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कांग्रेस ने लद्दाख हिंसा पर कहा- बीजेपी सरकार ने खुद ही संकट पैदा किया है, मांग वैध और न्यायसंगत

पवन खेड़ा ने कहा कि लद्दाख को छठी अनुसूची के तहत शामिल करने और उसकी गरिमा एवं पहचान की रक्षा करने की केंद्र शासित प्रदेश की मांग वैध और न्यायसंगत है।

फोटोः IANS
फोटोः IANS 

कांग्रेस ने लद्दाख में हिंसक झड़पों के एक दिन बाद कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने खुद यह संकट पैदा किया है। पार्टी ने कहा कि लद्दाख को छठी अनुसूची के तहत शामिल करने तथा उसकी गरिमा एवं पहचान की रक्षा करने की केंद्र शासित प्रदेश की मांग वैध और न्यायसंगत है।

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अधिकारियों ने बताया कि लद्दाख को अलग राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर बुधवार को लेह में हिंसा, आगजनी और सड़क पर झड़पें हुईं, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और 40 पुलिसकर्मियों समेत कम से कम 80 लोग घायल हो गये।

कांग्रेस के मीडिया एवं प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा कि लद्दाख में हिंसा की घटनाओं में लोगों की मौत होना दुखद है।

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पवन खेड़ा ने ‘एक्स’ पर कहा, ‘‘यह सरकार के विफल वादों की दुखद याद दिलाता है। वर्ष 2019 में, संसद के पटल से राष्ट्र को आश्वासन दिया गया था कि तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य के लोगों को जिस विकट स्थिति का सामना करना पड़ रहा है वह अब समाप्त हो जायेगी और शांति का माहौल कायम होगा। छह साल बाद, समस्या और गहरा गई है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘घाटी में सामान्य स्थिति बहाल करने की बजाय, केंद्र की अदूरदर्शिता ने जम्मू और लद्दाख को भी हिंसा की आग में झोंक दिया है। यह संकट भाजपा सरकार ने स्वयं पैदा है - जिसे अब वह अनुचित रूप से अनदेखा करना चाहती है।’’

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पवन खेड़ा ने कहा कि लद्दाख को छठी अनुसूची के तहत शामिल करने और उसकी गरिमा एवं पहचान की रक्षा करने की केंद्र शासित प्रदेश की मांग वैध और न्यायसंगत है। कांग्रेस नेता ने कहा कि अनदेखा करने से काम नहीं चलेगा बल्कि सहानुभूतिपूर्ण ढंग और राजनय दिखाये जानी की आवश्यकता है।

लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर बुधवार को यहां जारी आंदोलन हिंसक हो गया था और इस दौरान सड़कों पर आगजनी और झड़पें हुई।

अधिकारियों ने बताया कि शहर में बड़ी संख्या में तैनात पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े।

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लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची के विस्तार की मांग को लेकर जारी आंदोलन के हिंसक रूप लेने के बाद जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने 15 दिन से जारी अपनी भूख हड़ताल बुधवार को समाप्त कर दी थी।

केंद्र ने बुधवार को आरोप लगाया था कि लद्दाख में कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के ‘‘भड़काऊ बयानों’’ की वजह से हिंसा भड़की और ‘‘राजनीतिक रूप से प्रेरित’’ कुछ लोग सरकार और लद्दाखी समूहों के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत में हुई प्रगति से खुश नहीं हैं।

गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा था कि सरकार पर्याप्त संवैधानिक सुरक्षा उपाय प्रदान करके लद्दाख के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।

हिंसा प्रभावित लेह में बृहस्पतिवार को पुलिस और अर्धसैनिक बलों द्वारा कर्फ्यू का सख्ती से पालन कराए जाने के दौरान कम से कम 50 लोगों को हिरासत में लिया गया।

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