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अडानी मुद्दे पर कांग्रेस का सरकार पर हमला, 'भ्रष्ट राजनीतिक-व्यावसायिक गठजोड़ के औजार के रूप में काम करने के बजाय...'

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि इसमें आश्चर्य की बात नहीं है कि मोदानी इकोसिस्टम ने आज सुबह-सुबह एक बड़ा कानूनी शिगूफा छोड़ा है।

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फोटो: Getty Images Hindustan Times

संसद के शीतकालीन सत्र का आज दूसरा दिन है। लोकसभा और राज्यसभा में कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने अडाणी मुद्दे पर हंगामा किया। जिसके बाद लोकसभा और राज्यसभा दोनों को 28 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया।

वहीं कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि इसमें आश्चर्य की बात नहीं है कि मोदानी इकोसिस्टम ने आज सुबह-सुबह एक बड़ा कानूनी शिगूफा छोड़ा है। ऐसे समय में जब उन्हें अन्य देशों में हो रही गंभीर कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है, और उन सिस्टम्स को वे न तो डरा सकते और ही ख़त्म कर सकते हैं, तब मोदानी इकोसिस्टम इंकार करके डैमेज़ कंट्रोल का प्रयास कर रहा है। लेकिन यह हास्यास्पद प्रयास अमेरिकी एजेंसियों द्वारा लगाए गए आरोपों की गंभीरता को कम नहीं कर सकता।

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उन्होंने कहा कि इस तथ्य से कोई इंकार नहीं कर सकता है कि न्याय विभाग के आरोप में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि “गौतम S अडानी, सागर R अडानी और अन्य लोगों ने भारत सरकार के अधिकारियों को रिश्वत की पेशकश करने, अधिकृत करने, देने और वादा करने की एक योजना तैयार की। अधिकारियों के प्रभाव के कारण ही राज्य की बिजली वितरण कंपनियां SECI के साथ PSAs में आईं।” (Para 47)

उन्होंने कहा कि इसमें यह भी कहा गया है कि उन्होंने राज्य की बिजली वितरण कंपनियों द्वारा PSAs को लागू करवाने के लिए "भारत सरकार के अधिकारियों को क़रीब 2,029 करोड़ रुपए (लगभग 265 मिलियन डॉलर) की रिश्वत की पेशकश की और वादा किया।" (पैरा 49)

इसके अलावा इसमें उच्चतम स्तर पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया है, जिसमें कहा गया है कि सागर R अडानी और विनीत S जैन ने "भारतीय ऊर्जा कंपनी की सहायक कंपनी को 2.3 गीगावॉट PPA के फिर से आवंटन के लिए SECI की प्रक्रिया को गुप्त रूप से प्रभावित किया।" (पैरा 70) भारतीय सौर ऊर्जा निगम (SECI) केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के तहत एक सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है।

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कायदे से, ED, CBI और SEBI को इन खुलासों के मद्देनजर सक्रिय रूप से जांच करनी चाहिए। भ्रष्ट राजनीतिक-व्यावसायिक गठजोड़ के औजार के रूप में कार्य करने के बजाय, उनका काम यह है कि वे राष्ट्र के प्रति अपना दायित्व निभाएं।

यह हमारे संस्थानों और उनमें महत्वपूर्ण पदों पर बैठे भारतीयों के लिए अपने दायित्व को निभाने का समय है। इतिहास इस क्षण को न तो माफ़ करेगा और न ही भूलेगा। जहां तक हमारी बात है, हम इन मुद्दों को संसद और लोगों के समक्ष उठाते रखेंगे। सत्यमेव जयते

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