
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि संसद परिसर में महात्मा गांधी, बाबासाहेब आंबेडकर और छत्रपति शिवाजी की प्रतिमाओं को उनके मूल स्थानों से इसलिए हटाया गया है क्योंकि पीएम मोदी दोनों सदनों के निकट किसी भी तरह का संवैधानिक विरोध प्रदर्शन नहीं होने देना चाहते।
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उन्होंने कहा कि कल दोपहर 2:30 पर मैंने इस बात को हाइलाइट कि कैसे मोदी शासन छत्रपति महाराज, महात्मा गांधी और डॉ. अंबेडकर की मूर्तियों को संसद भवन के सामने स्थित विशिष्ट स्थानों से दूसरी जगह स्थानांतरित कर रहा है। मूर्तियों को हटाए जाने की तस्वीरें सामने आने के बाद, घबराहट में कल देर रात 8 बजे के बाद लोकसभा सचिवालय को इस बदलाव के लिए पूरी तरह से फर्जी और स्पष्ट रूप से मनगढ़ंत स्पष्टीकरण जारी करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
उन्होंने आगे कहा कि मूर्तियों के स्थान में बदलाव के लिए किसी भी राजनीतिक दल से कोई चर्चा नहीं हुई है। बदलाव का असली कारण अब बताया जा सकता है। दरअसल ये मूर्तियां ही वे स्थान थे जहां पिछले 10 वर्षों से विपक्षी दल मोदी सरकार के ख़िलाफ़ शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक ढंग से विरोध प्रदर्शन करते थे - टीडीपी और जेडीयू भी इन प्रदर्शनों में शामिल होते थे। बनने जा रहे एक-तिहाई प्रधानमंत्री स्पष्ट रूप से संसद की बैठक के बगल में कोई जगह नहीं चाहते हैं जहां उनके और उनकी सरकार के खिलाफ संवैधानिक तरीके से भी विरोध प्रदर्शन हो सके। ऐसे स्टंट अब उन्हें और उनकी अस्थिर सरकार को गिरने से नहीं बचा सकते।
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