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छत्तीसगढ़: धर्मांतरण और मानव तस्करी के आरोप में गिरफ्तार दोनों ननों को कोर्ट से मिली सशर्त जमानत

बचाव पक्ष के वकील अमृतो दास ने बताया कि आरोपियों की जमानत अर्जी स्वीकार कर ली और तीनों को सशर्त जमानत दे दी है। दास ने बताया कि आवेदकों को 50 हजार रुपये का मुचलका जमा करना होगा, वे देश नहीं छोड़ सकते, उन्हें अपना पासपोर्ट जमा करना होगा।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले की एक विशेष अदालत ने मानव तस्करी और जबरन धर्मांतरण के आरोप में गिरफ्तार केरल की दो नन समेत तीन लोगों को जमानत दे दी।

बचाव पक्ष के वकील अमृतो दास ने बताया कि प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एनआईए अदालत) सिराजुद्दीन कुरैशी ने शुक्रवार को सुनवाई के बाद उनकी जमानत याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।

उन्होंने बताया कि अदालत ने आरोपियों की जमानत अर्जी स्वीकार कर ली और तीनों को सशर्त जमानत दे दी है। दास ने बताया कि आवेदकों को 50 हजार रुपये का मुचलका जमा करना होगा, वे देश नहीं छोड़ सकते, उन्हें अपना पासपोर्ट जमा करना होगा और उन्हें जांच में सहयोग करना होगा।

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उन्होंने बताया कि कुछ अन्य शर्तें भी हैं, लेकिन आदेश की प्रति अभी प्राप्त नहीं हुई है। आदेश की प्रति मिलने के बाद ही इस संबंध में अधिक जानकारी मिल सकेगी।

शुक्रवार को जमानत पर सुनवाई के बाद, दास ने कहा था कि अभियोजन पक्ष ने पूछताछ के लिए तीनों की हिरासत की मांग नहीं की थी और कथित पीड़ित युवतियों को उनके घर वापस भेज दिया गया था।

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संवाददाताओं से बातचीत में सरकारी अभियोजक दाऊराम चंद्रवंशी ने भी पुष्टि की कि ननों और एक अन्य को कुछ शर्तों के साथ जमानत दी गई है।

रेलवे पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि बजरंग दल के स्थानीय पदाधिकारी की शिकायत पर 25 जुलाई को शासकीय रेल पुलिस ने नन प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस के साथ सुकमन मंडावी नामक एक व्यक्ति को दुर्ग रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया था।

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पदाधिकारी ने ननों और मंडावी पर नारायणपुर की तीन लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन कराने और उनकी तस्करी करने का आरोप लगाया था। ननों को दी गई जमानत के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने संवाददाताओं से कहा, "यह एक कानूनी प्रक्रिया है और इसके तहत जमानत दी गई है।"

इस बीच मामले की तीन कथित पीड़ित महिलाएं नारायणपुर जिला मुख्यालय स्थित पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंची हैं और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के खिलाफ कथित तौर पर उन पर हमला करने और दुर्ग जीआरपी के समक्ष ननों के खिलाफ झूठे बयान देने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की है।

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