देश के सीजेआई बीआर गवई पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक वकील द्वारा जूता फेंकने की घटना पर उनकी मां डॉ. कमल गवई ने कहा, "मैं मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने की निंदा करती हूं। भारतीय संविधान सभी को समान अधिकार देता है, लेकिन कुछ लोग कानून को अपने हाथ में लेकर ऐसा व्यवहार कर रहे हैं जो भारत के प्रति अनादरपूर्ण है और देश में अराजकता फैला सकता है। इस देश में किसी को भी ऐसा करने का अधिकार नहीं है। मैं सभी से अनुरोध करूंगी कि आपके जो भी प्रश्न हैं, जो भी आप कहना चाहते हैं, कृपया उन्हें शांतिपूर्वक उठाएं।"
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वहीं प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई की बहन कीर्ति गवई ने भी इस शर्मनाक घटना की निंदा की है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में देश के मुख्य न्यायाधीश पर जो हमला हुआ, वह व्यक्तिगत नहीं है, बल्कि हमारे संविधान पर हमला है। हमारा संविधान सबसे बड़ा है। हमारा कर्तव्य बनता है कि हम संविधान और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करें। ताकि आने वाली पीढ़ी को एक सुरक्षित भारत दे सकें।
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इससे पहले आज दिन में बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश राम ने घटना पर नाराजगी जताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने का प्रयास कर जिस तरह उन्हें अपमानित किया गया, वह बेहद शर्मनाक है। बाबासाहेब द्वारा दिया गया संविधान- न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका के लिए एक ढांचा निर्धारित करता है। इन तीन अंगों से जुड़े लोग समाज में अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं, लेकिन जिस तरह BJP-RSS के लोगों ने CJI को अपमानित करने का काम किया है- वो बेहद घृणित कृत्य है।
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बता दें कि सोमवार को उच्चतम न्यायालय में यह घटना सुबह मामलों के उल्लेख के दौरान हुई। अदालत में मौजूद सूत्रों के अनुसार, आरोपी वकील किशोर मंच के पास गया और अपना जूता निकालकर न्यायाधीश पर फेंकने का प्रयास किया। हालांकि, अदालत में मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने समय रहते हस्तक्षेप किया और वकील को बाहर निकाल दिया। बाहर जाते समय, वकील को यह कहते हुए सुना गया, "सनातन का अपमान नहीं सहेंगे।"
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हालांकि, घटना के बाद सीजीआई ने अपना संयम बनाए रखा और अदालत कक्ष में उपस्थित वकीलों से अपनी दलीलें जारी रखने का आग्रह किया। बाद में वकील की पहचान मयूर विहार निवासी राकेश किशोर (71) के रूप में की गई। जूता फेंकने के आरोपी वकील पर कोई आरोप नहीं लगाए जाने और न ही उसके खिलाफ केस दर्ज कराए जाने पर पुलिस ने उसे रिहा कर दिया है। साथ ही वकील को उसका जूता भी लौटा दिया गया।
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लेकिन इस घटना ने सबको चौंका दिया है। देश के प्रधान न्यायाधीश के साथ दुर्व्यवहार की कोशिश से देश भर में वकीलों में रोष है। मंगलवार को दिल्ली से लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों में वकीलों ने विरोध प्रदर्शन किया। वकीलों ने कहा कि यह हमला सिर्फ एक व्यक्ति पर नहीं, बल्कि भारत की न्याय व्यवस्था की नींव को हिलाने की साजिश है। यह संविधान के खिलाफ सीधा हमला है। प्रदर्शन कर रहे वकीलों में से एक ने कहा, "यह देश भारत के संविधान से चलेगा, न कि धर्म के नाम पर नफरत फैलाने वालों से। हर रोज दलितों की हत्याएं हो रही हैं, अल्पसंख्यकों पर हमले हो रहे हैं और 'हिंदू खतरे में है' जैसे नारों से देश में नफरत फैलाई जा रही है।"
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