केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची की संवैधानिक सुरक्षा की मांग को लेकर आंदोलन करने वाले जाने-माने शिक्षा सुधारक और पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की संस्था की केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने जांच शुरू कर दी है। अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (FCRA) के कथित उल्लंघन को लेकर वांगचुक द्वारा स्थापित संस्था की जांच शुरू की है।
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जानकारी के अनुसार, गृह मंत्रालय (MHA) की शिकायत के आधार पर यह जांच की जा रही है। फिलहाल एफआईआर दर्ज नहीं की गई है, लेकिन मामले से जुड़े दस्तावेजों और लेनदेन की जांच जारी है।
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सोनम वांगचुक ने न्यूज़ एजेंसी पीटीआई से बातचीत में पुष्टि की कि करीब 10 दिन पहले सीबीआई की एक टीम उनकी संस्था हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स लद्दाख (HIAL) पहुंची थी। टीम अपने साथ एक आदेश लेकर आई थी और बताया कि जांच गृह मंत्रालय की शिकायत पर हो रही है।
वांगचुक ने कहा, "हमें टीम ने बताया कि एफसीआरए से जुड़े नियमों के कथित उल्लंघन की शिकायत पर यह जांच शुरू की गई है। हम पहले ही साफ कर चुके हैं कि हमारी संस्था पूरी तरह पारदर्शी तरीके से काम करती है और सभी कानूनी दायित्व पूरे करती है।"
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अधिकारियों के अनुसार, एफसीआरए उल्लंघन की यह जांच पिछले कुछ समय से विचाराधीन थी। संस्था से जुड़े दस्तावेजों की स्क्रूटनी की जा रही है। हालांकि अब तक सीबीआई ने कोई औपचारिक केस दर्ज नहीं किया है।
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सोनम वांगचुक हाल ही में लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची के तहत संवैधानिक सुरक्षा दिलाने के लिए चल रहे आंदोलन का चेहरा बने हैं। लेह में बुधवार को हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों के दौरान चार लोगों की मौत हो चुकी है और दर्जनों घायल हुए थे। केंद्र सरकार ने वांगचुक पर यह आरोप भी लगाया था कि उन्होंने अपने बयानों में नेपाल जनरेशन-जी विरोध प्रदर्शनों का हवाला देकर भीड़ को भड़काने की कोशिश की।
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एफसीआरए यानी विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम एक ऐसा कानून है जो भारत में विदेशी धनराशि के इस्तेमाल और उसके नियमन को नियंत्रित करता है। इसका उल्लंघन करने पर संस्था की मान्यता रद्द की जा सकती है और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी संभव है।
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