राज्यसभा में सोमवार को सदस्यों ने सोशल मीडिया मंचों के बढ़ते दुरूपयोग, साइबर अपराधों और बैंक धोखधड़ी के कारण समाज में हो रही घटनाओं के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई और इनके समाधान के लिए सरकार से कड़े और प्रभावी कदम उठाने की मांग की।
भारतीय जनता पार्टी के संजय सेठ शून्यकाल में साइबर अपराधों और बैंक धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई और इस तरह की धोखाधड़ी से निपटने के लिए फास्ट ट्रैक अदालत के गठन की मांग की। सेठ ने कहा कि बड़ी संख्या में लोग डिजिटल और ऑनलाइन भुगतान प्रणाली का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन अपर्याप्त सुरक्षा उपायों के कारण उनमें से कई लोग सेकेंड के भीतर साइबर धोखाधड़ी का शिकार हो जाते हैं और अपनी गाढ़ी कमाई खो देते हैं।
उन्होंने एक घटना का हवाला दिया जहां एक व्यक्ति ने अपनी बेटी की शादी के लिए जमा किए गए धन को साइबर धोखाधड़ी के कारण गंवा देने के बाद आत्महत्या कर ली। उन्होंने यह भी कहा कि वरिष्ठ नागरिकों को भी साइबर धोखाधड़ी के कारण अपनी पेंशन गंवानी पड़ती है।
सेठ ने जोर देकर कहा कि देश में डिजिटल इंडिया को बढ़ावा दिया जा रहा है लेकिन साथ ही नागरिकों की वित्तीय सुरक्षा को भी समान रूप से प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
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सदन को बताया गया कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के आंकड़ों के अनुसार, साइबर फ्रॉड से वर्ष 2025 तक लगभग 20 हजार करोड़ रुपए का नुकसान होने का अनुमान है। इस विषय पर जानकारी देते हुए उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सांसद संजय सेठ ने कहा कि नाम के दुरुपयोग से ही 9,000 करोड़ रुपए का नुकसान होने का अनुमान है। सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले सेक्टर बैंकिंग और फाइनेंस है।
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उन्होंने छोटे और ग्रामीण बैंकों सहित बैंकों में साइबर सुरक्षा मजबूत करने के लिए तकनीकी उन्नयन पर जोर दिया। बीजेपी सदस्य ने कहा कि पीड़ितों को त्वरित न्याय दिलाने के लिए एक विशेष फास्ट ट्रैक अदालत का गठन किया जाना चाहिए। उन्होंने साइबर धोखाधड़ी के पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए एक कोष स्थापित करने का भी सुझाव दिया।
सेठ ने सरकार से नागरिकों की मेहनत से अर्जित आय की सुरक्षा के लिए साइबर अपराधों के खिलाफ कड़े और प्रभावी कदम उठाने का आग्रह किया।
बीजेपी की कल्पना सैनी ने सोशल मीडिया पर बढ़ते गाली गलौच, अभद्र भाषा, झूठी सूचनाएं फैलाने और साइबर बदसलूकी का मुद्दा उठाया और कहा कि फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, व्हाट्सएप अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के महत्वपूर्ण माध्यम हैं लेकिन दुर्भाग्य से इनका दुरुपयोग किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि आम नागरिक के साथ-साथ महिलाएं, पत्रकार और राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ता आए दिन ऑनलाइन उत्पीड़न और चरित्र हनन शिकार हो रहे हैं।
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