
देश में लगातार दो दर्दनाक घटनाओं ने स्कूलों की जिम्मेदारी और बच्चों की सुरक्षा को लेकर बड़ी बहस खड़ी कर दी है। जयपुर में 9 साल की मासूम अमायरा और दिल्ली में 10वीं कक्षा के छात्र शौर्य पाटिल ने खुदकुशी कर ली। दोनों मामलों में परिवारों का आरोप है कि बच्चों की शिकायतों और तनाव को स्कूल ने गंभीरता से नहीं लिया। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, सीबीएसई की जांच में भी कई बड़े खुलासे हुए हैं, जो स्कूल प्रशासन की गंभीर लापरवाही की ओर इशारा करते हैं।
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1 नवंबर को अमायरा ने स्कूल की चौथी मंजिल से कूदकर जान दे दी थी। सीबीएसई की जांच समिति ने दो दिन बाद स्कूल का निरीक्षण किया और 11 नवंबर को बच्ची के घर जाकर परिवार से मुलाकात की।
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रिपोर्ट के मुताबिक, अमायरा ने क्लास के एक छात्र द्वारा इस्तेमाल किए गए ‘गलत शब्दों’ की शिकायत करीब 45 मिनट में पांच बार टीचर से की, लेकिन टीचर ने न सिर्फ उसकी बात को नजरअंदाज किया, बल्कि उस पर चिल्लाया और उसे क्लास से बाहर निकाल दिया। टीचर खुद SHO के सामने मान चुकी हैं कि बच्ची ने कई बार शिकायत की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
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जांच में पाया गया कि अमायरा के माता-पिता ने बार-बार बुलिंग और चिढ़ाने की शिकायत की, लेकिन स्कूल ने ध्यान नहीं दिया। स्कूल की एंटी-बुलिंग कमेटी ने पिछले डेढ़ साल में शिकायतों पर कभी भी पैरेंट्स से संपर्क नहीं किया। यह सीबीएसई गाइडलाइन का उल्लंघन है।
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जांच समिति ने यह गंभीर बात भी दर्ज की कि जिस जगह बच्ची गिरी थी, फोरेंसिक टीम के पहुंचने से पहले ही उसे धो दिया गया था, जिससे महत्वपूर्ण सबूत नष्ट हो गए। यह सबूतों से छेड़छाड़ का स्पष्ट मामला हो सकता है।
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रिपोर्ट में कई सुरक्षा उल्लंघनों का जिक्र है, अमायरा चौथी कक्षा की छात्रा थी, जिसकी कक्षा ग्राउंड फ्लोर पर थी। इसके बावजूद वह बिना निगरानी के चौथी मंजिल तक पहुंच गई।
ऊपरी मंजिलों पर स्टील सुरक्षा जाल नहीं लगे थे, जबकि यह अनिवार्य है।
घटना के समय फ्लोर अटेंडेंट अपनी ड्यूटी पर मौजूद नहीं था।
CCTV सर्विलांस पर नजर रखने वाला कोई नियमित स्टाफ स्कूल में नहीं था।
कई छात्र और स्टाफ ID कार्ड लगाए हुए नहीं मिले।
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जांच में यह भी सामने आया कि अमायरा को कभी भी काउंसलर के पास नहीं भेजा गया, जबकि वह तनाव के संकेत पहले से ही दिखा रही थी। स्कूल में सेफ्टी और सिक्योरिटी कमेटी भी नहीं मिली, जो अनिवार्य है।
सीबीएसई ने रिपोर्ट में निष्कर्ष दिया कि स्कूल की लापरवाही और नियमों के उल्लंघन की वजह से एक मासूम बच्ची को “अत्यधिक ट्रॉमा और मानसिक उत्पीड़न” झेलना पड़ा और उसकी जान चली गई।
अमायरा के माता-पिता स्कूल की एफिलिएशन रद्द करने और कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
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जयपुर की घटना के कुछ दिन बाद ही दिल्ली में 10वीं के छात्र शौर्य पाटिल ने मेट्रो स्टेशन से कूदकर आत्महत्या कर ली।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक-
शौर्य कई दिनों से गहरे तनाव में था।
क्लासमेट्स का आरोप है कि कई टीचर्स बच्चों को डांटते और अपमानित करते थे।
शौर्य ने मरने से कुछ घंटे पहले अपने साथियों से कहा था कि वह बहुत तनाव में है।
स्कूल काउंसलर को बताया गया, लेकिन शिकायत अनसुनी
क्लासमेट्स ने स्कूल काउंसलर को शौर्य की स्थिति के बारे में बताया, लेकिन इसे नजरअंदाज कर दिया गया।
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शौर्य के पिता प्रदीप पाटिल ने एनडीटीवी को बताया कि उसी दिन स्कूल में उनके बेटे को सबके सामने डांटा और अपमानित किया गया था।
मंच पर रोते हुए बच्चे से एक टीचर ने मजाक में कहा, “जितना रोना है रो लो, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।”
शौर्य की मौत के बाद प्रिंसिपल ने परिवार को सहायता की बात कही, जिस पर पिता ने दुख भरे स्वर में कहा, “मुझे मेरा बेटा वापस चाहिए।”
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