कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की व्यवस्था में ‘‘सीमित’’ सुधार आठ साल की देरी हुआ है और इस बात पर बड़ा सवाल बना हुआ है कि क्या जीएसटी दरों में कटौती का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंच पाएगा।
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पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 की धारा 171 के तहत राष्ट्रीय मुनाफाखोरी विरोधी प्राधिकरण (एनएए) की स्थापना यह निगरानी करने के लिए की गई थी कि क्या जीएसटी दरों में कटौती से उपभोक्ता कीमतों में कमी आई है, लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार ने 30 सितंबर, 2024 की अधिसूचना जारी करके इसे ‘‘निष्प्रभावी’’ बना दिया है।
जयराम रमेश ने से कहा, ‘‘यह एक तरफ ‘वोट चोरी’ और दूसरी तरफ 'मुनाफाखोरी' का मामला नहीं होना चाहिए, क्योंकि लोगों को जीएसटी कटौती का लाभ नहीं मिल रहा है।’’
उन्होंने यह भी दावा किया कि सुधारों में ‘‘प्रक्रियात्मक जटिलताओं’’ को कम नहीं किया गया है, जबकि इसकी बहुत आवश्यकता थी।
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जयराम रमेश के अनुसार, 2017 में जीएसटी की शुरुआत के समय ही राहुल गांधी और कांग्रेस ने समस्याओं की ओर इंगित किया था और कहा था कि जो लाया गया है वह ‘‘गब्बर सिंह टैक्स’’ है। उनका कहना है मोदी सरकार ने उनका और कांग्रेस का मज़ाक उड़ाया, चिंताओं को नजरअंदाज किया और कोई बदलाव नहीं किया।
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘अब जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ लगा दिए हैं, तो वे कर ढांचे में सुधार करने के लिए मजबूर हो गए हैं और इसे एक उत्सव की तरह मना रहे हैं। यह सरकार हर चीज़ को एक उत्सव बना देती है क्योंकि उनका ध्यान असली मुद्दों से ध्यान भटकाने पर है।’’
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रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने 2006 से 2014 तक आठ साल में तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के जीएसटी प्रस्ताव का विरोध किया था।
उन्होंने कहा, ‘‘हम 2017 से जीएसटी व्यवस्था में सुधार की मांग कर रहे हैं, लेकिन आठ साल की देरी से किया गया यह सुधार सीमित है। प्रक्रियागत जटिलताओं को कम नहीं किया गया है, जिसकी बहुत जरूरत थी। इस बात पर भी बड़ा सवालिया निशान है कि कर कटौती का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचेगा या नहीं।’’
कांग्रेस महासचिव ने दावा किया कि यह सुधार ‘‘जीएसटी 2.0’’ नहीं है जिसकी कांग्रेस मांग कर रही है, बल्कि इसे अधिक से अधिक ‘‘जीएसटी 1.5’’ कहा जा सकता है।
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कांग्रेस ने रविवार को प्रधानमंत्री मोदी पर जीएसटी व्यवस्था में किए गए संशोधनों का श्रेय अकेले लेने का आरोप लगाया और कहा कि मौजूदा सुधार अपर्याप्त हैं क्योंकि राज्यों को राजस्व की क्षतिपूर्ति को पांच साल के लिए बढ़ाने की माग सहित कई लंबित मुद्दों का समाधान नहीं किया गया है।
उनका दावा है कि ये सुधार ‘‘गहरे जख्मों पर मरहम लगाने जैसा’’ है। कई वस्तुओं पर घटी हुई जीएसटी दरें सोमवार से प्रभावी हो गई हैं, जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में ‘बचत उत्सव’ बताया था।
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