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अमेरिकी दूतावास और मीडियापार्ट के आंखें तरेरने के बाद कांग्रेस ने दी बीजेपी को चुनौती- सोरोस मामले में दो सफाई

‘बीजेपी फेक न्यूज फैला रही है’, यह कहना है मीडियापार्ट का। ‘बीजेपी का यह बयान बेहद निराशापूर्ण है कि अमेरिका का डीप स्टेट भारत को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है।’ कांग्रेस ने बीजेपी को चुनौती दी है कि वह जॉर्ज सोरोस के मामले पर सबूत पेश करे।

सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर 

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जे पी नड्डा ने संसद में आरोप लगाया कि कांग्रेस और इसके नेता भारत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उद्योगपति गौतम अडानी को बदनाम करने की अंतरराष्ट्रीय साजिश का हिस्सा हैं। वैसे केंद्र की मोदी सरकार गौतम अडानी के द्रुत गति से बढ़ते औद्योगिक कद, अमेरिकी अदालत में उन पर अभियोग लगाए जाने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनके रिश्तों पर संसद के दोनों सदनों में चर्चा से भागती रही है और दोनों सदनों के सभापतियों ने इसकी अनुमति नहीं दी है। वैसे अगर चर्चा होती तो यकीनन, बीजेपी को अपने आरोप को पुख्ता तरीके से पेश करने और कांग्रेस नेताओं को उसका जवाब देने का मौका मिलता। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

बीजेपी द्वारा अडानी पर संसद में बहस से बचने और दूर भागने का एक प्रमुख कारण यह भी है कि इस बाबत उसने जो कहानी गढ़ी है, वह बिखरने लगी है। बीजेपी का आरोप ओसीसीआरपी (ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट) पर आधारित हैं। ओसीसीआरपी पत्रकारों और अंतरराष्ट्रीय मीडिया समूहों का एक गुट है। इसे अमेरिका का विदेश विभाग और अरबपति अमेरिकी जॉर्ज सोरोस दान देते हैं। 

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यूं तो ओसीसीआरपी ने अडानी समूह की ओवर-इनवॉइसिंग और अंडर-इनवॉइसिंग (वस्तुओं की कीमतें बढ़ाकर या घटाकर शुल्क बचाना) की प्रथा और इसके कुछ संदिग्ध और अनाम निवेशकों से जुड़ाव के बारे में सनसनीखेज रिपोर्टें जारी की हैं। लेकिन ओसीसीआरपी ने अपनी वेबसाइट पर साफ तौर पर स्वीकार किया है उसे अमेरिका से दान मिलता है। बस इसी आधार पर बीजेपी को लगा कि उसे इस मामले में कांग्रेस और उसके नेताओं को अंतरराष्ट्रीय साजिश का हिस्सेदार बता दिया जाए।

बीजेपी का आरोप है कि कांग्रेस पार्टी ओसीसीआरपी की रिपोर्टों पर टिप्पणी करते हुए “प्रधानमंत्री मोदी पर हमले करने, झूठी कहानी सुनाने और संसद के कामकाज को बाधित करने” के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस करती है।

अमेरिकी एफबीआई के प्रमुख के तौर पर डोनाल्ड ट्रंप द्वारा नामित काश पटेल, और अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया एजेंसी के प्रमुख के लिए तुलसी गबार्ड द्वारा ‘अमेरिकी डीप स्टेट’ के खिलाफ लगाए गए आरोपों से उत्साहित होकर, बीजेपी ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल, उसके सांसद और प्रवक्ता अचानक से हमलावर हो गए कि, “भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गौतम अडानी को बदनाम करने के अभियान के पीछे अमेरिकी डीप स्टेट का हाथ है।” और चूंकि कांग्रेस लगातार गौतम अडानी के कारोबार और उन पर लगे आरोपों की जांच की मांग करती रही है, इसलिए बीजेपी ने यह दावा भी कर दिया कि कांग्रेस और उसके नेता इस साजिश में शामिल हैं।

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बता दें की ओसीसीआरपी प्रोजेक्ट को अमेरिकी सरकार आर्थिक मदद देती है ताकि उसकी रुचि वाले देशों में, खासतौर से दक्षिण अमेरिकी देशों में भ्रष्टाचार के मामलों की जांच की जा सके। रोचक है कि इस सूची में भारत का नाम नहीं है।

बीजेपी के इसी आरोप पर भारत में अमेरिकी दूतावास ने 7 दिसंबर को बयान जारी किया। अमेरिकी दूतावास ने इसे ‘निराशाजनक’ करार देते हुए कहा कि आरोप बेबुनियाद और गुमराह करने वाले हैं। अमेरिकी विदेश विभाग के एक प्रवक्ता ने बीजेपी के आरोपों को खारिज करेत हुए कहा कि अमेरिका किसी ऐसी योजना का हिस्सा नहीं है जो भारत की सत्तारूढ़ पार्टी (बीजेपी) को बदनाम करने वाला हो या भारत को अस्थिर करने की कोशिश करने वाला हो।

इसी बीच फ्रांसीसी मीडिया समूह मीडियापार्ट ने साफ तौर पर कहा कि बीजेपी फेक न्यूज फैला रही है। मीडियापार्ट की प्रकाशक और डायरेक्टर करीन फूटो ने एक बयान में कहा, “मीडियापार्ट ओसीसीआरपी के बारे में अपने हाल ही में प्रकाशित खोजी लेख को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बीजेपी द्वारा अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने और प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला करने के लिए इस्तेमाल करने की कड़ी निंदा करता है।”

बयान में आगे कहा गया है कि, “बीजेपी जिस साजिश की बात कर रही है, उसे साबित करने के उसके पास कोई सबूत नहीं हैं।” करीन फुटो ने भारतीय और अंतरराष्ट्रीय पत्रकारों के साहस की सराहना करते हुए कहा है कि वे भारत में काफी साहसी काम कर रहे हैं।

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अमेरिकी दूतावास और मीडियापार्ट के बयान के बाद बीजेपी ने चुप्पी साध ली है। वहीं भारत का विदेश मंत्रालय भ इस मामले पर किसी बयान से बच रहा है। लेकिन कांग्रेस ने इसे मुद्दा बना दिया है। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने दिल्ली में एक प्रेस कांफ्रेंस में बीजेपी को चुनौती दी कि वह अपने आरोपों के सबूत पेश करे और जॉर्ज सोरोस मामले पर सफाई दे। सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि, “अगर जॉर्ज सोरोस भारत के खिलाफ एजेंडा चला रहा है तो उसका कॉलर सीधे पकड़कर क्यों चुप नहीं कराते?”

सुप्रिया श्रीनेत ने आगे पूछा कि अगर ऐसा ही तो फिर आप संयुक्त राष्ट्र के डेमोक्रेसी फंड को क्यों पैसे देते हैं जो दरअसल सोरोस के 68 प्रोजेक्ट को दुनिया भर में दान देता है? उन्होंने कहा कि बीते 8-10 साल में आपने 9 लाख डॉलर दिए हैं, और आप चौथे सबसे बड़े दानकर्ता हैं, और सबसे बड़ी बात आप ऐसे फंड के भागीदार क्यों हैं जो सोरोस को पैसे देता है?

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कांग्रेस प्रवक्ता ने दावा किया कि जॉर्ज सोरोस 1999 में भारत आया था, उस समय अटल बिहारी वाजेपी प्रधानमंत्री थे, लेकिन उसे पैसे देने का कार्यक्रम तो 2014 में शुरु हुआ। उन्होंने कहा, “सोरोस की ओपन सोसायटी का सोरोस इकोनॉमिक डेवलपमेंट फंड है। इसके दो बड़े फंड हैं जो गौरव हिंदुजा और शशांक ऋषसिरंगा द्वारा स्थापित किए गए हैं और ये दोनों ही प्रधानमंत्री मोदी और उनके द्वारा की गई नोटबंदी के बड़े समर्थक के तौर पर सामने आए थे। आखिर प्रधानमंत्री ऐसे लोगों के साथ मंच क्यों साझा करते हैं जो सोरोस के फंड से पैसा लेते हैं।?”

गौरतलब है कि शशांक ऋषसिरंगा का विवाह बीजेपी के पूर्व कोषाध्यक्ष विरेन शाह की बेटी से हुआ है और जो अटल बिहारी की सरकार के दौरान पश्चिम बंगाल के राज्यपाल थे। उनकी बेटी की शादी में तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष और पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी र महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणविस भी शामिल हुए थे।

सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि हकीकत यह है कि बीजेपी के पास इस मुर्खतापूर्ण आरोप के कोई सबूत नहीं है, और वह इस तरह लोगों का ध्यान भटकाकर अडानी को बचाने की कोशिश कर रही है।

इस बाबत ने कांग्रेस ने एक वीडियो जारी कर जॉर्ज सोरोस और बीजेपी के संबंंधों को उजागर किया है

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