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उन्नाव केस में बीजेपी का योग : सत्ता, सेंगर और संयोग 

उन्नाव केस में आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया और पीड़िता को इंसाफ की उम्मीद बंधी है। लेकिन इस पूरे मामले में इतने संयोग हैं कि जॉली एलएलबी फिल्म में दिखाए गए संयोग भी शर्मा जाएं। आरोपी बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर और संयोग का साथ ऐसा है मानो चोली-दामन का रिश्ता

यह भी संयोग ही है कि जब उन्नाव रेप केस पीड़िता जिंदगी-मौत के बीच झूल रही है तो सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ आरोपी बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर की फोटो वायरल हो रही है
यह भी संयोग ही है कि जब उन्नाव रेप केस पीड़िता जिंदगी-मौत के बीच झूल रही है तो सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ आरोपी बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर की फोटो वायरल हो रही है 

कई लोग, शायद पुलिस-प्रशासन सबसे अधिक, इन्हें संयोग मानते हैं, लेकिन यह मानना ज्यादा उचित होगा कि नरेंद्र मोदी-अमित शाह के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश के योगी राज में उन्नाव की एक बालिका की सोच-समझकर ‘हत्या’ की कोशिश की गई। उसका कुसूर बस इतना है कि उसने यह कहने का साहस किया कि माननीय कहे जाने वाले बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर ने उसके साथ बलात्कार किया है। उसके परिवार के लोग भी न्याय पाने को अड़े रहे। पूरा प्रकरण वीभत्स के अतिरिक्त कुछ नहीं है। जिन्हें संयोग कहने का प्रयास किया जा रहा है, उन्हें देखिए, तो समझ में आएगा कि किसी व्यवस्था में न्याय पाना कितना मुश्किल है।

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  • उन्नाव की इस पीड़िता, उसके परिजनों और उसके वकील को लेकर जा रही जिस कार को ट्रक ने टक्कर मारी, उसके साथ कई संयोग जुड़े हुए हैं। ट्रक चालक आशीष पाल ने पुलिस को बताया है कि जिस समय यह दुर्घटना हुई, उस वक्त बारिश हो रही थी। उसने ब्रेक लगाने की कोशिश की लेकिन ट्रक फिसल गया और उसने नियंत्रण खो दिया। विपरीत दिशा से आ रही कार ट्रक से टकरा गई।
  • कार नहीं, ट्रक गलत दिशा, मतलब रॉंग साइड में जा रहा था। उस पर लिखे नंबर को काले रंग से पोत दिया गया था। वजहः इस ट्रक के लिए कर्ज लिया गया था, जिसे चुकाया नहीं जा पा रहा था। इससे बचने के लिए ही नंबर प्लेट को पोता गया था।
  • जहां दुर्घटना हुई है, वहां से फतेहपुर जिला मुख्यालय की दूरी महज 38 किलोमीटर है। फतेहपुर की चर्चा इसलिए कि इस ट्रक का वहां से बड़ा गहरा कनेक्शन है। ट्रक चालक और इसके मालिक- दोनों फतेहपुर के हैं। ट्रक का रजिस्ट्रेशन फतेहपुर में हुआ है और इस ट्रक के स्वामित्व में योगी सरकार के एक मंत्री के दामाद की हिस्सेदारी है। यह संयोग समझना थोड़ा मुश्किल है कि इतने नामी-गिरामी और बड़े लोग भी इतने ‘कमजोर’ हो गए हैं कि किसी ऐसे कर्ज को नहीं चुका पाएं और साथ में यह भी कि उन्हें मुंह छुपाने के लिए ट्रक का नंबर प्लेट पोतना पड़े।
  • पीड़िता को खतरा था और इसीलिए उसके लिए सुरक्षा कर्मी को तैनात किया गया था। क्या संयोग है कि पीड़िता 28 जुलाई को जब कार में सवार होकर रायबरेली जा रही थी, तो उसमें सुरक्षा कर्मी सवार नहीं था। वजहः वकील की जिस स्विफ्ट डिजायर कार में सवार होकर सभी लोग जा रहे थे, उसमें जगह नहीं थी। इन सुरक्षा कर्मियों को इस पर कोई आपत्ति नहीं हुई। कार में सवार दो लोगों की मृत्यु हो चुकी है जबकि दो अन्य इतनी गंभीर हालत में हैं कि बात नहीं कर सकते। इसलिए संयोग ही है कि असली कारणों का पता नहीं चल सकता। लेकिन इस संयोग का क्या कहा जाए कि इस तरह मना करने पर सुरक्षा कर्मी मान गए और अपने किसी उच्चाधिकारी को इसकी जानकारी तक नहीं दी। बहरहाल काफी हीलाहवाली के बाद इन तीनों सुरक्षा कर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है।
  • इस केस के साथ संयोग इतने ही नहीं जुड़े हैं। पीड़िता के पिता की जब पिटाई हुई थी, तो उसके प्रत्यक्षदर्शी रहे युनुस खान की पिछले साल अगस्त में रहस्यमय स्थितियों में ही मौत हुई थी। गांव वालों को पता नहीं है कि उसे कोई बीमारी थी। पीड़िता के परिवार वालों ने तब बताया था कि युनुस के भाई जान मोहम्मद आरोपी विधायक के घर गए थे। युनुस के परिवार वालों ने बताया है कि युनुस का लीवर खराब था और अचानक आए दिल के दौरे ने उसकी जान ले ली। क्या संयोग है कि युनुस का पोस्टमार्टम तक नहीं करवाया जा सका!
  • पीड़िता के परिवार वालों ने दावा किया था कि उन लोगों ने सीबीआई को ऐसे ऑडियो क्लिप्स उपलब्ध कराए हैं जिनमें आरोपी विधायक, उनके भाई और उनके गुर्गे परिवार वालों को धमकी देते सुनाई दे रहे हैं। दावा किया था इसलिए कि फिलहाल इस आरोप को आगे बढ़ाने वाला कोई नहीं रह गया लगता है। सीबीआई ने इन क्लिप्स पर क्या कार्रवाई की, इस बारे में कोई जानकारी अब तक तो नहीं मिल पाई है।
  • पीड़िता के परिवार वालों ने अपनी जान को खतरा बताते हुए पुलिस को 35 आवेदन दिए। क्या संयोग है कि उन्नाव के एसपी ने माना कि उन्हें 33 आवेदन तो मिले लेकिन किसी में ऐसी बात नहीं पाई गई जिनका आधार माना जाए।
  • वैसे, यह भी कम संयोग नहीं है कि आरोपी विधायक कुलदीप सेंगर का तीन प्रमुख पार्टियों- बीएसपी, एसपी और बीजेपी से वास्ता रहा है। पहले वह एसपी-बीएसपी में रहे हैं और अब बीजेपी में हैं। वह 2002 से विधायक हैं।
  • सेंगर संयोग के धनी हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने उन्हें 14 अप्रैल को गिरफ्तार तो किया, लेकिन कोर्ट ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया और सीबीआई के अनुरोध के बावजूद उसे हिरासत में लेकर पूछताछ की अनुमति नहीं दी। माना जाता है कि जिन मामलों में बड़े लोग शामिल हों, उनमें सीबीआई हिरासत में लेकर पूछताछ करना इसलिए जरूरी मानती है ताकि सच्चाई तक पहुंचा जा सके।
  • योगी भले न कहें कि सेंगर उनके करीबी हैं, लेकिन बीजेपी के ही कई नेता अपने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताते हैं कि 2017 में विधानसभा चुनाव से ऐन पहले एसपी से बीजेपी में लाने में योगी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यह महज संयोग है कि योगी और सेंगर- दोनों ठाकुर हैं।

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कुछ पुरानी घटनाओं में भी संयोग

  • ‘हिट एंड रन’ और इस तरह के संयोग की कई घटनाएं पहले भी होती रही हैं। अभी पिछले ही साल जून में भारतीय वन सेवा (आईएफएस) के अफसर ए के जैन की लखनऊ-एक्सप्रेसवे पर सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। वह उस रिपोर्ट को तैयार करने वालों में थे जिसमें आरोप लगाया गया था कि सोनभद्र और मिर्जापुर जिलों में बाहरी लोगों ने कम-से-कम एक लाख हेक्टेयर जमीन हड़प ली है। इस रिपोर्ट में राजनीतिज्ञों और कुछ अधिकारियों की साठगांठ को भी उजागर किया गया था। सोनभद्र के उम्भागांव में इसी महीने दस आदिवासियों की सामूहिक हत्या की गई है।
  • मधुमिता शुक्ला हत्याकांड की याद है आपको? हत्या के इस मुकदमे में पूर्व विधायक अमर मणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि जेल की सजा काट रहे हैं। लेकिन क्या संयोग है कि इस हत्याकांड की जांच करने वाले पुलिस अफसर योगदत्त दीक्षित की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। यह भी संयोग ही है कि जिस दिन उन्हें सीबीआई के सामने अपना बयान दर्ज कराना था, उसके कुछ ही दिनों पहले कानपुर में यह दुर्घटना हुई।
  • मायावती जब मुख्यमंत्री थीं, तब निर्दलीय विधायक राजा भैया से उनकी खुन्नस जगजाहिर थी। मायावती के कार्यकाल में हत्या, वसूली और गवाहों को धमकाने के मामले दर्ज किए गए थे। ये केस कुंडा के सर्किल ऑफिसर राम शिरोमणि पांडे ने दर्ज किए थे। क्या संयोग है कि तीन साल पहले तब के इलाहाबाद के पास सड़क दुर्घटना में उनकी मौत हो गई। उस वक्त अखिलेश यादव की सरकार थी और उसमें राजा भैया मंत्री थे।
  • इतने मामलों में संयोग हो, तो आसाराम बापू को कैसे भुलाया जा सकता है? वह बलात्कार और हत्या के मामलों में जेल में बंद हैं और वकीलों की भरी- पूरी फौज के बावजूद उन्हें जमानत नहीं मिल रही है। लेकिन क्या संयोग है कि इन मामलों में गवाह दो लोग शाहजहांपुर में सड़क दुर्घटना में मारे गए।

इति श्री संयोग कथा...

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