की इस पूरे मामले में खामोशी ने बीजेपी की बेचैनी बढ़ा दी है क्योंकि बीजेपी ने ही अपने सवर्ण उम्मीदवार को स्पीकर पद के लिए मैदान में उतारा है। ऐसे में अगर बीजेपी उम्मीदवार चुनाव हारते हैं तो माना जाएगा कि सरकार के पास बहुमत नहीं है और उन्हें इस्तीफा देना पड़ सकता है।
गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनाव के बाद विधानसभा में एनडीए और महागठबंधन के विधायकों की संख्या में ज्यादा अंतर नहीं है। एनडीए के पास जहां 125 विधायक हैं, वहीं महागठबंधन के पास 110 सीटें हैं।
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