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धर्म के आधार पर शरणार्थियों को नागरिकता देने वाला नागरिकता संशोधन बिल लोकसभा में 80 के मुकाबले 311 मतों से पास

धर्म के आधार पर तीन देशों से आने वाले शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने वाला नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा में 80 के मुकाबले 311 मतों से पास हो गया। अब इस बिल को राज्यसभा की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया 

धर्मनिरपेक्षता और समानता की बुनियाद पर 70 साल पहले संविधान में लोकसभा ने महज 7 घंटे की रस्मी बहस के बाद उस नागरिकता संशोधन विधेयक को पास कर दिया जो भारत के मूल्यों और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है। इस विधेयक के पक्ष में 311 मत और विपक्ष में 80 मत पड़े। गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को विपक्ष के भारी हंगामे के बीच इस बिल को सदन में रखा। कांग्रेस समते तमाम दलों ने इसका जमकर विरोध किया। करीब 7 घंटे तक चली बहस और उत्तर-प्रत्योत्तर के बाद वोटिंग के आधार पर यह बिल पास हो गया।

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कांग्रेस इस बिल के पास होने पर कहा कि यह संविधान के लिए काला दिन है। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि, “आज हमारे संविधान के लिए आज काला दिन है क्योंकि जो कुछ भी हुआ है वह गैरसंवैधानिक है। इस बिल के जरिए सीधे तौर पर मुसलमनों को निशाना बनाया गया है जो शर्मनाक है।”

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लोकसभा में बिल पारित होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पर खुशी जाहिर की। उन्होंने ट्वीट किया, एक अच्छी और व्यापक बहस के बाद नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 विधेयक पारित हो गया। मैं विभिन्न सांसदों और दलों को धन्यवाद कहता हूं जिन्होंने विधेयक का समर्थन किया।

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इससे पहले गृहमंत्री अमित शाह ने सरकार का पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के मन में किसी भी धर्म के लिए कोई नफरत की भावना नहीं है। मोदी सरकार का एकमात्र धर्म संविधान है। अमित शाह ने कहा कि पूरा अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम इनर लाइन परमिट (आईएलपी) से सुरक्षित हैं, उनके लिए चिंता की कोई बात नहीं है। दीमापुर के एक हिस्से को छोड़कर पूरा नागालैंड भी इनर लाइन परमिट से सुरक्षित हैं, उन्हें भी चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है।

लेकिन असम के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तरुण गोगोई ने इस बिल को खतरनाक बताते हुए कहा कि इससे समूचे पूर्वोत्तर की संस्कृति और सामाजिक तानेबाने पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।

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बिल पर चर्चा के दौरान एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अपना विरोध जताते हुए इस बिल को फाड़ दिया था। उन्होंने कहा, 'संविधान की प्रस्तावना भगवान या खुदा के नाम से नहीं है। आप मुस्लिम लोगों को नागरिकता मत दीजिए। मैं गृह मंत्री से बस यह जानना चाहता हूं कि मुसलमानों से इतनी नफरत क्यों है?' ओवैसी ने कहा कि यह मुसलमानों को राज्य विहीन करने की साजिश है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक हिटलर के कानून से भी ज्यादा बदतर है।

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वहीं एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने इसे समानता के विरुद्ध बताया। उन्होंने कहा कि हमारे लोकतंत्र का पूरा चरित्र ही समानता पर आधारित है। मैं गृह मंत्री से सहमत नहीं हूं। ये सुप्रीम कोर्ट में खारिज हो जाएगा। मैं उनसे गुजारिश करती हूं कि वह इस बिल को वापस ले लें।

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इस बिल के पास होने पर आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि इस बिल के पास होने से संविधान निर्माता बाबा साहेब आंबेडकर के सपनों को बीजेपी ने दफ्न कर दिया। जबकि सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि यह बिल जिन्ना और सावरकर के विचारों को बढ़ावा देता है और सीपीएम हर तरह से इस बिल का विरोध जारी रखेगी।

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