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केंद्र ने मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर पर लगाया बैन, यूएपीए के तहत गैरकानूनी घोषित किया गया

फिलहाल 2019 से तिहाड़ जेल में बंद मसर्रत आलम को मार्च 2015 में रिहा कर दिया गया था, जिससे पीडीपी और बीजेपी की महबूबा मुफ्ती सरकार के खिलाफ तीखी प्रतिक्रिया शुरू हो गई थी। उस समय बीजेपी महबूबा सरकार में शामिल थी।

केंद्र ने यूएपीए के तहत मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर पर लगाया बैन
केंद्र ने यूएपीए के तहत मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर पर लगाया बैन फोटोः सोशल मीडिया

बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर (मसर्रत आलम गुट) को कड़े यूएपीए कानून के तहत एक गैरकानूनी संगठन घोषित कर दिया है। खुद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को एक्स पर इसकी घोषणा की है। उन्होंने एक पोस्ट में कहा, 'मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर (मसर्रत आलम गुट)' या एमएलजेके-एमए को यूएपीए के तहत एक 'गैरकानूनी संघ' घोषित किया जाता है।

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अमित शाह ने बताया बैन का कारण

एक्स पर पोस्ट में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “यह संगठन और इसके सदस्य जम्मू-कश्मीर में राष्ट्र-विरोधी और अलगाववादी गतिविधियों में शामिल हैं, आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करते हैं और लोगों को जम्मू-कश्मीर में इस्लामी शासन स्थापित करने के लिए उकसाते हैं।" शाह ने आगे कहा कि "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार का संदेश स्पष्ट है कि राष्ट्र की एकता, संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ काम करने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा और उसे कानून का सामना करना पड़ेगा।

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कौन है मसर्रत आलम?

मसर्रत आलम भट 2019 से दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है। उसे कश्मीरी कट्टरपंथी अलगाववादी समूह ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (एपीएचसी) का 2021 में अध्यक्ष बनाया गया था। वह 50 आतंकी फंडिंग मामले में एनआईए द्वारा मामला दर्ज किए जाने के बाद से तिहाड़ जेल में बंद है। इससे पहले भी मसर्रत आलम को 2010 में गिरफ्तार किया गया था।

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पीडीपी-बीजेपी सरकार ने किया था रिहा

रिपोर्ट्स के मुताबिक मसर्रत आलम के खिलाफ 27 एफआईआर दर्ज हैं और 36 बार पीएसए के तहत उसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। मार्च 2015 में मसर्रत आलम को रिहा कर दिया गया था, जिससे पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और बीजेपी की महबूबा मुफ्ती सरकार के खिलाफ तीखी प्रतिक्रिया शुरू हो गई थी। उस समय बीजेपी महबूबा सरकार में शामिल थी।

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