बिहार विधान परिषद के लिए तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र पर हुए उप चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी और बर्खास्त शिक्षक नेता वंशीधर ब्रजवासी ने राजनीतिक दलों के गणित को गलत साबित करते हुए सभी को धूल चटा दी। खास बात ये रही कि यहां से जेडीयू प्रत्याशी की करारी हार हुई और वह चौथे स्थान पर रहे। तिरहुत स्नातक सीट जेडीयू नेता देवेश चंद्र ठाकुर के सांसद बनने के बाद खाली हुई थी। इस उपचुनाव में कुल 18 उम्मीदवार मैदान में उतरे थे।
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बर्खास्त शिक्षक के रूप में अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत करने वाले वंशीधर ब्रजवासी ने प्रथम वरीयता के मतों की गिनती से ही बढ़त बनाई, जो अंत तक कायम रही। इस चुनाव में जन सुराज के विनायक गौतम को दूसरा स्थान मिला, जबकि, आरजेडी के गोपी किशन और जेडीयू के अभिषेक झा तीसरे और चौथे स्थान पर रहे।
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जीत दर्ज करने के बाद ब्रजवासी ने कहा कि यहां मैं नहीं सभी शिक्षक और लोग चुनाव लड़ रहे थे। यह सभी लोगों की जीत है। शिक्षक से नेता बने ब्रजवासी शिक्षकों के अधिकारों को लेकर चर्चा में रहे हैं। उन्हें शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव रहे केके. पाठक ने नौकरी से निलंबित कर दिया था। वह नौकरी से हटने के बाद उपचुनाव में कूद गए। वंशीधर शिक्षकों और स्नातकों के अधिकारों की लड़ाई को अपनी पहली प्राथमिकता बताते हैं।
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ब्रजवासी ने कहा कि वह सरकार को इसलिए धन्यवाद देना चाहेंगे क्योंकि अगर सरकार ने उन्हें नौकरी से बर्खास्त नहीं किया होता तो आज वह एमएलसी नहीं बनते। सरकार ने कार्रवाई की तभी शिक्षक गोलबंद हुए और उसका नतीजा सामने है। उन्होंने कहा, "सरकारी तंत्रों की तानाशाही के खिलाफ संघर्ष, चाहे वह शिक्षक कर रहा हो, पत्रकार कर रहा हो, संविदा कर्मी कर रहा हो या पंचायत में काम कर रहे लोग कर रहे हों, उनकी एकजुटता इस जीत का कारण है और वही नायक भी हैं। उनकी कोशिश रहेगी, उनके इस संघर्ष को मुकाम तक पहुंचाने में सहायक बनें।"
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