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कोरोना के चलते देश की जीडीपी को होगा करीब 2 फीसदी का नुकसान, क्रिसिल ने घटाया अनुमान, पूरे साल रहेगा संकट

कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए किए गए लॉकडाउन और पूरी दुनिया की स्थिति के मद्देनजर देश की जीडीपी को करीब 2 फीसदी का नुकसान उठाना पड़ सकता है। यह अनुमान क्रिसिल ने लगाया है। साथ ही कहा है कि यह संकट पूरे साल रहने वाला है।

नवजीवन
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कोरोना वायरस की भयावहता जहां आम जन-जीवन पर बेहद भारी पड़ रही है, वहीं देश की अर्थव्यवस्था की इससे कमर टूटने की आशंका प्रबल हो गई है। इसके चलते रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने विकास दर का अनुमान 5.2 से घटाकर 3.5 फीसदी कर दिया है। क्रिसिल का कहना है कि कोरोना वायरस के संकट के चलते पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था डगमगा गई है, ऐसे में इसका बड़ा असर भारत की विकास दर पर पड़ेगा।

क्रिसिल ने एक बयान में कहा है कि, “विश्व अर्थव्यवस्था के लिए इस समय सबसे बड़ा खथरा कोविड-19 है जिसके बहुआयामी प्रभाव पड़ रहे हैं, और इसका असर 2008 की वैश्विक मंदी से कहीं ज्यादा बड़ा और व्यापक है। इस संकट ने न सिर्फ आर्थिक गतिविधियों पर ब्रेक लगा दिया है और वित्तीय स्थिरता को डांवाडोल कर दिया है, बल्कि आम लोगों पर इसका ऐसा असर है जैसा कई दशकों से नहीं देखा गया।”

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क्रिसिल ने आगे कहा है कि, “हमने पहले वित्त वर्ष 2021 के लिए भारत की वृद्धि दर का अनुमान 5.2 फीसदी रखा था, लेकिन इस महामारी के बाद हालात बेहद तेजी से बिगड़े हैं। एस एंड पी ग्लोबल ने वैश्विक विकास दर के अनुमान में जबरदस्त कमी की है और अमेरिका और यूरोजोन में भयंकर मंदी की आशंका जताई है। साथ ही चीन की विकास दर को 4.8 से घटाकर 2.9 फीसदी कर दिया है।”

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क्रिसिल के मुताबिक कोरोना वायरस की महामारी और 21 दिन के लॉकडाउन से भारत के विकास का पहिया ठप हो गया है। एजेंसी का कहना है कि इसके चलते कच्चे तेल के दामों में हुई नर्मी से होने वाला फायदा हवा हो जाएगा साथ ही सरकार द्वारा घोषित आर्थिक राहत पैकेज का भी असर पड़ेगा।

क्रिसिल के चीफ इकोनॉमिस्ट धर्मशक्ति जोशी का कहना है कि, “हमने भारत की विकास दर का बुनियादी अनुमान 5.2 से घटाकर 3.5 कर दिया है। वह भी इसलिए कि हम मान कर चल रहे हैं कि इस साल मॉनसून सामान्य होगा और कोरोना वायरस महामारी का असर अप्रैल-जून तिमाही में धीरे-धीरे कम या खत्म हो जाएगा।” उन्होंने कहा कि इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में अर्थव्यवस्था संकट में रहेगी, वहीं दूसरी छमाही में कुछ रिकवरी देखने को मिल सकती है।

क्रिसिल के मुताबिक कोरोना का प्रसार रोकने के लिए की जा रही सोशल डिस्टेंसिंग और अनाश्यक खर्च में कटौती से सबसे ज्यादा प्रभावित अप्रैल-जून तिमाही रहेगी। साथ ही एक्सपोर्ट यानी निर्याक पर भी इसका जबरदस्त असर रहेगा।

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गौरतलब है कि देश के कुल निर्यात की 41 फीसदी सेवाएं इस समय बेहद बुरे दौर से दोचार हैं। इसके अलावा मंदी का असर आने वाले समय में पर्यटन पर भी पड़ेगा।

क्रिसिल के मुताबिक मौजूदा लॉकडाउन के चलते विनिर्माण और सेवा क्षेत्र ठप हो चुका है और घरेलू सप्लाई चेन बुरी तरह प्रभावित हुई है। कंपनियों के राजस्व में कमी आएगी और इससे सबसे ज्यादा प्रभावित दिहाड़ी मजदूर और अस्थाई कर्मचारी होंगे जिन्हों रोजी से हाथ धोना पड़ेगा। हर सेक्टर में इसका अलग-अलग असर दिखेगा, लेकिन सबसे ज्यादा प्रभाव सर्विस सेक्टर पर पडेगा क्योंकि इस सेक्टर में आने वाले दिनों में लंबे समय तक मांग की कमी रहेगी।

क्रिसिल के सीईओ और एमडी आशु सुयश का कहना है कि, “इस महामारी की भयावहता और जटिलता अभी पूरी तरह सामने नहीं आई है, जिससे न सिर्फ उद्योग धंधों और कारोबारों के लिए बल्कि पूरी मानव जाति के लिए जबरदस्त अनिश्चितता का दौर है। अगर यह महामारी नियंत्रित नहीं होती है और लॉकडाउन जारी रहता है तो मांग और आपूर्ति में जबरदस्त असंतुलन में आएगा, जिसके चलते विकास दर का अनुमान पूरी तरह लगाना अभी संभव भी नहीं है।”

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