नागरिकता संशोधन कानून पास होने के बाद इसके खिलाफ न सिर्फ सड़कों पर बल्कि सोशल मीडिया पर भी जबरदस्त विरोध हो रहा है। सोशल मीडिया पर रोज ब रोज इस कानून के खिलाफ विरोध बढ़ता जा रहा है। विरोध इतना तीखा और निशाने पर है कि सोशल मीडिया के सहारे किसी भी मुद्दे को अपने पक्ष में करने वाली बीजेपी आई टी सेल को भी पसीना आ गया है। बीजेपी आईटी सेल में काम करने वाले कुछ सूत्रों का कहना है कि सेल न तो इस विरोध का जवाब दे पा रह है और न ही कुछ ऐसा शगूफा तैयार कर पा रही है जिससे असहमति की आवाजों को जवाब दिया जा सके।
ध्यान रहे कि 2012 के बाद से बीजेपी लगभग हर मुद्दे पर अपने सोशल मीडिया प्लेफॉर्म के सहारे माहौल को अपने पक्ष में करने में माहिर रही है। इसके लिए पार्टी का आईटी सेल ट्विटर, फेसबुक जैसे माध्यमों का इस्तेमाल करता है। लेकिन इस बार आई टी सेल सिवाए अपना सिर खुजाने के कुछ नहीं कर पा रही है। ऑनलाइन प्रचार में बीजेपी को महारत हासलि है और विपक्ष इसका तोड़ नहीं खोज पाया है, लेकिन नागरिकता संशोधन कानून को लेकर स्थिति यह है कि 2012 से बीजेपी का साथ देने वाले लोग भी अब इसके खिलाफ खड़े हो गए हैं।
Published: undefined
बीजेपी के साथ काम कर चुके डाटा एनालिस्ट शिवम शंकर सिंह बताते हैं कि, “2012 से 2017-18 तक लोगों ने अपने ही तौर पर बीजेपी को सोशल मीडिया पर सपोर्ट किया। लेकिन इसके बाद पार्टी के पास स्वत: आने वाले समर्थक कम होना शुरु हो गए हैं। कुछ इसलिए साथ छोड़ गए क्योंकि पार्टी की सोच विभाजनकारी है, कुछ इसलिए पीछे हट गए क्योंकि उन्हें एहसास हो गया कि जिन आर्थिक सुधारों के वादे किए गए थे वे कभी पूरे नहीं होने वाले। रही सही कसर तेल, अनाज और प्याज के दामों ने पूरी कर दी। इसके अलावा बीजेपी ने जिस तरह से जीएसटी और नोटबंदी को लागू किया जिस तरह टैक्स कलेक्शन ड्राइव चलाकर लोगों पर शिकंजा कसा, उसके बाद ऑर्गेनिक समर्थकों की संख्या में भारी कमी आई।” शिवम सिंह ‘हाउ टू विन एन इलेक्शन: व्हाट पॉलिटिकल पार्टीज़ डोंट वांट यू टू नो’ नाम की किताब भी लिख चुके हैं।
Published: undefined
शिवम का कहना है कि माहौल को ऑनलाइन बदलने के लिए किसी भी पार्टी को अपने प्लेटफॉर्म्स पर ऑर्गेनिक समर्थक चाहिए होते हैं। उनका कहना है कि, “फिलहाल बीजेपी के पास ट्रोल, बॉट्स और ऐसे लोग हैं जो बीजेपी पर अंधविश्वास रखते हैं। असली ऑनलाइन समर्थकों हैं ही नहीं। लेकिन किसी भी नैरेटिव को बदलने के लिए सिर्फ इससे काम नहीं चलने वाला क्योंकि उसके पास ऐसे लोग नहीं हैं जो किसी भी मुद्दे पर तर्कपूर्ण तरीके से बात कर सकें। यही वजह है कि राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी पिछड़ रही है।”
शिवम बताते हैं कि, “नागरिकता संशोधन कानून, एनपीआर और छात्रों के खिलाफ सरकार प्रायोजित हिंसा के खिलाफ कई प्रमुख लोग खुलकर बोल रहे हैं, लेकिन सरकार की तरफ से इसकी काट करने वाला कोई सामने नहीं आ रहा है।”
Published: undefined
बीजेपी आईटी सेल से जुड़े एक और सूत्र ने नाम बताने की शर्त पर कहा कि, “हाल ही में आपने देखा कि बीजेपी समर्थथक सोशल मीडिया हैंडल पर हुए ट्विटर पोल बुरी तरह नाकाम साबित हुए।” इस सूत्र का कहना है कि “मैं बहुत से ऐसे लोगों को टीम में जानता हूं जो असहमति का जवाब देना ही नहीं जानते। इसीलिए बीजेपी और उससे जुड़े लोग पोल जैसे काम कर रहे हैं, जैसा कि वे पहले करते रहे हैं। लेकिन इस बार सभी हारे हैं।” इस सूत्र के मुताबिक “जब ट्विटर पोल हारे गए तो बीजेपी आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने अपना अकाउंट कुछ समय के लिए लॉक कर दिया था। अगर आप देखें तो कांग्रेस की पूर्व आईटी सेल हेड दिव्या स्पंदना जो हासिल कर पाती थीं, वह मालवीय नहीं कर पा रहे। दिव्या को तो कई बार बुरी तरह ट्रोल किया गया और उन्हें धमकियां तक मिलीं, लेकिन उन्होंने कभी भी अपना अकाउंट बंद नहीं किया।“
Published: undefined
बीजेपी सोशल मीडिया प्रचार तंत्र के लिए काम करने वाले एक और सूत्र ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि, “बीजेपी आईटी सेल माहौल बनाने में काम करती रही है और इसका फायदा भी पूर्व में खूब मिला है, लेकिन जब कोई प्लान काम नहीं कर रहा होता है तो उससे निपटने की कोई योजना सेल के पास नहीं है।”
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined