कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि स्कूलों में छात्रों के नामांकन में कमी आई है, जो चिंता का विषय है। कांग्रेस सांसद ने राज्यसभा में कहा कि सरकार ने बजट में भी कटौती की है।
राज्यसभा में प्रमोद तिवारी ने कहा कि शिक्षा मंत्रालय की शिक्षा के लिए 'एकीकृत जिला सूचना प्रणाली' (यूडीआईएसई) रिपोर्ट के अनुसार यह पहली बार है जब स्कूल नामांकन के आंकड़े 2022-23 में गिरकर 25.17 करोड़ तक आ गए। 2023-2024 में ये और भी कम होकर 24.8 करोड़ हो गए। यह रिपोर्ट 2018-19 से 2021-20 की अवधि में लगभग 1.55 करोड़ छात्र की गिरावट को दर्शाती है, जो करीब 6 प्रतिशत की गिरावट है।
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उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट इस बात पर सवाल उठाती है कि सरकार भारत के युवाओं के भविष्य को सुरक्षित रखने में असफल हुई है। यह गिरावट केवल एक नंबर नहीं है, बल्कि यह बढ़ती आर्थिक असमानता और आर्थिक को कुप्रबंधन को दर्शाती है। यह कुप्रबंधन गरीब परिवारों को अपने बच्चों को स्कूल से निकालने के लिए मजबूर कर रहा है।
तिवारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और असम जैसे राज्यों ने बताया है कि उनके स्कूल के कमरें कम उपयोग में है। जबकि पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और पंजाब जैसे राज्य अत्यधिक बोझ और बुनियादी ढांचे से जूझ रहे हैं।
उन्होंने राज्यसभा में कहा कि लाखों बच्चे स्कूल से बाहर हैं, इसलिए यह आंकड़े चेतावनी देने वाले हैं। सवाल यह है कि की क्या अब सरकार अपने निर्धारित कार्यों को प्राथमिकता देगी या फिर प्रचार एवं छवि निर्माण में ज्यादा दिलचस्प लेगी। उन्होंने सदन के माध्यम से आग्रह किया कि सरकार स्कूल नामांकन के आंकड़ों की गिरावट में स्पष्टीकरण दे।
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प्रमोद तिवारी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने शिक्षा के लिए बजट भी कम किया गया है। उन्होंने कहा कि ये शिक्षित बेरोजगार पैदा नहीं करना चाहते, उनको शिक्षा ही नहीं देना चाहते, इनका मानना है कि अगर लोग पढ़ लेंगे, तो सरकार से अपने अधिकारों के लिए सवाल करेंगे। उन्होंने कहा कि रिकॉर्ड बेरोजगारी हो रही है। एक चौंकाने वाला आंकड़ा यह है कि सरकारी के दावों के उलट महिलाओं के प्रति हिंसा में बढ़ोतरी हुई है।
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