कांग्रेस ने बिहार में जेडीयू और बीजेपी के गठबंधन पर निशाना साधते हुए मंगलवार को कहा कि यह सत्तारूढ़ गठबंधन की नाकामी ही है, जिसके कारण प्रदेश को अब तक विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिला है।
कांग्रेस के सोशल मीडिया विभाग की प्रमुख एवं प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘ उन्होंने (नीतीश ने) उन लोगों के साथ मिलकर काम किया जिन्होंने कभी उनके डीएनए पर सवाल उठाए थे। आज, संसद में बहुमत न रखने वाली भाजपा केंद्र में सत्ता में बने रहने के लिए उनके समर्थन पर निर्भर है। ’’
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श्रीनेत ने कहा कि इसके बावजूद वह (नीतीश) न तो बिहार के लिए विशेष दर्जा हासिल कर पाए और न ही विशेष पैकेज। लेकिन दूसरी ओर बीजेपी, जिसके पास बिहार में मुख्यमंत्री पद के लिए न तो कोई चेहरा है और न ही कोई ऐसा मुद्दा जो जनता का ध्यान खींच सके, फिर भी भाजपा विधानसभा चुनावों से पहले धीरे-धीरे नीतीश को कमजोर कर रही है।
कांग्रेस नेता ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस दावे का खंडन करने की चुनौती दी कि अमेरिका के हस्तक्षेप के कारण ही भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम हुआ।
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श्रीनेत ने कांग्रेस की बिहार इकाई के मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह बात कही और आरोप लगाया कि मोदी की 'चुप्पी' उनकी सरकार की 'कूटनीतिक विफलता' का संकेत है।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, ‘‘ पहलगाम आतंकवादी हमले के तुरंत बाद कांग्रेस ने स्पष्ट कर दिया था कि वह सरकार द्वारा उठाए गए हर कदम का समर्थन करेगी। लेकिन समय-समय पर राष्ट्र को संबोधित करने के इतने शौकीन प्रधानमंत्री मोदी, ट्रंप के इस दावे को झूठ क्यों नहीं बताते? अगर अमेरिकी राष्ट्रपति झूठ बोल रहे हैं तो वह उन्हें (ट्रंप को) फोन करके अपना विरोध क्यों नहीं दर्ज कराते?’’
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उन्होंने कहा, ‘‘ हमारे पास पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जैसे नेता रहे हैं, जो सातवें बेड़े को भेजने की अमेरिकी धमकियों से नहीं डरे और सैन्य अभियान को आगे बढ़ाया, जिसके परिणामस्वरूप पाकिस्तान के टुकड़े हो गए और बांग्लादेश का निर्माण हुआ। इसके विपरीत, आज दिवालिया पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के बराबर समझा जा रहा है।’’
श्रीनेत ने कहा कि ट्रंप ने पिछले 11 दिनों में कम से कम नौ बार दोनों देशों के बीच युद्ध विराम के लिए हस्तक्षेप करने और मध्यस्थता के अपने दावों को दोहराया है, लेकिन इस मुद्दे पर सरकार की चुप्पी कूटनीतिक विफलता है।
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