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बेरोजगारी-महंगाई जैसे मुद्दों पर चर्चा से भागती है बीजेपी, नया संसद बनाना सिर्फ ध्यान भटकाने का काम: राहुल गांधी

राहुल गांधी ने कहा है कि नए संसद भवन में लोकसभा की सीटें बढ़ाने का क्या मापदंड है इसे देखना जरूरी है क्योंकि यह पूरे देश के प्रतिनिधित्व का प्रश्न है।

अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में प्रवासी भारतीयों से संवाद करते राहुल गांधी (फोटो: @INCInda)
अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में प्रवासी भारतीयों से संवाद करते राहुल गांधी (फोटो: @INCInda) 

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने नए संसद भवन में सांसदों के बैठने के लिए सीटों की संख्या बढ़ाने के बारे में बात करते हुए कहा कि 'यह सिर्फ ध्यान भटकाने के लिए है क्योंकि बीजेपी बेरोजगारी जैसे असली मुद्दों पर चर्चा नहीं कर सकती।' राहुल गांधी सैनफ्रांसिस्को में प्रवासी भारतीयों से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा, 'मुझे यह देखना होगा कि वे इसे कैसे करेंगे, क्योंकि देश के प्रतिनिधित्व ढांचे को बदलते समय बेहद सावधानी की जरूरत है। मैं यह समझना चाहूंगा कि वे आखिर 800 की संख्या पर कैसे पहुंचे और वे किस मापदंड का उपयोग कर रहे हैं।'

उन्होंने कहा, 'जब मैं देखूंगा कि वे वास्तव में 800 की संख्या पर कैसे पहुंच रहे हैं तो मैं जवाब दे सकूंगा कि मैं 800 की संख्या से सहमत हूं या नहीं। लेकिन मैंने यह नहीं देखा है कि उन्होंने इसकी गणना कैसे की है।'

सैंटा क्लैरा विश्वविद्यालय में भारतीय समुदाय के साथ बातचीत के दौरान राहुल गांधी भारत के नए संसद भवन में लोकसभा की 888 सीटों के प्रावधान के बारे में एक सवाल का जवाब दे रहे थे। उनसे यह सवाल भी पूछा गया था कि क्या जनसंख्या के अनुपात में क्या यह प्रतिनिधित्व उचित है।

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राहुल गांधी ने कहा, 'यह निर्भर करता है कि अनुपात कैसे बदलते हैं। यह वर्तमान में जनसंख्या पर आधारित है। मुझे लगता है कि संसद भवन ध्यान भटकाने का जरिया है। भारत में वास्तविक मुद्दे बेरोजगारी, महंगाई, क्रोध और घृणा का प्रसार, चरमराती शिक्षा प्रणाली, स्वास्थ्य सुविधाओं की ऊंची कीमत हैं। बीजेपी वास्तव में इन मुद्दों पर चर्चा नहीं कर सकती, इसलिए उन्हें 'राजदंड' जैसे काम करने पड़ते हैं, षाष्टांग आदि करना पड़ता है।'

राहुल गांधी ने यह भी कहा कि समझाने का सबसे अच्छा तरीका है - यह नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान है। इस सवाल का जवाब देते हुए कि वह मुसलमानों को क्या उम्मीद देंगे, राहुल गांधी ने कहा, इसे मुस्लिम समुदाय सबसे अधिक गहराई से महसूस करता है क्योंकि यह सीधे उनके साथ किया जाता है, लेकिन वास्तव में यह सभी अल्पसंख्यकों के लिए किया जाता है और उसी तरह आपकी भावनाओं पर हमला किया जाता है। मैं गारंटी के साथ कह सकता हूं कि सिख, ईसाई, दलितों और गरीब भी ऐसा ही सोचते हैं।

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उन्होंने कहा, आज भारत में जो भी गरीब है, वह ऐसा ही महसूस करता है। अगर वह चंद लोगों के पास बहुत सा धन देखता है, तो वह उसी तरह महसूस करता है जैसा आप महसूस करते हैं। यही चल रहा है। यह कैसे है कि इन पांच लोगों के पास लाखों करोड़ हैं, और मेरे पास खाने के लिए कुछ भी नहीं है। आप इसे सबसे अधिक महसूस करते हैं क्योंकि यह अधिक प्रत्यक्ष रूप से आपसे जुड़ा हुआ है, लेकिन यही वास्तविकता है। और आप घृणा को घृणा से नहीं काट सकते, यह असंभव है। आप इसे केवल प्रेम से काट सकते हैं।

उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा के बारे में कहा कि, 'मैंने नहीं सोचा था कि यात्रा निकालने से इसका इतना असर होगा। लोग एक-दूसरे से नफरत करने में विश्वास नहीं करते, मारने में विश्वास नहीं करते। यह लोगों का एक छोटा समूह है, जिनके पास व्यवस्था, मीडिया का नियंत्रण है और जिन्हें बड़े पैसे वालों का पूरा समर्थन है।

राहुल गांधी का पूरा भाषण आप नीचे दिए लिंक में देख सकते हैं।

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