अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बड़ा दांव चलकर सबको चौंका दिया है। बिहार विधानसभा में मंगलवार को नीतीश सरकार ने जातीय गणना और आर्थिक, शैक्षणिक सर्वे की रिपोर्ट सदन में पेश की। इस बीच, नीतीश कुमार ने जातीय गणना को आधार मानते हुए आरक्षण का दायरा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा।
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सदन में मुख्यमंत्री ने कहा कि जातीय गणना सर्वे से पिछड़ा और अति पिछड़ा सहित एससी और एसटी आबादी का जो आंकड़ा आया है, उसके मुताबिक आरक्षण बढ़ाने की जरूरत है। फिलहाल जो 50 प्रतिशत आरक्षण है, उसे हम 65 प्रतिशत कर दें। पहले से अगड़ी जातियों के आर्थिक रूप से कमजोर के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण है तो इस 65 प्रतिशत के बाद कुल आरक्षण 75 प्रतिशत हो जाएगा।
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चर्चा के दौरान सीएम नीतीश ने बताया सरकार आरक्षण का दायरा बढ़ाने जा रही है। आरक्षण बढ़ाने के लिए सलाह ली जाएगी। उन्होंने कहा कि हम इसी सत्र में बदलावों को लागू करना चाहते हैं। नीतीश सरकार के प्रस्ताव के मुताबिक एससी के मौजूदा 16 फीसदी आरक्षण को बढ़ाकर 20 फीसदी किया जाएगा। एसटी को एक फीसदी से बढ़ाकर 2 फीसदी किया जाएगा। ईबीसी (अत्यंत पिछड़ा) और ओबीसी को मिलाकर 43 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा।
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इस दौरान नीतीश कुमार ने यह भी कहा कि राज्य में 63,850 परिवारों के रहने का आवास नहीं है, ऐसे परिवारों के लिए राज्य सरकर जमीन खरीदने के लिए एक लाख रुपये और मकान बनाने के लिए 1.20 लाख रुपए देने का भी सुझाव रखती है। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को पूरा करने में पांच साल का समय लगेगा।
सीएम नीतीश ने कहा कि राज्य में 94 लाख गरीब परिवार हैं। इन गरीब परिवार को 2 लाख रुपए राज्य सरकार की तरफ से मदद किया जाएगा। इसमें सभी जाति के गरीबों को मदद पहुंचाई जाएगी। मुख्यमंत्री ने विशेष राज्य का दर्जा की मांग को भी दोहराते हुए कहा कि अगर विशेष राज्य का दर्जा मिल जाए तो लक्ष्य जल्दी पूरा होगा।
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