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नहीं थम रहा कोरोना का कहर, सवाल सिर्फ एक, कब तक आएगी वैक्सीन? 

चीन सहित कई देश वैक्सीन विकसित करने के लिए पूरी मेहनत से लगे हैं। इसमें विश्व की सबसे स्वास्थ्य एजेंसी डब्ल्यूएचओ की भूमिका को भी कम करके नहीं आंका जा सकता है। हालांकि अमेरिका ने विश्व स्वास्थ्य संगठन का फंड रोक दिया है, बावजूद इसके चीन आदि देश इस संगठन को मदद दे रहे हैं।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

आजकल पूरी दुनिया कोविड-19 महामारी से परेशान है। लाखों लोग इस खतरनाक वायरस की चपेट में आ रहे हैं, जबकि मरने वालों की तादाद भी लगातार बढ़ रही है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर इस जानलेवा वायरस को काबू में करने के लिए वैक्सीन कब तैयार होगी।

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इस दौरान विश्व भर के वैज्ञानिक और शोधकर्ता शिद्दत के साथ इस कोशिश में जुटे हैं कि जल्द से जल्द इसका टीका बनाया जा सके। ताकि इस महामारी पर नियंत्रण किया जा सके।

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चीन सहित कई देश वैक्सीन विकसित करने के लिए पूरी मेहनत से लगे हैं। इसमें विश्व की सबसे स्वास्थ्य एजेंसी डब्ल्यूएचओ की भूमिका को भी कम करके नहीं आंका जा सकता है। हालांकि अमेरिका ने विश्व स्वास्थ्य संगठन का फंड रोक दिया है, बावजूद इसके चीन आदि देश इस संगठन को मदद दे रहे हैं। क्योंकि वायरस को कंट्रोल में करना बहुत जरूरी है, अन्यथा विश्व में आर्थिक मंदी का असर और गहरा होता जाएगा।

गौरतलब है कि कई देशों के वैज्ञानिक बार-बार दावा कर रहे हैं कि अगले कुछ महीनों में वैक्सीन तैयार हो सकती है। लेकिन कई चरणों के ह्यूमन ट्रायल के बाद ही टीके की असली परख होती है। ऐसे में यह कहना जल्दबाजी होगी कि वैक्सीन कब तक बाजार में आ पाएगी। इस बीच भारत में दावा किया जा रहा है कि 15 अगस्त को कोविड-19 रोधी वैक्सीन मरीजों के इस्तेमाल के लिए उपलब्ध हो जाएगी।

डब्ल्यूएचओ के हालिया बयान पर गौर करें तो पता चल जाएगा कि इस हेल्थ एजेंसी ने टीका तैयार होने की कोई निश्चित समय-सीमा तय बताने से इनकार किया है। पर इस बात की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है कि वायरस से निपटने के लिए वैक्सीन शायद 2019 के अंत तक तैयार हो जाए। भले ही वैक्सीन बन जाए, लेकिन यह सवाल कम बड़ा नहीं कि बड़ी मात्रा में इसका निर्माण हो। और साथ ही कौन सी वैक्सीन असल में प्रभावी होगी, यह भी एक समस्या है।

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डब्ल्यूएचओ के आपात परियोजना प्रमुख माइकल रयान के मुताबिक कुछ टीकों के शुरुआती ट्रायल के डेटा आशा की किरण जगाते हैं, लेकिन यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि कौन सा टीका अधिक प्रभावी होगा।

वहीं बताया जाता है कि डब्लूएचओ के कोविड-19 ग्लोबल रिसर्च फोरम में 93 देशों और क्षेत्रों के लगभग 1300 शोधकर्ता और विशेषज्ञ शामिल हैं। जो कि लगातार अपने अनुभव साझा कर रहे हैं। इतना ही नहीं डब्ल्यूएचओ के नेतृत्व में 39 देशों और क्षेत्रों के लगभग साढ़े पांच हजार रोगियों को भर्ती किया गया और अगले कुछ सप्ताह में इसके परिणाम सामने आएंगे।

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