बिहार में चमकी बुखार यानी एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से 17 दिनों में 108 बच्चों की मौत के बाद आखिरकार मुख्यमंत्री नितीश कुमार की नींद खुल गई है। मंगलवार को सुशासन बाबू बच्चों की मौत मामले में मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्णा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में डॉक्टरों के साथ समीक्षा बैठक करने पहुंचे। इस दौरान अस्पताल में मौजूद मृतकों के परिवारजनों ने जमकर हंगामा किया। अस्पताल परिसर में नितीश कुमार के खिलाफ नारेबाजी भी हुई। इसकेअलावा अस्पताल के अन्दर भी लोगों ने तोड़फोड़ की।
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मुख्यमंत्री के मुजफ्फरपुर अस्पताल दौरे से पहले सोमवार को बिहार के एक मंत्री से जब पूछा गया कि क्या नीतीश कुमार अस्पताल का दौरा करेंगे तो उन्होंने जवाब दिया, 'मुख्यमंत्री हर चीज पर नजर रख रहे हैं। क्या जरूरी है? निगरानी करना या मरीजों का इलाज करना या उनसे यहां मिलने के लिए आना?'
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इस मामले में बिहार के पूर्व सीएम लालू यादव की पत्नी और आरजेडी नेता राबड़ी देवी ने कहा है कि यह मासूम बच्चों की हत्या है। राबड़ी देवी ने सोशल मीडिया पर बिहार स्वास्थ्य विभाग की नाकामी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को फटकार लगाते हुए लिखा, ‘ एनडीए सरकार की घोर लापरवाही, कुव्यवस्था सीएम की महामारी को लेकर अनुत्तरदायी, असंवेदनशील और अमानवीय अप्रोच, लचर व भ्रष्ट व्यवस्था, स्वास्थ्य मंत्री के ग़ैर-ज़िम्मेदाराना व्यवहार एवं भ्रष्ट आचरण के कारण ग़रीबों के 1000 से ज़्यादा मासूम बच्चों की चमकी बुखार के बहाने हत्या की गयी है।’
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बता दें कि चमकी बुखार की चपेट में आने से बिहार में सबसे ज्यादा 89 बच्चों की मौत मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्णा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसकेएमसीएच) में हुई है, जबकि केजरीवाल अस्पताल में 19 बच्चों की जान गयी है। इसके अलावा चमकी बुखार की चपेट में आये 400 से ज्यादा बच्चे बिहार के अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती हैं।
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चमकी बुखार से बच्चों की मौत के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के खिलाफ बीमारी से पहले एक्शन नहीं लेने के आरोप में केस दर्ज हुआ है। बच्चों की मौत पर मानवाधिकार आयोग ने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस भेजा है।
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बता दें कि बिहार के 12 जिले इस समय चमकी बुखार की चपेट में हैं। साल 2014 में भी बिहार में ऐसी ही बीमारी की चपेट में आने से 350 से ज्यादा बच्चों की मौत हुई थी।
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