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बिहार SIR: चुनाव आयोग से कांग्रेस ने पूछा, 'क्या EC बिहार SIR प्रक्रिया पर SC के आदेशों को अक्षरशः लागू करेगा?'

जयराम रमेश ने कहा कि क्या चुनाव आयोग बिहार एसआईआर प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट के 14 अगस्त, 2025 के आदेशों को अक्षरशः लागू करेगा? ऐसा करना संवैधानिक रूप से उसका कर्तव्य है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश फोटोः सोशल मीडिया

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि आज, भारत निर्वाचन आयोग ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। यह पहली बार था जब यह 'नया' निर्वाचन आयोग सीधे तौर पर बोल रहा था, न कि सूत्रों के जरिए।

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जयराम रमेश ने कहा कि निर्वाचन आयोग ने शनिवार को एक 'प्रेस नोट' जारी किया था, जिसका उद्देश्य मतदाता सूची में सुधार की जिम्मेदारी राजनीतिक दलों और व्यक्तियों पर डालना था। इस प्रेस नोट की विपक्षी दलों और आम जनता की ओर से भी तीखी आलोचना हुई थी।

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उन्होंने कहा कि आज की प्रेस कॉन्फ्रेंस बिहार चुनाव के दौरान हटाए गए 65 लाख मतदाताओं के नाम प्रकाशित करने से रोकने के लिए निर्वाचन आयोग द्वारा दी गई सभी दलीलों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज किए जाने के तीन दिन बाद हुई। निर्वाचन आयोग की तीखी और दस्तावेजी आपत्तियों के बावजूद, सुप्रीम कोर्ट ने इन 65 लाख मतदाताओं की सभी जानकारियों को प्रकाशित करने का निर्देश दिया। इसने मतदाता पहचान के प्रमाण के रूप में आधार कार्ड के इस्तेमाल की भी अनुमति दी थी। निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के इन सभी निर्देशों का विरोध किया था।

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जयराम रमेश ने आगे कहा कि आज, राहुल गांधी ने सासाराम से इंडिया गठबंधन की 'वोटर अधिकार यात्रा' की शुरुआत की। मुख्य चुनाव आयुक्त और उनके दोनों चुनाव आयुक्तों ने यह कहकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत की कि वे सत्ता पक्ष और विपक्ष में कोई अंतर नहीं करते। इसके विपरीत, मुख्य चुनाव आयुक्त ने राहुल गांधी द्वारा उठाए गए किसी भी तीखे सवाल का सार्थक जवाब नहीं दिया।

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उन्होंने कहा कि अब बस यही मायने रखता है कि क्या चुनाव आयोग बिहार एसआईआर प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट के 14 अगस्त, 2025 के आदेशों को अक्षरशः लागू करेगा? ऐसा करना संवैधानिक रूप से उसका कर्तव्य है। देश इंतजार कर रहा है और देख रहा है। जहां तक मुख्य चुनाव आयुक्त द्वारा राहुल गांधी को दी गई 'धमकियों' का सवाल है, बस इतना ही कहा जाना चाहिए कि लोकसभा में विपक्ष के नेता ने चुनाव आयोग के अपने आंकड़ों से सामने आए तथ्यों को ही बयान किया था। चुनाव आयोग न सिर्फ अपनी अक्षमता के लिए, बल्कि अपने घोर पक्षपात के लिए भी पूरी तरह से बेनकाब हो गया है।

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