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"SIR ड्रामे से BJP को फायदा", जयराम रमेश का चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप

जयराम रमेश ने कहा कि एसआईआर प्रक्रिया के बाद अंतिम सूची में भी तमाम गड़बड़ियों के मामले बताते हैं कि चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेशों की भी कोई परवाह नहीं है। बीजेपी की बी टीम के रूप में काम कर रहा चुनाव आयोग पूरी तरह से निर्लज्जता पर उतर चुका है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश फोटोः सोशल मीडिया

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने बिहार वोटर पुनारीक्षण के मुद्दे पर चुनाव आयोग पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने SIR का पूरा खेल ही बीजेपी के इशारे पर रचा है। अंतिम एसआईआर में निर्वाचन आयोग के सुधार के दावे भी गलत साबित हो रहे हैं। बिहार के सभी इलाको से ऐसी खबरें आ रही हैं जो इस बात की पुष्टि करती हैं कि पूरी प्रक्रिया का मकसद बीजेपी और उसके मित्र दलों को राजनीतिक लाभ पहुंचाना है।

जयराम रमेश ने कहा कि एसआईआर प्रक्रिया के बाद अंतिम सूची में भी तमाम गड़बड़ियों के मामले बताते हैं कि चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेशों की भी कोई परवाह नहीं है। बीजेपी की बी टीम के रूप में काम कर रहा चुनाव आयोग पूरी तरह से निर्लज्जता पर उतर चुका है।

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जयराम रमेश का आरोप

  • जयराम रमेश का कहना है कि बिहार के हर क्षेत्र से ऐसी रिपोर्टें आ रही हैं जो बताती है कि SIR प्रक्रिया का एकमात्र उद्देश्य बीजेपी और उसके सहयोगी दलों को राजनीतिक लाभ दिलाना है।

  • उन्होंने पूछा कि कैसे एक ही आवास में 247 मतदाता पाए गए? और एक व्यक्ति का नाम एक ही बूथ पर 3-3 बार कैसे दर्ज हो गया?

  • जयराम रमेश ने कहा कि यह अनियमितताएं इतने बड़े पैमाने पर उजागर हो रही हैं, इस बात का संकेत हैं कि आयोग अब बी-टीम ऑफ बीजेपी बन गया है और अपनी जवाबदेही से मुंह मोड़ चुका है।

  • एक और गंभीर बिंदु- कुछ विधानसभा क्षेत्रों में नाम हटाने वालों की संख्या पिछली जीत के अंतर से अधिक है, जो चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकती है।

  • उन्होंने यह भी कहा कि भारत का चुनाव आयोग पूरे देश का है, न कि किसी दल का कठपुतली और इसे निष्पक्षता से काम करना चाहिए।

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मीडिया रिपोर्ट का हवाला

जयराम रमेश ने अपने पोस्ट में दैनिक भास्कर अखबर का एक पेज भी साझा किया, जिसमें दो प्रमुख उदाहरण दिए गए हैं:

  • जमुई में एक ही घर से 247 मतदाता पाए जाने का दावा।

  • मुजफ्फरपुर में एक व्यक्ति का नाम तीन-तीन जगह दर्ज होने का आरोप।

  • यह उदाहरण, अगर सत्य पाए जाएं, तो यह प्रत्यक्ष प्रमाण हो सकते हैं कि मतदाता सूची संशोधन की प्रक्रिया में बड़े स्तर की अनियमितताएं हुई हैं।

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